Sunday, December 22, 2024
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लहू भी बोलता है, जमात- उलमा-ए हिन्द और उलमाओं के आंदोलन -2

लहू बोलता भी हैं – सैय्यद शाहनवाज कादरी

जमात – ए – उलमा -ए हिन्द और उल्माओ के आन्दोलन भाग – दो

इस बारे में शाह अब्दुल अजीज ने कहा था कि भारत अब मुस्लिमो और धिमिम्यो ( गैर मुस्लिम ) के लिए सकूं और हिफाजत की जगह नही रह गयी है काफ़िरो (अंग्रेजो ) की ताकत में लगातार इजाफा होता जा रहा है | वे जब चाहते है , कोई भी इस्लामिक कानून की खिलाफवर्जी कर लेते है | यही नही वे कोई भी कानून हटा सकते है | ऐसे में कोई इतना ताकतवर नही है , जो इन्हें ऐसा करने से रोक दे | ऐसे में अब यह मुल्क सियासी एतबार से दारुल -हर्ब हो गया है | ऐसे हालात में शाह अब्दुल अजीज ने सन 1803 में फतवा जारी किया कि भारत में अब दारुल – इस्लाम खत्म हो गया है | फ़तवा आने के बाद समझदार और मजहबी ख्याल के मुसलमानों में उम्मीद की नयी किरण दिखने लगी और किसी मजबूत कयादत के बगैर ही मुसलमान आहिस्ता – आहिस्ता मुत्तहिद और लामबंद होने लगा | जेहाद को आम जनता की हिमायत मिलने लगी | इसे और मजबूत करने के लिए शाह सैय्यद अहमद ने पुरे हिन्दुस्तान में दौरा करके अंग्रेजो से नये सिरे से लड़ने का माहौल मुसलमानों में पैदा किया और हिन्दुस्तान से खत्म हुई इस्लामिक पहचान और वकार को दोबारा पाने के लिए लोगो को तैयार किया | यह एक ऐतिहासिक सच है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वजूद में आने से पहले ही उलमाओ और उनके माननेवालो ने एक मजबूत तंजीम बना ली थी , जिसने ब्रिटिश फ़ौज के खिलाफ स्वतंत्रता – आन्दोलन की शुरुआत कर दी थी | इस तंजीम के आंदोलनों में हिन्दुओ ने भी हिस्सा लिया और मुसलमानों के साथ उनकी कयादत में अंग्रेजो से लड़े | उलमाओं की इस तंजीम का असर यह हुआ कि आम गरीब मुसलमान बगैर किसी फौजी साजो – सामान या तैयारी के ही फतवे का हुकम मानकर अपने मजहब की हिफाजत के लिए अल्लाह की राह पर अपना घर – बार छोड़कर मैदान में आने लगे | उलमाओं ने गैर – मुस्लिमो को यकीन दिलाया की हमारा मकसद सिर्फ अंग्रेजो को मुल्क से बाहर करके अपनी खोयी हुई इज्जत – आबरू हासिल करना है | हमारा मकसद हुकूमत करना नही है , बल्कि हमारा मकसद सिर्फ अंग्रेजो को हराना है |अंग्रेजो के जाने के बाद हमारा अकीदा पूरा हो जाएगा | उसके बाद जो लोग भी हुकूमत करना चाहे उन्हें पूरा मौका दिया जाएगा |

प्रस्तुती — सुनील दत्ता – स्वतंत्र पत्रकार – दस्तावेजी प्रेस छायाकार
लेखक सैय्यद शाहनवाज कादरी

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