हाल ही में लगभग एक माह में हुए तीन देशों के चुनावों में उन देशों की जनता ने वहां की सरकारों को विभिन्न कारणों से सत्ता से हटा कर नयी सरकार के लिए विपक्षी दलों को सत्ता दी , कारण पहला फ्रांस में फांसीवादी सरकार को जनता ने नकार दिया वहीं ईरान में अति कट्टरपंथी सरकार को हराकर नरमपंथियों के हाथ में सत्ता सौंप दी वहीं इंग्लैंड में ऋषि सुनक की नीतियां वहां की जनता को रास नही आई तो जनता ने दक्षिण पंथियों को सत्ता सौंप दी ।फ्रांस में सबसे बडी़ पार्टी बन कर दक्षिण पंथी सोच की पार्टी बनी । यह बात अलग है किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला । मैक्रो की सत्ताधारी पार्टी की सत्ता से पहुंच दूर हुई लेकिन नरम पंथी राईट पार्टियों की भी हार हुई ।पहले दिन जब वामदल बढत बनाये हुए थे ।तब क ई खेल प्रेमियों, कलाकारों और बुद्धजीवीयों ने जनता से वामदलों से देश को बचाने की अपील की थी यहां पर नरमपंथी दल हाथ मिला सकते थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ । कहां तो उदार वादी पार्टी को सत्ता में आना था, कहां सबसे बडी़ पार्टी बन कर वाम विचारधारा वाली मैलो शा की पार्टी एल एफ आई 182 सीट लेकर सबसे बडी़ पार्टी बन कर उभरी, दूसरे नम्बर पर राष्ट्रपति मैकरो की गठबंधन वाली पार्टी को 163 सीट और उदार वादी दल आर एन को 143 सीट मिली । फ्रांस में गठबंधन कर सरकार बनाने का कोई प्रावधान नहीं है और सरकार बनाने के लिए 577 सीटों वाली संसद में सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को 289 सीटों की जरूरत है जो किसी भी दल के पास नहीं है हालांकि मैलो शा ने राष्ट्रपति से उन्हे प्रधानमंत्री बनाने का आग्रह किया है वहां प्रधानमंत्री बनाने का अथिकार राष्ट्रपति को है लेकिन उसे निर्धारित समय सीमा के अंदर संसद में बहुमत सिद्ध करना होता है और दुबारा चुनाव एक साल बाद ही हो सकते हैं ऐसे में राष्ट्रपति मैक्रो अलग- अलग विषयों के विशेषझों को एक्सपर्ट को लेकर संसद की सहमति के बिना भी विधैयक पास कर सकते हैं । ईरान में कट्टर मुल्लाओं की संरक्षक सरकार से आजिज जनता ने वहां उदार वादी दल की सरकार को पूर्ण बहुमत से जिताया है इंग्लैंड में प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की गलत नीतियां ही उनकी पार्टी पर भारी पडी़ और वहां लेबर पार्टी ने कंजरवेटिव पार्टी को बुरी तरह हरा दिया और वहां 1962 में जन्मे पिता टूल मेकर तथा मां नर्स की संतान केर स्टार्मर प्रधान मंत्री बने हैं – सम्पादकीय -News51.in
फ्रांस में फासीवाद की हार, इरान में कट्टर पंथियों की हार, अतिवाद और कट्टरपंथ से इन देशों के लोग ऊबे, नरम पंथ की बयार, इंग्लैंड में भी ऋषि सुनक की गलत नीतियों को भी वहां की जनता ने नकारा
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