Friday, April 25, 2025
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बिहार की राजनिति- एन.डी.ए और इंडिया गठबंधन की राजनिति मजेदार मोड़ पर, एन.डी.ए में भाजपा कमजोर होते जेडीयू के बिना लड़ कर सत्ता मेॅ नहीं आ सकती,लेकिन नीतीश को मुख्यमंत्री पद पर रणनीति के तहत स्वीकार नहीं कर सकती, उधर इंडिया गठबंधन में चुनाव से पहले कांग्रेस ,राजद से गठबंधन करेगी ही, लेकिन रणनीति के तहत तेजस्वी मुख्यमंत्री पद पर स्वीकार नहीं कर सकती, भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अपने को बिहार में चुनाव से पहलेमजबूत करने में जुटे

बिहार में विधान सभा चुनाव अक्टूबर या नवंबर 2025 में होने हैं लेकिन वहां दोनों गठबंधन घटक(एन.डी.ए और इंडिया)में यूं ही घमासान नहीं मचा है। एन.डी.ए में इधर लगभग एक-दो साल से बिहार में बहुत ही तेजी से अपराध का ग्राफ बढा है और इधर लगभग एक साल से अधिक समय से वहां की सरकार में जेडीयू के साथ भाजपा की मिली जुली सरकार है साथ ही वहां सरकारी नौकरी न होने से वहां के युवा रोजी-रोटी की समस्या से परेशान होकर बिहार छोड़कर रोजी की तलाश में अन्य प्रांतों की तरफ भाग रहे हैं अगर सरकारी सर्विस के लिए इग्जाम होता भी है तो किसी न किसी कारण प्रश्न पत्र लीक हो जा रहे हैं। नतीजतन युवा और बेरोजगार अन्य राज्यों की तरफ रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे है।इधर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अलग रवैए से उनके
स्वास्थ्य को लेकर भी अफवाह उड़ रही है। नतीजतन भाजपा बिहार में अपने को मज़बूत कर रही है और चुनाव से पहले नीतीश कुमार को चुनाव बाद मुख्य मंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करने से बच रही है लेकिन जेडीयू को नाराज न होने देना भी उसकी रणनीति का हिस्सा है,क्योंकि भाजपा बिहार में कितनी भी मज़बूत हो जाए, लेकिन जेडीयू से गठबंधन बिना उसका भला नहीं होने वाला। दोनों दलों को एक-दूसरे की जरूरत है।उधर इंडिया गठबंधन में यही हाल कांग्रेस का भी है राहुल गांधी को यह बात समझ मेंआ गयी है कि कांग्रेस जब तक खुद को अन्य राज्यों में मजबूत नहीं करेगी तबतक इंडिया गठबंधन की अन्य पार्टियां उसे उचित सम्मान नहीं देंगी। इसीलिए पहले दिल्ली में विधानसभा चुनाव में दो चुनाव बाद इस बार पहलीबार दिल्ली में यह जानते हुए भी कि कांग्रेस के सभी विधान सभा सीट पर चुनाव लड़ने से आम आदमी पार्टी दिल्ली में चुनाव हार सकती है फायदे मॅ भाजपा रहेगी, हुआ भी यही, भाजपा ने चुनाव जीत कर सरकार बना ली। अब आगे आम आदमी पार्टी की दिल्ली में वह स्थिति भी नहीं रहने वाली , क्योंकि केजरीवाल ने भी दिल्ली में हुए घोटालों की जांच से अपने को बचाने के लिए पंजाब सरकार ने केंद्र की सरकार के साथ मिलकर हमारे नेताओ की बातचीत के लिए बुलाने के बाद धोखे किसानों से गिरफ़्तारी कराई ,यह आरोप धरने पर बैठे किसानों ने लगाया है।अब राहुल गांधी ने बिहार में कांग्रेस को मज़बूत करना शुरू किया। पहले बिहार का प्रभारी अपने विश्वस्त कृष्णा अल्लू को बनाया।कृष्णा अल्लू की रिपोर्ट पर बिहार के निवर्तमान बिहार में लालू प्रसाद यादव के खास अखिलेश प्रसाद सिंह को अध्यक्ष पद से हटा कर दलित वर्ग से आने वाले कांग्रेस के विश्वस्त नेता राजेश राम को अध्यक्ष बनाया फिर पूरे प्रदेश के संगठन का जिलाध्यक्ष बनाए गए। फिर फिर तेजस्वी यादव द्वारा पूरे प्रदेश भर में नौकरी देने और पलायन रोकने से संबंधित रैलियां चलाई गई जो काफी सफल रही, क्योंकि यह युवाओं के दिल के करीब थी।.उधर पप्पू यादव और प्रशांत किशोर दोनों पर्चा लीक से प्रभावित युवाओं के साथ में कंधे से कंधा मिलाकर अलग-अलग लडाई लड़कर एक-दूसरे को युवाओं मॅ अपने को बड़ा हितैसी बता रहे थे। मुद्दा बिहार के युवाओं के दिल तक घर कर गया था। नतीजतन कांग्रेस ने एन. एस. वाई.यू. के बैनर तले युवाओ “पलायन रोको, नौकरी दो” के अंतर्गत 24 दिनों के लिए नौजवानों के साथ पदयात्रा का 16 मार्च से शुरू कर दिया, धीरे-धीरे बेरोजगार नौजवानों की भीड़ बढती गई इसी बीच पटना यूनिवर्सिटी में छात्र संघ का चुनाव हुआ। जिसमें लगभग 30-35 बाद अध्यक्ष पद छोड़कर शेष दो पदों पर कांग्रेस के छात्र विंग(एन.एस. यू. आई.) ने जीत हासिल की। अध्यक्ष पद पर भाजपा की छात्र विंग एवीबीपी की छात्रा ने जीत हासिल की।.इससे भी कन्हैया कुमार का हौंसला बढा।और कन्हैया की यह यात्रा भीड़ के लिहाज से बेहद सफल रही। पश्चिमी चंपारण के भितिहरवां के गांधी आश्रम से यह यात्रा बिहार के विभिन्न से होती हुई हाजीपुर, मोतिहारी,मुजफ्फरपुर आदि जिलों से होती कल पटना पहुंची। यहां लगभग 5000 बेरोजगारों और नौजवानों के साथ मुख्यमंत्री आवास का घेराव और गिरफ्तारियां भी दी गई। इस बीच वाटर.कैनन और लाठीचार्ज भी पुलिस बल द्वारा की गई जिन्हे बाद देर रात तक छोड़ दिया गया। तात्पर्य कांग्रेस ने बिहार में अपनी जड़ें अब वाकई काफी मजबूत कर ली है। इसके अतिरिक्त कांग्रेस ने गुजरात में कांग्रेस के महा अधिवेशन में पप्पू यादव को लालू यादव के विरोध के बावजूद निमंत्रण देकर यह बता दिया है कि कांग्रेस इंडिया गठबंधन के तहत राजद और वामदलों के साथ मिलकर ही विधानसभा चुनाव लडेगी लेकिन मुख्य मंत्री का निर्णय चुनाव बाद ही होगा। एन.डी.ए घटक भी तयं है, चुनाव मिलकर लडेंगे। लेकिन न भाजपा और न ही कांग्रेस अपने-अपने गठबंधन का मुख्य मंत्री चुनाव के पूर्व घोषित नहीं करेंगे।,-सम्पादकीय-News51.in

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