आपको याद होगा संम्भवतः 2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी जी ने कांग्रेस को सौ साल बूढी पार्टी बताया था तो प्रियंका गांधी ने हंसते हुए पत्रकारों से पूछा था कि क्या मैं आपको बूढी लगती हूं तो बाद में प्रत्यूत्तर देते हुए मोदी जी ने कहा था अब मैं कांग्रेस को गुडि़ं़या कांग्रेस कहूंगा तो दुबारा जब पत्रकारों ने प्रियंका गांधी को यह बात बताई तो उन्होने कहा कि मोदी जी से कहिये कि बुढिया – गुडि़़या पर ही अंटके रहेंगे ,फिर उसके बाद मोदी जी ने इसपर कोई बात नहीं कही। हिमांचल और कर्नाटक विधान सभा चुनाव में प्रधान मंत्री मोदी जी ने जमकर चुनावी सभाएं की,प्रियंका गांधी को भी हिमांचल का चुनाव प्रभारी कांग्रेस की तरफ से बनाया गया ।कर्नाटक में भी प्रियंका गांधी ने खूब चुनाव प्रचार किया।वहां प्रचार के समय मोदी जी ने जनता को बताया कि कांग्रेस के नेताओं की तरफ सेउन्हे निन्यानबे गालियां दी और वहां के लोकल बीजेपी नेताओं ने प्रधान मंत्री मोदी जी के नाम वोट देने की बात की,पहले के चुनावों में मोदी जी के नाम पर वोट भी मिलते थे लेकिन वहीं कर्नाटक के विधान सभा चुनावों में प्रियंका गांधी ने कहा कि ऐसा प्रधान मंत्री मैने नहीं देखा जो जनता के बारे में न बोल कर अपना दुखडा़ रो रहा हो और यह भी कहा कि क्या कर्नाटक में नेतृत्व करने वाला नहीं है जो मोदी जी के नाम पर वोट मांगा गया। इसी प्रकार मध्य प्रदेश में भी प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी जी के भाषणों पर सधा और तीखा जबाब दिया है।अब येसब तो लोकसभा चुनाव तक आरोप- प्रत्यारोप चलते रहेंगे ,लेकिन जहां राहुल गांधी के निडरता और बिना डरे सरकार की और बीजेपी के खिलाफ बोल जाते हैं लेकिन उनके भाषणों में वह तारतम्यता और जनता से भावनात्मक जुडा़व नहीं रख पाते साथ ही अतिरिक्त जोश में।ऐसी -ऐसी बातें भी बोल।जाते हैं जिनका कोई मतलब नहीं होता और उनके लिए परेशानी का सबब भी बन।जाते हैं और विरोधियों को बैठे बिठाए उनके खिलाफ हथियार भी मिल जाता है ।राजनीति में अच्छे ढंग से अपनी बात को रख पाने वाले नेता कम ही हैं ।पहले पूर्व प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, अटल बिहारी वाजपेई, सुभाष चंद्र बोस, इंदिरा गांधी जैसे शानदार वक्ता थे। हाल के वर्षों में ऐसा ही कुछ अपने भाषणों में प्रधान मंत्री मोदी और प्रियंका गांधी बोल लेती हैं चुनावों और राजनीति में कब, कहां और क्या बोलना है, जैसे विधान सभा चुनावों में स्थानीय मुद्दों,वहां की भौगोलिक स्थिति,जातिगत और धार्मिक स्थिति का विशेष ध्यान रखना पड़ता है वहीं लोकसभा चुनावों में देश की स्थिति, सीमा, विदेश निती के साथ देश के अंदर की गतिविधियों पर फोकस किया जाता है। मुझे याद है पिछले बिहार विधान सभा चुनाव में जहां पक्ष-प्रतिपक्ष के नेता अपने भाषणों में महंगाई, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा, किसान हितों।और नौजवानो की समस्याओं का जिक्र करते थे।राहुल गांधी ने वैसे।तो वहां बहुत कम रैलियां की थी लेकिन जो।एक – दो रैली की उसमें चीन सीमा विवाद पर ज्यादा फोकस रखा, जबकि विधानसभा का चुनाव था। News 51.in