एक बार फिर पंजाब के स्थानीय निकाय चुनाव में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी वही सब कांग्रेस नेताओं के साथ की है, जो अन्य प्रदेश के सत्ताधारी दल करते हैं, दरअसल सभी राज्यों में अन्य क्षेत्रीय पार्टीयों का राज्य में कांग्रेस से ही उनका मुकाबला होता है,तो वहां की सत्तारूढ दल किसी भी कीमत पर कांग्रेस को बढते देखना नहीं चाहती, एक मात्र केरल ही ऐसा राज्य रहा जहां कांग्रेस के नेताओं पर कोई विशेष दबाव या प्रशासन का अत्याचार नहीं किया गया, लेकिन चूंकि अन्य जगहों पर वह इंडिया गठबंधन का हिस्सा है,लेकिन वह भी अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ता उदाहरण कॅ लिए वायनाड में इतनी बड़ी आसमानी आपदा आई थी और कर्नाटक से कई ट्रक में भरकर लोगों के लिए राहत सामग्री भेजी गई थी वहां की वामदल की सरकार ने लोगों में वह सामग्री बंटने नहीं दी और जप्त कर ली, इसी प्रकार जब राहुल गांधी वायनाड से चुनाव लडें, वामदल ने वहां से अपना प्रत्याशी राहुल गांधी(चुनाव न जीत पायें) के खिलाफ खडां कर दिया इसी प्रकार दूसरी बार जब प्रियांका गांधी वायनाड से चुनाव लड़ीं तब भी अपना प्रत्याशी उतारा, स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस की बम्पर जीत और तिरुअनंतपुरम में 45 साल बाद वामदल की हार के बाद वामदल नीत गठबंधन का सत्ता से बेदखल होने की आहट वहां के नेताओं को लग चुकी है,सम्भवतः इसीलिए अब वहां वामदल के नेताओं में भगदड मच गई है अधिकांश वाम नेता कांग्रेस की तरफ भाग रहे हैं, कुछ भाजपा की तरफ भाग रहे हैं बात पंजाब में सम्पन्न हुए स्थानीय निकाय चुनाव की करते हैं वहां आम आदमी पार्टी की स्थानीय सरकार ने कई कांग्रेसी नेताओं को विभिन्न आरोपों में जेल में डाल रखा है, कई ऐसे मज़बूत कांग्रेसी नेता जो स्थानीय निकाय चुनाव लड़ना चाहते थे,उनपर विभिन्न दबाव डाल कर चुनाव नहीं लडने दिया गया और कई का प्रशासन पर दबाव डाल कर पर्चा निरस्त करवाया गया। इन सब के बाद भी कांग्रेस न केवल दूसरे स्थान पर रही भाजपा और अकाली दल को मिली सीट से अधिक कांग्रेस की सीट रही जिला परिषद के चुनाव में 164 सीटें जीती, ब्लाक समिति2838 में से 1592 सीटें जीती वहीं कांग्रेस ने ब्लाक मे 429और जिला परिषद 53 सीट जीती है अकाली दल ने ब्लाक की 313 सीट। जिला परिषद की 32 सीट जीती है भाजपा 4 जिला परिषद और ब्लाक की जीती हैह-सम्पादकीय-News51.in
