Wednesday, May 15, 2024
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धर्मेंद्र -एक ऐसा सितारा, जिसे हमेशा कम आंका गया, लेकिन जिसने गाँव के भोले-भाले नौजवान ने धीरे -धीरे बड़े- बड़े महारथियों को भी पछाड़ दिया

8 दिसम्बर 1935 को पंजाब के पखवाड़ा में जन्मे धर्मेंद्र को बचपन से ही फिल्में देखने का बड़ा शौक था और दूसरा शौक पहलवानी का था समय के साथ फिल्मे देखते -देखते ना जाने कब फिल्मों में काम करने का चस्का लग गया। उस समय वह ट्यूबवैल आपरेटर की नौकरी कर रहे थे और शरीर भी पहलवानों की तरह था गोरे चिट्टे धर्मेंद्र ने अखबारों में 1958 में मशहूर फिल्मी पत्रिका में फिल्म फेयर में एक विझापन पढ कर वो अपने को रोक नहीं सके जिसमें नये लड़कों को फिल्मों में अभिनय के लिए चुनाव किया जाना था, धर्मेंद्र भी नौकरी छोड़ कर फिल्म फेयर कांटेस्ट में भाग लेने फिल्मों की मायावी नगरी मुम्बई आ गए और वहां फिल्म फेयर कांटेस्ट में मनोज कुमार के साथ वह भी चुन लिए गये। लेकिन अभी तक किसी फिल्म में काम नहीं मिलने से पास के पैसे भी खत्म होने लगे। वहीं फिल्मों में अभिनय की तलाश में आये अर्जुन हिंगोरानी ने छोटी कैंटीन चाय समोसे की खोल ली थी। उससे धर्मेंद्र की दोस्ती हो गई थी। क ई बार भूखे सोने की नौबत भी आई तब अर्जुन हिंगोरानी उन्हें उधार खिला दिया करते थे। स्टूडियो -स्टूडियो काम की तलाश में घूमने लगे। कभी उन्हें कोई पहलवान और कभी फुटबॉल खिलाड़ी जैसा बताता। अंत में एक फिल्म मिली लेकिन तभी अपने मामा की सिफारिशी चिट्ठी की बदौलत वह फिल्म भी मनोज कुमार को मिल गई। तबतक उनके मित्र अर्जुन हिंगोरानी फिल्म निर्माता और निर्देशक बन गए थे उन्होंने धर्मेंद्र को अपनी फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे में उन्हें हीरो बनाया। फिल्म तो फ्लाप रही ,लेकिन लोग इन्हें पहचानने लगे फिर तो फिल्मे मिलने का सिलसिला भी चल निकला फिर तो अनपढ मालासिन्हा, पूजा के फूल, नूतन के साथ बंदिनी और मीना कुमारी के साथ काजल फिल्म किया और इन्हें हिरोईनों का हीरो माना गया। 1966 में आई फिल्म फूल और पत्थर में धर्मेंद्र का हीमैन के रूप में नया अवतार हुआ। इस फिल्म में धर्मेंद्र की बाडी और उनकी हीमैन वाले रूप ने तहलका मचा दिया और फिल्म ने सफलता के जबर्दस्त झंडा गाड़ दिया फिर तो धर्मेंद्र को फिल्मों की लाईन लग गयी, लेकिन मीना कुमारी की संगत में शराब पीने की लत भी लग गयी। ऋषिकेश मुखर्जी के ये प्रिय थे अनुपमा, मझली दीदी, सत्यकाम आदि फिल्मों में अभिनय किया। उनकी पर्सनालिटी मर्दानी और मजबूत कदकाठी की थी और बेहद हैंडसम पर्सनालिटी के थे अधिकतर इनके साथ काम करने वाली हीरोइन इनके आकर्षण में रहती थीं। एक बार दिलीप कुमार ने कहा था कि अगर मैं खुदा दर पर जाऊंगा तो एक ही शिकायत करूंगा कि मुझे धर्मेंद्र जैसी ही खूबसूरत जिस्म और खूबसूरती क्यों नहीं दिया। 70 के दशक में एक सर्वेक्षण में धर्मेंद्र को दुनियां के हैंडसम पर्सनालिटी में शामिल किया गया था। आशापारिख, नूतन, सायराबानू मीनाकुमारी वैजयंती माला आदि हिरोईनों के साथ इन्होने लगभग 6 दशक तक फिल्मों में अभिनय किया। बाद में शराफत फिल्म करते हुए इनका झुकाव हेमामालिनी की तरफ हुआ और इनकी जोड़ी ने क ई फिल्मों में अभिनय किया ड्रीम गर्ल, चरस, आसपास, प्रतिझा, राजाजानी, अलीबाबा चालीस,बगावत,चरस, दोस्त आदि फिल्मों में काम किया। वह दोस्तों के लिए क ई बार मुफ्त भी काम कर लेते थे मगर उनके गुस्से से सभी डरते थे। फिरोज खान, राजकुमार, जितेंद्र, संजीव कुमार को मारने पहुंच गये थे संजीव और जितेंद्र ने इनके डर से हेमामालिनी से दूरी बना ली थी तो पार्टी में फिरोज खान को कालर पकड पीटा था और राजकुमार ने इन्हें जितेंद्र कह कर पुकारा तो उनको मारने दौड़े लोगों ने बचाया। इनके गुस्से के कारण लोग इन्हें “गरम धरम ” भी कहते थे बाद में इन्होने हेमामालिनी से धर्मेंद्र ने दूसरा विवाह किया जिनसे दो पुत्रियां पैदा हुई।

चाहे राजेश खन्ना की आंधी रही हो या अमिताभ बच्चन का दौर आया हो लेकिन धर्मेंद्र पर इनसभी का कोई असर नहीं पड़ा। अमिताभ बच्चन के साथ चुपके -चुपके, चाचा भतीजा, शोले आदि क ई फिल्मों में अभिनय किया और हर बार अमिताभ बच्चन धर्मेंद्र के सामने फीके पड़े। रोमांटिक, रफटफ वाली भूमिका हो या ऐक्शन और मारधाड़ वाली फिल्म हो या कामेडी और गंभीर भूमिका रही हो सभी में धर्मेंद्र ने अपना लोहा मनवाया आज वह अपने फार्म हाउस पर खेती बाड़ी कर रहे हैं अब तो उनके बेटों के बाद पोते भी फिल्मों में अभिनय करने लगे हैं धर्मेंद्र 87 वर्ष के हो गए हैं लेकिन यही कहा जा सकता है कि धर्मेंद्र जैसा हीरो न कभी हुआ और भविष्य में न कोई होगा। धर्मेंद्र जैसा कोई नहीं -सम्पादकीय -News 51,in

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