Tuesday, March 11, 2025
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ये कहना कि अगर”कांग्रेस के दिल्ली की 14-15 सीटों का वोट आम आदमी पार्टी में जुड़ जाता तो आम आदमी पार्टी नहीं हारती” इससे भाजपा की जीत को कम करने के अलावा और कुछ भी नहीं , भाजपा को लगातार मेहनत का इनाम मिला है, लगातार मत प्रतिशत बढा ?

कांग्रेस पर लगातार यह आरोप( टी एमसी., उमर अब्दुल्ला, अखिलेश यादव जैसे समझदार और सुलझे नेता भी, तेजस्वी यादव) ने लगातार दिल्ली विधान सभा चुनाव के दरम्यान यह कोशिश की ,कि कांग्रेस वहां चुनाव न लडे़ और केजरीवाल ने तो यहां तक कांग्रेस को धमकी दी कि अगर कांग्रेस चुनाव दिल्ली में चुनाव लडी़ तो उसे “इंडिया गठबंधन”के अन्य सहयोगियों से कहकर कांग्रेस को गठबंधन से निकलवा दूंगा, वहीं जब उत्तराखंड,गुजरात,गोवा और हरियाणा में कांग्रेस के खिलाफ खुल कर विधानसभा चुनाव लडा़ तब किसी भी सहयोगी ने चूं तक नहीं किया था।अब तो कांग्रेस के नेता खुल कर बताने लगे कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के समय भुपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा ने केजरीवाल को 5 सीट देने का आफर दिया था, लेकिन केजरीवाल ने जबाब देने के बजाय सभी सीटों पर प्रत्याशी उतार दिये और कांग्रेस .5 प्रतिशत वोट भाजपा से कम पाकर हार गयी। दिल्ली में कांग्रेस अंत समय तक केजरीवाल से गठबंधन करना चाहती थी लेकिन केजरीवाल को लगा कि वह अकेले चुनाव जीत लेगी । आखिरकार आम आदमी पार्टी के हाथ से दिल्ली तो निकली ही अब पंजाब में भी उसकी स्थिति कमजोर होगी, उसका तो अस्तित्व ही दांव पर लग गया है । अब भाजपा की बात करते हैं 2020 मेंकुल वोट 62.59 प्रतिशत वोट पडे़ थे ।38.51प्रतिशत वोट पाकर भाजपा 8 सीट जीती थी जब कि 2015 में भाजपा को 3 सीट 32.3 प्रतिशत सीट मिला था अबकी बार 45.56 प्रतिशत वोट पाकर 48 सीट जीत गयी। इसलिये भाजपा संगठन की लगातार मेहनत को नकारना ठीक नहीं । इसी तरह 2008 में कांग्रेस को23.55 प्रतिशत मत मिले और 8 सीट पर जीती और आम आदमी पार्टी को समर्भाथन दिया लेकिन दोनों में नही पटी 2015 के विधान सभा चुनाव मेंआम आदमी पार्टी को 67 सीट मिली । 2020 में53.57 प्रतिशत मत पाकर 62 सीट मिली और इसबार 2025 में42.57 प्रतिशत मत पाकर आम आदमी पार्टी को 22 सीट पर जीत मिली । भाजपा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतकर “इंडियागठबंधन”को भी एक नया जीवन दे दिया जो केजरीवाल के दिल्ली चुनाव जीतने पर नहीं हो पाता बल्कि”इंडिया गठबंधन” ही समाप्त हो जाता । केजरीवाल सरीखा महत्वाकांक्षी व्यक्ति किसी का नहीं हो सकता यह बात” इंडिया गठबंधन” के सभी सहयोगियों को समझना होगा । जो व्यक्ति अपने अपने बेटे-बेटियों की झूठी कसम खा सकता है, जो समय पड़ने पर शहीद भगत सिंह की तस्वीर लगा सकता है फिर बाबा साहब अम्बेडकर की फोटो समय पर लगा सकता है । जरूरत पड़ने पर अपनी फोटो भी लगा लेगा।वह भारतीय राजनीति का दूसरा नटवर लाल भी माना जायेगा। लोकसभा में “इंडिया गठबंधन” के सहयोगी किसी मसले एकजुट होकर प्रदर्शन तक नहीं कर पाते । जिस मामले में कांग्रेस प्रदर्शन करती है ममता बनर्जी उससे उलट सत्ता पक्ष के साथ खडी़ नजर आती है अडानी मामले में क्या हुआ था तो ममता वहां काग्रेस को नीचा दिखाने में जट जाती हैं ऐसे “इंडिया गठबंधन” कैसे चलेगा। केजरीवाल के हारने से अब सभी दलों को समझ में आ गया है । अखिलेश यादव ने कहा भी है कि “इंडिया गठबंधन” पूरी मजबूती से आगे खडा़ रहेगा ।जो केजरीवाल के रहते सम्भव नहीं था । सम्पादकीय-News51.in

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