इन्कलाब – जिंदाबाद
जयंती पर विशेष याद 🇮🇳🙏…..प्रेमदत्त वर्मा— एक ऐसा क्रांतिकारी जिसने भरी अदालत में भगतसिंह व उनके साथियों खिलाफ सरकारी मुखबिर बने गद्दार साथी जयगोपाल के मुंह पर जूता दे मारा।👍🇮🇳
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प्रेमदत्त वर्मा (19 सितंबर 1911– ??? ) ने जब क्रांतिकारी संगठन ” हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन” HSRA में प्रवेश लिया तब वे अल्पवयस्क छात्र थेे। क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के कारण उन्हें ब्रिटिश हुकूमत द्वारा गिरफ्तार करके देश के बहुचर्चित लाहौर षड्यंत्र केस में अभियुक्त बनाया गया।🇮🇳
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प्रेमदत्त वर्मा द्वारा अदालत में जयगोपाल को जूता मारने के बाद अदालत स्थगित कर दी गई। सभी अभियुक्तों के हाथों में हथकड़ियां लगा दी गईं और सभी अभियुक्तों को अंग्रेज पुलिस द्वारा भरी अदालत में न्यायाधीशों के सामने घसीट-घसीट कर बहुत ही बेरहमी के साथ पीटा गया। यह न्याय का दावा करने वाली बर्बर ब्रिटिश हुकूमत की अदालत में बर्बरता का एक नमूना था।🇮🇳
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और फिर क्या था ??? ब्रिटिश हुकूमत की अदालत ने न्याय के नाम पर अपने ही बनाए कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए बगैर पूरे गवाहों की पेशी के और बिना जिरह के, अभियुक्तों की अनुपस्थिति में ही बंद कमरे की अदालत में बहुचर्चित फैसला सुना दिया गया।🇮🇳
इसमें भगत सिंह ,सुखदेव एवं राजगुरु को सजा-ए-मौत और डॉ. गया प्रसाद कटियार ,महावीर सिंह, शिव वर्मा, जयदेव कपूर, विजय कुमार सिन्हा, किशोरीलाल, कमलनाथ तिवारी को आजन्म कैद तथा कुंदनलाल गुप्त को 7 वर्ष व प्रेमदत्त वर्मा को 5 वर्ष की बामशक्कत कैद की सजा दी गई।🇮🇳
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जेल से रिहाई के बाद प्रतिभाशाली छात्र प्रेमदत्त वर्मा ने उच्च शिक्षा ग्रहण की और वे पंजाब विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष रहे। सेवानिवृत्ति के पश्चात वे अमेरिका में बस गए ।बाद के उनके शेष जीवन के बारे में जानकारी प्राप्त नहीं होती है।🇮🇳
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नोट—जयगोपाल अंग्रेज डी.एस.पी सांडर्स की हत्या की योजना में व मौके वारदात पर मौजूद था ।जयगोपाल क्रांतिकारी डॉ.गया प्रसाद कटियार की फिरोजपुर की क्लीनिक वाले मकान में 6 माह तक नौकर व कंपाउंडर बन कर रहा था। इसी की मुख्य गवाही के चलते क्रांतिकारियों को फांसी व लंबी-लंबी सजाए हुई थीं।🇮🇳
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अजेय स्वाभिमानी क्रांतिकारी प्रेमदत्त वर्मा जी को जयंती पर मेरा शत शत नमन 🇮🇳🙏
👉लेखक :– क्रांति कुमार कटियार ✍🇮🇳🙏 प्रस्तुति- सुनील कुमार दत्ता, News51.in