Wednesday, January 15, 2025
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राहुल गांधी कब प्रधान मंत्री मोदी से सीख लेंगे ,अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों लगातार सम्पर्क बनाए रखने का , एक बार अमेठी से कटे रहने का दंश भोग चुके हैं, लेकिन फिर भी आंख नहीं खुल रही ?

अब वह जमाना नहीं रहा, आप कितने भी बडे़ नेता क्यों न हों , आप को लगातार अपने क्षेत्र में लोगों से मिलना-जुलना ,उनकी समस्यांओं से रूबरू होना पड़ता है और यथा सम्भव उसका निदान भी करना पड़ता है , इसका सबसे सुंदर स्वयंम प्रधान मंत्री मोदी जी  उदाहरण के लिए हैं हर महीने- दो महीने पर समय निकाल कर अपने निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी अवश्य समय निकाल कर आते हैं भले ही इस बार लगभग मात्र डेढ लाख वोटों से चुनाव जीते हों, उसका इन सब पर कोइ असर नहीं है । वहीं राहुल गांधी अपने पिछले निर्वाचन क्षेत्र अमेठी से एक बार मात्र इसी कारण से चुनाव हार चुके हैं कि अपने क्षेत्र में लगातार अपनी न उपस्थिति बनाई , न ही लोगों से मिले- जुले । वहीं इनकी प्रतिद्वंदी स्मृति इरानी ने लगातार न केवल अपनी उपस्थिति अमेठी में बनाये रखी, बल्कि लोगों से मिलती जुलती भी रहीं, नतीजा अपने से बडे़ कद्दावर नेता राहुल गांधी को हराकर एक सीख भी दी कि अपने क्षेत्र में अपनी उपस्थिति और लोगों के सुख-दुख में शामिल होना एक बडीं आवश्यकता होती है , जिसे प्रधान मंत्री मोदी जी ने लगातार साबित किया है अब राहुल गांधी अपनी मां के निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली से निर्वाचित हुए हैं लेकिन जीतने के बाद मात्र एक बार लोगों का आभार व्यक्त करने और दूसरी बार एक जिला स्तरीय बैठक में शामिल होने के बाद आजतक राय बरेली जनता से मिलने नहीं गये हैं जबकि अपनी बहन प्रियंका गांधी के निर्वाचन क्षेत्र अमेठी एक बार चुनाव के पहले , एक बार पर्चा दाखिला के समय और एक बार चुनाव जीतने के बाद उनके साथ जा चुके हैं एक बार हाल ही में लोकसभा में शपथ ग्रहण के बाद वायनाड प्रियंका के पीछे-पीछे चले गये । यहां यह याद दिलाना जरूरी है कि प्रियंका गांधी अपने कर्तव्यों के अंतर्गत अपने क्षेत्र के लोगों से मिलने गयी थीं और यह भी तयं है कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र वायनाड लगातार जाती रहेंगी क्योंकि उनको अपने कर्तव्यों का झान है और राहुल गांधी से कयी गुना समझदार हैं मजबूर केवल इसलिए हैं कि बडे़ भाई राहुल गांधी के सामने चुप रहती हैं । वहीं राहुल गांधी चार बार वायनाड जा चुके हैं लेकिन रायबरेली अपने निर्वाचन क्षेत्र पर भी ध्यान देना उनकी प्राथमिकता है और अन्य राज्यों को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिये और याद रखना चाहिये ये आज का दौर है जहां सत्तारूढ भाजपा जैसी मजबूत संगठन शक्ति वाली पार्टी और जो चौबीसो घंटे राजनीतिक सोच और कर्मशील पार्टी से उनका मुकाबला है जो कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों से सदैव कयी गुना आगे की राजनीतिक सोच रखने वाली पार्टी से है ये जब तक कुछ करने की सोचते या कहते हैं उससे पहले भाजपा उसे कार्य रुप में परिवर्तित कर देती है याद रखना होगा कि ये विपक्ष में हैं और भाजपा सत्ता में है सम्पादकीय-News51.in

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