Sunday, December 22, 2024
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राजस्थान, मध्यप्रदेश, में प्रत्याशी चुनने में वहां के क्षत्रपों ने पिछले विधान सभा चुनावों में कांग्रेस आलाकमान की दाल नहीं गलने दी,इस बार तो आला कमान की मर्जी चली !

2019 के विधान सभा चुनावों में राजस्थान में कांग्रेस की जीत में सबसे बडी़ भूमिका तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलेट की थी तब यह तयं था कि मुख्यमंत्री सचिन पायलट ही होंगे लेकिन अशोक गहलोत ने गांधी परिवार से अपनी नजदीकी का लाभ उठाकर और पार्टी विधायकों और कुछ निर्दल विधायकों को अपने पाले में लाकर विधायक दल की बैठक में विधायकों को मिलाकर बाजी अपने पक्ष में कर लिया और मुख्यमंत्री तो बन गये उसके बाद की कहानी सबको याद है कि उसी के कुछ महीने बाद लोकसभा चुनावों में काग्रेस का राजस्थान में सुपडा़ साफ हो गया था फिर आपरेशन लोटस के समय सचिन की बगावत , बाद में तख्तापलट की उनकी नाकाम कोशिश भी सबको याद है लेकिन जब दोबारा 2023 का विधान सभा चुनाव आया तबतक कांग्रेस गुर्जरों की नाराजगी को समझ अशोक गहलौत को हटाकर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने का प्रयास किया था लेकिन वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से जयपुर की बैठक में भाग लेने से इंकार कर और विधायकों को भी न मिलने की हेठी कर गहलौत अपने को सुपर समझने लगे थे बाद में विधान सभा 2023 में भेजी गयी रिपोर्ट में आलाकमान को 40 प्रतिशत से अधिक विधायकों का टिकट काट कर नौजवानों को लडा़ने की बात पर भी गहलौत ने साफ इंकार कर दिया ।नतीजतन कांग्रेस विधान सभा चुनाव हार गयी ।अब जाकर गहलौत से निजात पाकर इस लोकसभा चुनाव में फिर से सचिन पायलेट की सलाह पर और कौन प्रत्याशी जीत सकता है , उनको टिकट देने का काम चल रहा है और टिकट बंटवारे में राहुल गांधी की छाप स्पष्ट नजर आ रही है। मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य के विद्रोह के बाद कमलनाथ की अगुवाई में जीती कांग्रेस को सत्ता से बेदखल होना पडा़ तो कमलनाथ और दिग्विजय की जोडी़ ,जो अबतक मध्यप्रदेश कांग्रेस को चलाती आई तो कमलनाथ को यह भ्रम हो गया कि पिछली2019 की जीत उनकी वजह से थी और इस बार भी 2023 की जीत उन्ही के वजह से होगी और अखिलेश यादव के एक सीट पर गठबंधन के प्रस्ताव को राहुल गांधी के चाहने के बावजूद न केवल इंकार कर दिया बल्कि अखिलेश यादव की खिल्ली उडा़ई ।साथ ही पार्टी के मजबूत साथियों जीतू पटवारी , अजय यादव जैसों सहित क यी कद्दावर नेताओं की अनदेखी की, नतीजा कांग्रेस की बुरी हार हुई अब राहुल गांधी ने कमलनाथ की जगह पसंदीदा नौजवान, मेहनती जीतू पटवारी के हाथ में बागडोर सौंप दी। साथ हीउमंग सिंगार जैसे नौजवानों और मेहनती नेताओं को जिम्मेदारी दी गयी अब लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी चयन में भी राहुल गांधी के छाप स्पष्ट नजर आ रहे हैं मध्यप्रदेश और राजस्थान में विधान सभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद लग रहा है कि कांग्रेस आलाकमान की ताकत लौट आई है । सम्पादकीय-News51.in

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