Monday, December 30, 2024
होमराज्यउत्तर प्रदेशपांचों राज्यों में हुए विधान सभा चुनाव में भाजपा को सभी राज्यों...

पांचों राज्यों में हुए विधान सभा चुनाव में भाजपा को सभी राज्यों में सत्ता हाथ से निकलने का डर, सभी राज्यों का एग्जिट पोल पर एक रिपोर्ट

पांच राज्यों में हुआ विधान सभा चुनाव ( उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर) का अंतिम और सातवाँ चरण आज सायंकाल शाम 6 बजे समाप्त हो गया और इसी के साथ किस राज्य में किसकी सत्ता होगी इसकी चर्चा शुरू हो गई है हम भी सभी राज्यों का एग्जिट पोल सभी चैनलों पर और सोशल मीडिया पर तमाम चैनलों का बारीकी से नजर गड़ाये रहे और साफ नजर आयाआया कि टीवी चैनलों पर दिखाये गए एग्जिट पोल्स कहीं न कहीं किसी न किसी पार्टी के पक्ष में पूर्वाग्रह से ग्रसित रहा, यही हाल सोशल मीडिया का का भी रहा, उनके एग्जिट पोल्स अलग- अलग दल के लिए पूर्वाग्रह से साफतौर पर ग्रसित नजर आया। लेकिन एक बात साफ दिख रही है कि भाजपा की मणिपुर में आर्थिक पैकेज देने के कारण कांग्रेस से थोड़ी आगे है अगर कांग्रेस पूर्ण बहुमत से एक भी सीट कम पाती है तो भाजपा सरकार बना लेगी, नहीं तो वहाँ भाजपा की सरकार बनेगी । 2017 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस को 28 और भाजपा को 21 सीट मिली थी और अन्य को 11 सीट मिली थी। वहां बहुत कम वोटों से हार -जीत होती है और कांग्रेस आज भी वहाँ काफी मजबूत है लेकिन जो कार्य पूर्वोत्तर के राज्यों को प्राथमिकता के साथ भारी आर्थिक पैकेज देने का काम भाजपा की केन्द्र सरकार ने किया है उसके कारण वहां भाजपा को थोड़ा ऐडवांटेज है दूसरे अगर किसी को मुकम्मल बहुमत नहीं मिला तो भाजपा की सरकार बन जाएगी। मेरे हिसाब से 60 सदस्य वाली विधान सभा में भाजपा को 22-24 सीट और कांग्रेस को 27-29 सीट मिल सकती है अन्य को 7-8 सीट मिल सकती है। गोवा में 40 सीट है 2017 के चुनाव में कांग्रेस को 17 ,भाजपा को 13 और अन्य को 10 सीट मिली थी वहां कांग्रेस इतनी आशावादी है कि उसने शिवसेना और शरद पवार की पार्टी से गठबंधन करने से इंकार किया और ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल की आप पार्टी के रहते हुए भी चुनाव लड़ा है और भाजपा की पार्टी की एंटीइनकैम्बेंसी का खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ेगा। मेरे हिसाब से वहां भाजपा को 12-14,कांग्रेस को 21-23 सीट मिल सकती है यहां भी अगर -मगर का खेल है कि पिछली बार की तरह कांग्रेस को अगर पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो? इसीलिए इस चुनाव ने गोवा के चुनाव में कांग्रेस ने इस पर जनता को आगाह किया और पी. चिदंम्बरम को प्रभारी बना कर वहां भेजा है। पंजाब में कैप्टन अमरिन्दर सिंह और भाजपा के लिए कुछ नहीं है अकालीदल भी अपने कैडर वोट के कारण कुछ सीटें हासिल करेगी। हालांकि वहाँ असल लड़ाई कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच है। 2017 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस 77सीट, आम आदमी पार्टी 20 सीट और अन्य को 22 सीट मिली थी। इस बार आम आदमी पार्टी ने भगवंत सिंह मान को अपना मुख्य मंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है कांग्रेस ने दलित समुदाय के चरनजीत सिंह चन्नी को मुख्य मंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया। यही सबसे बड़ा फैक्टर इस चुनाव में कांग्रेस को भारी फायदा दिला रहा है। चरनजीत सिंह चन्नी के 111 दिन के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए किये गये कार्यों ने कांग्रेस को चुनाव में लाभ पहुंचाया है एक समय कांग्रेस पार्टी की पंजाब की अंर्त कलहः ने पार्टी को काफी नुकसान पहुंचाया था और ऐसा लगने लगा था कि आप पार्टी वहाँ सरकार बना लेगी लेकिन एक तो भगवंत सिंह मान, चरनजीत सिंह चन्नी के मुकाबले काफी हल्के साबित हुए दूसरा चरण जीत सिंह चन्नी का दलित समुदाय का होना, जो पंजाब की आबादी का 33 फीसदी हिस्सा है । मेरे अनुसार 117 सदस्यों वाली विधान