Tuesday, September 17, 2024
होमराजनीतिNDA और INDIA के रूप में 2024 के लोकसभा चुनाव के समर...

NDA और INDIA के रूप में 2024 के लोकसभा चुनाव के समर के लिए दोनों दलों की सेना तैयार, लेकिन बसपा की सुप्रीमों मायावती और AIMIM के ओवैसी किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बने या बन पाये, आखिर क्यों ?

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती की कभी यूपी में तूती बोलती थी उनके साथ यूपी में गठबंधन के लिए कभी सभी दल (भाजपा, कांग्रेस,सपा) ललायित रहते थे लेकिन फिर 2014 के बाद धीरे-धीरे यूपी में जब उनके वोटर उनसे छिटक कर भाजपा , थोडा़ बहुत सपा और उनसे बचा कांग्रेस के पास चला गया । एक बार अवश्य 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा के तालमेल के बाद 10 लोकसभा सीटों पर बसपा जीती लेकिन सपा को उनसे भी कम सीटें मिली, लेकिन मायावती को 10 सीटों पर भी संतोष नहीं हुआ , उल्टा “सपा के वोटरों का ट्रांसफर उनकी पार्टी को नहीं हुआ उनके वोटर सपा को ट्रांसफर हुए” यह आरोप लगा कर उन्होने भविष्य में सपा या किसी अन्य दल से तालमेल से इंकार कर दिया फिर विधान सभा चुनाव में उन्हे केवल एक सीट मिली ।जबकि कांग्रेस को दो सीट मिली हालांकि बसपा को लगभग 12 प्रतिशत के आसपास मिला जो कांग्रेस से कहीं ज्यादा रहा ।इधर उनको टक्कर देने के लिये भीम आर्मी के चंद्रशेखर उर्फ रावण ने दलितों के युवा वर्ग में अपनी घुसपैठ तेजी बढाई है।पश्चिमी यूपी में उनका जनाधार काफी बढा है और मायावती का घटा है।अपने पार्टी को धरातल में ले जाने और स्वयंम अपनी शाख खोने के लिए वह स्वयंम उत्तरदाई रही हैं, कभी भी किसी दुखी या विपत्ति में किसी दलित परिवार के दुख में सम्मलित नहीं होना, राजसी जीवन जीने।की शैली, ,घमंड और किसी पर भरोसा न करना, कान का कच्चा होना ही इनके पतन।का कारण रहा है सूत्रों के अनुसार भतीजे की सम्पत्ति बचाने और ईडी से भयभीत हैं इसी लिये राजनीतिक गतिविधियां और तैयारियां अधूरी है। दूसरे पार्टी AIMIM है,जिसके सर्वेसर्वा ओसेदुद्दिन ओवैसी हैं जिन्होने शुरूवात में अल्पसंख्यकों में तेजी से घुसपैठ भी बनाई थी और हैदराबाद के बाहर भी पैर।पसार लिए थे ।यहां तक कि बिहार विधान सभा चुनाव में कुछ सीटों पर भी जीत दर्ज की थी हालांकि बाद उनमें अधिकांश राजद में चले गये।लेकिन यह भी सत्य है कि वहां महा गठबंधन की हार और सत्ता न मिलने का बहुत बडा़ कारण ओवैसी की पार्टी को माना गया और औवैसी ने अपने भाषणों में भाजपा से ज्यादा कांग्रेस, सपा और राजद की किया है, जिससे लोगों में यह मैसेज गया है कि वह अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा के मददगार हैं जिसका नतीजा यह हुआ कि बिहार के लोकसभा चुनाव के बाद ओवैसी का क्रेज भी अल्पसंख्यकों में काफी कम हो गया है। शायद इन्ही कारणों से मायावती और ओवैसी दोनों को विपक्षी खेमा INDIA से इन दोनों दलों को न्योता नहीं दिया गया है और सत्ता पक्ष NDA द्वारा इन्हे बुलाने का कोई तुक नहीं बनता है।अब 2024 की लडा़ई दोनो के लिए नये सिरे से जीरो सीट से ही शुरूआत करनी है। सम्पादकीय-News 51.in

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments