चंद्रकांता सोनभद्र के राजा जयसिंह की बहादुर बेटी थी मां रत्नगर्भा था जो मिर्जापुर के राजकुमार की पत्नी थीं चंद्रकांता काजन्म 1938 में हुआ था तब मिर्जापुर अब सोनभद्र है चंद्रकांता को बचपन से ही वाराणसी के नौगढ स्टेट के राजा सुरेंद्र सिंह के बेटे विरेंद्र सिंह से होगया था। विरेंद्र।सिंह उसे पाने के लिए पागल था लेकिन दोनों नौगढ और विजयगढ के बीच पुश्तैनी दुश्मनी थीऔर जाति भी बडी़ रूकावट थी।इतिहास के अनुसार विजयगढ के महाराज नौगढ के महाराज को अपने भाई का हत्यारा मानता था इसके अलावा नौगढ का महामंत्री क्रुर सिंह चंद्रकांता को अपना बनाना चाहता था इससे भी विजयगढ के महाराज नौगढ को अपना सबसे बडा़ दुश्मन मानते थे ।इन दोनों।के बीच क ई लडा़इंयां हुइ थी और झड़पें तो अक्सर ही हुआ करता था क्रूर सिंह षडयंत्र करने में माहिर था क्रूर सिंह और वीरेंद्र सिंह के अय्यारों की साजिशों और तेलस्मी अजूबों और अनेक एतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा नौगढ का किला अब जीर्णशीर्ण होकर मिट्टी के टीले में तब्दील होता जा रहा है।साथ ही चंद्रकांता और वीरेंद्र सिंह की अमर प्रेमकाहानियां भी धूमिल होती जा रही हैं।लेकिन आज।भी वनांचल में लोगों में यह प्रेम कहानी जुबां पर है।कभी हाथी, घोडे़ और सैनिकों से गुलजार रहने वाला यह नौगढ का किला सूना पडा़ है और उसमें वन विभाग ने अपना गेस्ट हाउस बना रखा है।सरकार अगर थोडा़ ध्यान दे और।मरम्मत कराये तो ये पर्यटन स्थल बन सकता है ।गेरुवतवा के दक्षिण पूर्व मे नौगढ के इस किले के उत्तरपूर्वी भाग में कर्मनाशा नदी स्थित है। किला भट्ठियों के अवशेषों के साथ-साथ धातु और खनिज कचरों से भरी हैं इसे चंद्रकांता कोठी के नाम से जाना जाता है और वे सुरंगे जिन रास्तों से चंद्रकला तथा राजकुमार वीरेंद्र सिंह मिलते थे नौगढ किले की सुरंगें आज भी साफ देखी जा सकती हैं जो विजयगढ तक जाती थीं ।चंद्रकांता की कहानी सुखद नही रही उनकी शादी किसी और से होगयी ऐसा इतिहासकार बताते हैं। सम्पादकीय- News51.in