उनकी इस देंन के लिए मानव जाति उनकी ऋणी है और ऋणी रहेगी – महान वैज्ञानिक गैलिलियो
( दीवाल घड़ी के पेन्डुलम , प्लस मीटर ( नाडी स्पन्दनमापी ) , प्रारम्भिक थर्मामीटर ,
दूरदर्शी ( टेलिस्कोप ) के महान आविष्कारक गैलिलियो )
गैलिलियो का पूरा नाम गैलिलियो गैलिली था | उनका जन्म 14 फरवरी 1564 में इटली के पीसा नगर में हुआ था | पीसा नगर दुनिया के आश्चर्यजनक निर्माणों में शामिल — पीसा के मीनार है , जो एक ओर झुकी हुई है |
गैलिलियो के पिता अपने समय के विद्वान् थे और वे गैलिलियो को डाक्टर बनाना चाहते थे | लेकिन बचपन से उनकी वैज्ञानिक प्रतिभा उन्हें एक अन्वेषक व् वैज्ञानिक बनाने का यतन करने लग गयी थी | किशोरावस्था में ही उन्होंने पेन्डुलम का सिद्दांत प्रस्तुत कर दिया | उसकी शुरुआत गिरजाघर में हुई , जहा वे प्रार्थना के लिए गये थे | गिरजा घर में जंजीर के सहारे एक बड़ा लैम्प लटका हुआ था | हवा के झोके के साथ लैम्प कभी दूर और कभी थोड़ा नजदीक जाकर पुन: अपनी जगह लौट आता था | गैलिलियो ने इस बात को ध्यान से देखा कि चाहे वह लैम्प ज्यादा दूर जाए चाहे कम उसे अपनी जगह वापस आने में उतना ही समय लगता है | समय में कोई अंतर नही आता | गिरजाघर में लैम्प के दूर और नजदीक से वापस आने का समय नोट करने के लिए गैलिलियो ने अपनी नाडी का गति सहारा लिया था | क्योकि उस समय तक समय मापने के लिए घडियो का प्रचलन नही पाया था | इस तरह से गैलिलियो ने अपनी इस खोज से जहा समय मापने के लिए पेन्डुलम की खोज कर दी , वही और उसी के साथ ही नाडी के गति मापने के लिए वे प्लस मीटर के रचना करने में सफल हुए | बाद में गैलिलियो के पुत्र विन्सेजी ने इसी आधार पर समय की माप के लिए पेन्डुलम वाली दीवाल घडियो के कई माडल बनाये |
गैलिलियो ने अरस्तु के कथन अनुसार पूरे समाज में प्रचलित इस अवधारणा को भी गलत साबित कर दिया कि अगर दो असमान भार के अर्थात भारी और हल्के वजन के वस्तुओ को एक ही उचाई से गिराया जाए , तो भारी वजन वाली वस्तु पहले और हल्की वजन की वस्तु बाद में जमीन में गिरेगी | गैलिलियो ने दावा किया कि यह बात गलत है | दोनों एक ही समय में जमीन पर गिरेगी | इसे साबित करने के लिए गैलिलियो ने पीसा के मीनार को चुना | वहा के लोग भी इसे देखने के लिए मीनार के नीचे खड़े थे कि क्या गैलिलियो का कहना सही है और उनका आज तक का ज्ञान व विश्वास गलत है ? गैलिलियो ने मीनार की सबसे उची मंजिल से दो असमान भार के गोलों को एक साथ नीचे गिरा दिया | लोग यह देखकर आश्चर्यचकित रह गये कि दोनों गोले एक ही साथ पृथ्वी पर गिरे |
गैलिलियो का कथन सही और लोगो का अपना ज्ञान — विश्वास झूठा साबित हुआ | गैलिलियो का यह प्रयोग वस्तुत: उनके पृथ्वी के गुरत्वाकर्षण के उस समय के वौज्ञानिक समझ को प्रदर्शित करता है जिसको अपने पूरे वैज्ञानिक खोज व सिद्दांत के साथ न्यूटन ने लगभग सौ वर्ष बाद प्रस्तुत किया | गैलिलियो ने अपने विद्यार्थी जीवन में गणित के शिक्षा प्राप्त की और बाद में पिडुआ विश्वविद्यालय में गणित के प्राध्यापक भी बन गये | लेकिन प्राकृतिक घटनाओं और उसके रहस्यों की वैज्ञानिक खोज में वे लगातार लगे रहे |
गैलिलियो का तीसरा बड़ा वैज्ञानिक आविष्कार शरीर का ताप मापने वाले प्रारम्भिक थर्मामीटर के निर्माण का रहा है | उनके द्वारा बनाया गया प्रारम्भिक थर्मामीटर का नाम वाटर थ्रमोस्कोप था | इसमें पारे के जगह पानी का उपयोग किया गया था | बाद की शताब्दियों में कई बार सुधार करते हुए इसे आधुनिक थर्मामीटर के रूप में प्रस्तुत किया गया |
गैलिलियो ने दूरदर्शी यंत्र के रूप में अपना सबसे बड़ा और महान आविष्कार किया | उन्होंने लगातार और बड़ी मेहनत से ताबे के नलकी के दोनों सिरों पर दूर तक दिखाई पड़ने वाली शीशो को फिट कर संसार के पहले सफल दूरबीन का ईजाद किया | दूरबीन के इस आविष्कार के बाद तो इटली में मानो भूचाल सा आ गया | इसे देखने व जानने के लिए वहा के राजा से लेकर समूचा अभिजात वर्ग उतावला हो उठा पीसा की मीनार पर चढ़कर लोगो ने इस दूरबीन के जरिये दूर समुन्द्र में खड़े जहाजो को उनके वास्तविक दूरी से दस गुना समीप देखा |
बाद के दौर में भी गैलिलियो अपनी दूरबीन को विकसित करते रहे | अपने इन्ही प्रयत्नों से बाद में उन्होंने ऐसी दूरबीन बनाई जिससे चाँद — सितारों को भी देखा जा सकता था | उन्होंने इस दूरबीन की सहायता से आकाशीय रहस्यों का अध्ययन लगातार जारी रखा | लोगो का विचार था कि चाँद — सितारे चमकदार धातु छोटे बड़े टुकड़े है जिन्हें आकाश में जड़ दिया गया है और उनमे कई सितारे तो पृथ्वी और सूरज से भी बड़े है |
अपने इसी यंत्र से गैलिलियो ने अपने से पहले महान वैज्ञानिक कापर निकस के विचारो के पुष्टि भी की | कापर निकस का कहना था कि ब्रह्माण्ड का केन्द्र सूर्य है न कि पृथ्वी | इसीलिए पृथ्वी समेत ब्रह्माण्ड के सभी ग्रह सूर्य का चक्कर लगाते रहते है | यह अवधारणा वहा ( और इस देश में भी ) प्रचलित अवधारणाओ धार्मिक शिक्षाओं के एकदम विपरीत थी | क्योकि इन अवधारणाओ शिक्षाओं अनुसार सूर्य पृथ्वी के चारो ओर चक्कर काटता है जैसे कि हमे दिखाई भी पड़ता है |
सूर्य के स्थिरता तथा उसके चारो ओर पृथ्वी के घुमने के सिद्दांत का प्रतिपादन करने के बाद 1616 में उनके इस प्रतिपादन को धार्मिक विश्वासों के विपरीत घोषित कर दिया गया | इसका अभियोग भी गैलिलियो पर लगाया गया | इस अभियोग को लेकर गैलिलियो को चर्च के पादरी व अन्य धर्माधिकारियो के समक्ष प्रस्तुत होना पडा | धार्मिक संस्थाओं तथा सरकार द्वारा उन्हें अपने इस सिद्दांत को कहने बताने पर रोक लगा दी गयी | 1630 तक गैलिलियो ने इस संदर्भ में कोई बात नही की | लेकिन उसके बाद उन्होंने अपनी पुस्तक ” डायलाग्स क्न्सर्निग टू प्रिसंपल सिस्टम आफ दी वर्ल्ड ” में उन्होंने पुआरनी मान्यता और अपनी नई खोज को एकदम स्पष्ट रूप से प्रकाशित कर दिया |
इसी आधार पर उन पर पुन: अभियोग लगाया गया और 70 वर्ष के बूढ़े गैलिलियो को पुन: अदालत आना पडा | धर्माधिकारियो और राज्याधिकारियो ने उन पर दवाव डाला कि अगर वह अपने कथन को झूठा मान ले तो उन्हें माफ़ किया जा सकता है | गैलिलियो अपने सिद्दांत को नकारने के लिए खड़े भी हुए , पर पृथ्वी की ओर देखते हुए धीमे से कहा कि ‘ पृथ्वी अभी भी सूर्य के चारो ओर घूम रही है | उन्होंने पृथ्वी की ओर देखते हुए धीमे स्वर में पुन: यही दोहराया | फलस्वरूप गैलिलियो को कैद में रखे जाने की सजा हुई | लगभग सात साल बाद अत्यंत वृद्द एवं कमजोर हो गये गैलिलियो को कारागार से मुक्ति मिली | बाद में उनकी आखो की रौशनी जाती रही और 1642 में उनका देहान्त हो गया | लेकिन मानव जाति को दिया गया यह अनमोल अन्वेषण उसके अन्वेषक को सदा सदा के लिए अमर कर दिया | उनकी इस देंन के लिए मानव जाति उनकी ऋणी है और ऋणी रहेगी ……………………………
..सुनील दत्ता — स्वतंत्र पत्रकार व दस्तावेजी प्रेस छायाकार