Friday, October 18, 2024
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चुनावी चर्चा -9(हरियाणा, दिल्ली सहित कुल 7 राज्यों की 59 सीट)

अब तक कुल पांच चरण के 425 सीटों पर मतदान सम्पन्न हो चुके हैं 12 अप्रैल को छठवें चरण की 59 सीटों पर मतदान होना है। जिनमें हरियाणा की सभी 10 सीटों और दिल्ली की सभी 7सीटों पर मतदान होना है इसके अलावा उत्तर प्रदेश की 14,बिहार की 8,झारखंड की 4, मध्य प्रदेश की 8, पश्चिम बंगाल की 8 सीटों सहित कुल 59 सीटों पर 12 अप्रैल को मतदान होना है। उत्तर प्रदेश की जिन 14 सीटों पर 12 अप्रैल को मतदान होना है वे हैं -सुल्तान पुर, प्रतापगढ, फूल पुर, इलाहाबाद, अम्बेडकर नगर, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संतकबीर नगर, लालगंज, आजमगढ, जौनपुर, मछलीशहर और भदोही हैं।
लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर में दिल्ली की सभी 7 सीटें भाजपा ने जीती थीं किंतु तुरंत बाद ही विधान सभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 70 विधानसभा चुनाव में 67 सीट पर जीत दर्ज की थी और भाजपा को मात्र 3 सीट पर विजय पाई थी और कांग्रेस का सूपडा साफ हो गया था। किंतु इन पांच वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। आम आदमी पार्टी की विफलता और भाजपा द्वारा भी कुछ नहीं कर पाने के कारण और भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच के टकराव के कारण वहां के लोगों में भारी रोष है। खासकर आम आदमी पार्टी के मतदाता अरविंद केजरीवाल से खिन्न है ये वही मतदाता थे जो कांग्रेस को वोट दिया करता था लेकिन अरविंद केजरीवाल से प्रभावित होकर आम आदमी पार्टी के मतदाता हो गए थे लेकिन उन्हें भारी निराशा मिली। अब वह मतदाता पुनः कांग्रेस की तरफ पूरी तरह झुका हुआ है शायद इस बात को अरविंद केजरीवाल समझ चुके थे इसीलिए वह कांग्रेस से तालमेल के लिए बहुत ज्यादा उतावलापन दिखा रहे थे और भाजपा को हराने के लिए दोनों दलों के एकजुट होकर लडने की बात करने लगे थे उन्होंने कांग्रेस के कयी नेताओं को अपनी तरफ मिला भी लिया था लेकिन शीला दीक्षित समझ चुकी थी कि गठबंधन पूरा लाभ आम आदमी पार्टी को मिलेगा। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को समझाया। राहुल गांधी भी शायद गठबंधन में कांग्रेस का ज्यादा नुकसान और आम आदमी पार्टी का फायदा देख गठबंधन से इनकार कर दिया जो सही किया। अब हालत ये है कि आम आदमी पार्टी एक सीट छोड़कर शेष सभी पर तीसरे नंबर की पार्टी हो गई है। मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होना साफ दिख रहा है।
अब बात हरियाणा की करते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा की 10 सीट में से 7 सीट पर भाजपा और 3 सीट पर आईएस एल डी ने विजय हासिल की थी और कांग्रेस का सफाया हो गया था। आम आदमी पार्टी हरियाणा और पंजाब में भी कांग्रेस से तालमेल चाहती थी क्योंकि 2014 के चुनाव में इन राज्यों में आम आदमी पार्टी ने काफी अच्छा किया था किंतु आज सभी स्थानों पर उसकी स्थिति काफी खराब हो चुकी है इसलिए वह कांग्रेस के कंधे पर सवारी कर आगे आना चाहती थी कांग्रेस भी समझ गई थी कि केजरीवाल उसके कंधे का इस्तेमाल कर फिर कांग्रेस की ही नैया डुबाएंगे क्योंकि दोनों दलों का मतदाता एक ही है।
इस बार हरियाणा में कांग्रेस ने अपने लगभग सभी कद्दावर नेताओं को उम्मीदवार बनाया है। यहाँ चौटाला का परिवार बिखर चुका है। इतना तय है कि भाजपा, इनलो गठबंधन और कांग्रेस के बीच लड़ाई इस बार बहुत ही दिलचस्प हो गया है पिछली बार की तुलना में कांग्रेस को हरियाणा से काफी उम्मीद है जो शायद सही भी है।
सम्पादक की कलम से……

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