सभा में 1-4 सीट भाजपा +कैप्टन अमरिन्दर सिंह, आम आदमी पार्टी को 35-38 सीट, अकाली दल बादल 14-16सीट ,कांग्रेस को 65-70 सीट, अन्य को 1-4 सीट मिल सकती है यहां अगर दलित समुदाय एक जुट हुआ तो कांग्रेस के सीटों की संख्या बढ भी सकती है। यहां कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलने जा रहा है। उत्तराखंड में पांच साल में भाजपा के प्रति जनता का आक्रोश बहुत ज्यादा था तीन- तीन मुख्य मंत्री पांच साल में बदले गए। हरीश रावत सबसे बड़े नेता बनकर उभरे इस उम्र में उनकी सक्रियता और रणनीति के आगे भाजपा नेतृत्व नतमस्तक था क ई नेता जो कांग्रेस छोड़कर गए थे, वापस लौटना चाहते थे और भाजपा नेता भी कांग्रेस में शामिल होना चाहते थे लेकिन हरीश रावत ने सख्ती से सबको मना कर दिया क्योंकि वह जानते थे फिर कांग्रेस के वफादार नेताओं को समझाना मुश्किल हो जाता। 2017 के चुनाव में भाजपा को 57 ,कांग्रेस को 11 तथा 2 सीट अन्य को मिली थी। इसबार 20-22 सीट भाजपा, कांग्रेस को 44-46 सीट तथा अन्य को 1-3 सीट मिल सकती है। अब उत्तर प्रदेश में भाजपा की लड़ाई थोड़ी आसान होती क्योंकि यहाँ विपक्ष बंटा हुआ था कांग्रेस, सपा, बसपा के साथ आप पार्टी भी थी भाजपा की मदद में विपक्ष का अल्पसंख्यक समुदाय का वोट काटने के लिए ओबैसी की पार्टी भी थी। बसपा चुनाव बाद भाजपा से मिलने को सपा के विरोध में तैयार बैठी है। लेकिन यहां भाजपा का दुर्भाग्य ये रहा कि मायावती की पार्टी बसपा काफी कमजोर हो चुकी है उसके वोट बैंक में टूट फूट हो चुकी है। कांग्रेस पार्टी अभी अपने संगठन को मजबूती प्रदान करने में लगी है और 32 साल में पहली बार सभी सीटों पर चुनाव लड़ी है लेकिन अगर ऐसे ही सिलसिले प्रियंका गांधी की तरफ चलता रहा और ऐसी ही मेहनत और लगातार सक्रियता उन्होने किया तो कांग्रेस को यूपी में मजबूत होते देर नहीं लगेगी। मुझे बताया गया है कि इस चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में भारी फेर बदल और सक्रियता बढाने के रोड मैप तैयार किया गया है। फिलहाल बात इस चुनाव की हो रही है। उत्तर प्रदेश में 2017 के चुनाव में भाजपा गठबंधन को 325 सीट, सपा को 40 सीट, बसपा को 19 सीट और कांग्रेस को 7 सीट मिली थी। इस बार भाजपा का मुख्य ऐजेंडा राम मंदिर और हिंदू मुस्लिम कार्ड न चल पाना और किसानों का साल भर चले आंदोलन और उसमें हुई भारी मौत, महंगाई, योगी बेरोजगारी जैसी बातों ने, उपर से आदित्य नाथ की हठवादी राजनीति ,विपक्ष को प्रताड़ित करने वाली शैली ।इन सभी घटनाओं से जनता में भारी रोष था चुनाव के दौरान भाजपा नेताओं के प्रति जनता का आक्रोश से भी लोगों की नाराजगी सबने देखा। इन सब का लाभ सपा को मिल रहा है। दूसरे अखिलेश यादव ने जिस प्रकार चुनाव को अगड़ा बनाम पिछड़ा करते हुए छोटे दलों के साथ गठबंधन किया वह देखने योग्य था। सबसे बड़ा लाभ सपा को जयंत चौधरी की रालोद और ओम प्रकाश राजभर की पार्टी से गठबंधन से हुआ इसके अलावा हरिशंकर तिवारी जैसे ब्राम्हण नेता को अपने साथ मिलाकर अपने को बेहद मजबूत बनाया है मेरे हिसाब से सपा को पूर्ण बहुमत मिलने जा रहा है भाजपा150 -170 सीट मिल सकती है। बसपा 25-30 सीट और कांग्रेस को 20 -25 सीट तक अधिकतम जाएगी और यदि किसी कारणवश सपा को थोड़ी बहुत सीट कम होती है तो कांग्रेस तैयार खड़ी है वैसे इसकी जरूरत शायद ही हो। एक जो सबसे महत्वपूर्ण बात बतानी यह है कि सपा और भाजपा के बीच सीधी टक्कर का जो पोलराइजेशन हुआ है इसका सबसे बड़ा नुकसान कांग्रेस पार्टी को ही हुआ है वह दो पाटों के बीच दब गई अन्यथा कांग्रेस को और ज्यादा सीट अवश्य प्राप्त होनी चाहिए थी। पहले यूपी के चुनाव में चतुष्कोणीय लडा़ई लड़ाई जमकर होती थी लेकिन इसबार लडा़ई सीधी भाजपा और सपा के बीच हो जाने का भी खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ रहा है इसीलिए ऐसा लगता है कि कहीं सपा की पूर्ण बहुमत की सरकार यूपी में तो नहीं बनने जा रही हैं। सम्पादकीय -News 51.in

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments