Sunday, December 21, 2025
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दो राज्यों केरल और तेलंगाना में स्थानीय निकाय चुनाव, दोनों जगह पर कांग्रेस जीती, लेकिन केरल में वामदल गठबंधन हुई पराजित, भाजपा ने केरल की राजधानी मे खिलाया कमल

केरल में 6 महीने बाद विधान सभा का चुनाव भी होना है,लगातार दो बार विधान सभा चुनाव जीतने वाली वामदल गठबंधन 10वर्षों से लगातार सत्ता में थी और केरल की राजधानी तिरूअनंत पुरम में50 वार्ड जीत कर भाजपा ने वामदल गठबंधन से 45 वर्षों बाद राजधानी में जीत दर्ज कर वामदल गठबंधन का किला ढहा दिया, यह जीत भाजपा का मनोबल बढाने वाली है, कांग्रेस के लिए भी पूरे केरल में बम्पर जीत से यह साबित हो गया है कि वामदल नीत गठबंधन केरल में भी समाप्ति के कगार पर है,केरल राज्य के बारे में एक कहावत यह भी है कि जो गठबंधन घटक निकाय चुनाव जीतता है, वही विधान सभा चुनाव भी जीतता है, ऐसी स्थिति में कांग्रेस नीत गठबंधन बहुत उत्साहित है अब वैसे भी ऐसा लगता है कि देश में वामदल गठबंधन का आखिरी किला भी इस देश में ढहने वाला है, पश्चिम बंगाल के बाद, त्रिपुरा और अब केरल भी हाथ से निकलता दिखाई दे रहा है, यद्यपि की तेलंगाना में 1755 वार्डों में कांग्रेस ने और बी.आर. एस. यानि चंद्र शेखर राव वाली पार्टी 1008 वार्डों पर चुनाव जीती ,वहीं भाजपा मात्र 157 वार्डों पर जीत मिली, लेकिन तेलंगाना की बात इसलिए नहीं कर रहा हूं क्योंकि बाई इलेक्शन और अन्य स्थानीय चुनाव, में ये पहले से माना जाता है कि वहां जिस पार्टी की सरकार रहती है, प्रशासन और सारी सरकारी मशीनरी उसके पूरे दबाव में रहती है और ज्यादातर वही पार्टी अमूमन चुनाव जीत जाती है, इसीलिए मैं यहां केवल केरल के स्थानीय निकाय चुनाव की बात करना चाहता हूं, यह सही है कि तिरुअनंतपुरम में कांग्रेस से नाराज चल रहे तिरुअनंतपुरम के कांग्रेसी सांसद शशिथरूर की भूमिका बड़ी थी, लेकिन मात्र इस कारण भाजपा के कार्य कर्ताओं की मेहनत और लगन की उपेक्षा नहीं की जा सकती, जहां भाजपा के लिए कुछ नहीं था वहां की राजधानी तिरूअनंत पुरम के स्थानीय चुनाव जीत कर भाजपा ने केरल में भी दस्तक दे दी है, यह चुनाव कांग्रेस के लिए भी बहुत बड़ी खुशी(लगभग 15 साल बाद)लेकर आया है, और ऐसा प्रतीत होता है कि क्या देश के इस एकमात्र राज्य और देश से)भी वामदल (कम्युनिस्ट पार्टी) का सफाया होने वाला है?

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