Monday, December 23, 2024
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क्या कांग्रेस में अशोक गहलौत को प्रधानमंत्री मोदी के मुकाबले का रणनितिकार माना जाने लगा है।

क ई ऐसी घटनाऐं पिछले कई वर्षों से जाने -अनजाने में ऐसी घटित हुई हैं जहां अशोक गहलौत वाक ई कांग्रेस में अद्वितीय हीरो बन कर उभरे हैं पूरे भारत में चाहे कोई भी दल हो या कोई नेता सभी भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी की रणनीति के आगे अपने घुटने न टेके हों एक मात्र पूर्व जादूगर और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलौत। इसीलिए गांधी नेहरु परिवार के सबसे विश्वसनीय और वफादार भी बने हुए हैं जब एक तरफ मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ज्योति रादित्य सिंधिया के विद्रोह के बाद कमलनाथ सरकार गिर गई उसे मध्य प्रदेश के दिग्गज एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कमलनाथ और चाणक्य कहे जाने वाले दिग्विजय सिंह भी नहीं बचा पाये और मध्य प्रदेश में जोड़-तोड़ के बाद दोबारा भाजपा की सरकार बन गई। वही हाल कर्नाटक में भी कांग्रेस का हुआ वहाँ सिद्धीरमैया और एच डी देवगौडा भी मिलकर सरकार नहीं बचा सके, जबकि कांग्रेस के कर्नाटक के संकटमोचक कहे जाने वाले डी. शिव कुमार ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था उद्धव ठाकरे की कांग्रेस, राकांपा, शिवसेना की महाअघाड़ी सरकार महाराष्ट्र के चाणक्य कहे जाने वाले शरदपवार के रहते गिर गई, वहाँ अशोक गहलौत ने राजस्थान में सचिन पायलट के बगावत के बाद भी भाजपा के सभी प्रयासों को दरकिनार करते हुए न केवल अपनी सरकार बचाई बल्कि कुछ मजबूरन और कुछ गांधी नेहरु परिवार में अपनी आस्था के कारण सचिन पायलट को अपने कदम खींचने पड़े और वह कांग्रेस में ही बने रहे। इसी प्रकार 2018 के गुजरात चुनाव में जब सभी विशेषज्ञ भारी बहुमत से गुजरात में भाजपा सरकार दोबारा बनने की बात कर रहे थे सरकार तो भाजपा की बनी, लेकिन बमुश्किल। उस समय भी कांग्रेस के गुजरात चुनाव प्रभारी अशोक गहलौत ही थे सोनियां गांधी ने उन्हें इस बार भी गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रधान प्रभारी बनाया है। राजस्थान ही एक मात्र ऐसा प्रदेश है जहाँ से कांग्रेस को दुबारा पूरे देश में खड़ा होने का मौका अशोक गहलौत और उनकी रणनीति दिला सकती है ऐसा विश्वास अब गांधी नेहरु परिवार को भी हो चला है।

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