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निधन : औरंगजेब का पहला प्यार हीराबाई, जिस पर मरमिटा था मुगल शासक
निधन : औरंगजेब का पहला प्यार हीराबाई, जिस पर मरमिटा था मुगल शासक
औरंगजेब और हीराबाई के प्यार की पेंटिंग
भारत के सबसे विवादास्पद मुगल शासक का निधन बीमारी के बाद 03 मार्च 1707 को हो गया था. इतिहास में औरंगजेब को बहुत शुष्क, कठोर दिल वाला और स्त्रियों से दूर रहने वाला मुगल बादशाह कहा जाता है लेकिन वो भी प्यार में दो बार बहुत बुरी तरह गिरफ्तार हुआ. इसमें पहला प्यार उसे एक गाने वाली हीराबाई से हुआ, जो बला की खूबसूरत और अल्हड़ क्रिश्चियन युवती थी
आमतौर पर ये माना जाता है कि औरंगजेब बहुत शुष्क मिजाज और धर्म के लिए कट्टर शासक था. हकीकत में औरंगजेब को कई बार प्यार हुआ था, जिसमें दो प्यार के किस्से तो किताबों में लिखे मिल जाते हैं. पहला किस्सा तब का है जब वो एकदम युवा था. दूसरा किस्सा तब का है जब वो दिल्ली की गद्दी पर आसीन हुआ था और उसका दिल बड़े भाई की बीवी पर आ गया था. इसके अलावा औरंगजेब का भी हरम था. उसकी एक चर्चित रखैल भी थी.
हम यहां जिसकी चर्चा करने जा रहे हैं, वो उसका पहला प्यार है. जिसे औरंगजेब जिंदगी में कभी भूल नहीं पाया. इसके किस्से कई जगह मिल जाते हैं. उसके इस प्यार का नाम हीरा बाई था. वो ईसाई थी. औरंगाबाद के पास उसके मौसा के हरम में रहने वाली मामूली लड़की थी. लेकिन बेइंतिहा सुंदर और गजब की गायिका.
तब औरंगजेब युवा था. उसकी बहादुरी के चर्चे तो खूब थे लेकिन शाहजहां का सबसे प्रिय था उसका बड़ा भाई दारा शिकोह. जब बादशाह शाहजहां ने औरंगजेब को दोबारा दक्खन को संभालने भेजा गया तो वो वहां नहीं जाना चाहता था लेकिन बादशाह का आदेश था, इसलिए जाना ही पड़ा. सियासी चालों ने उसे खिन्न कर दिया था. वो दिल्ली से दूर जाना भी नहीं चाहता था.
पहली बार औरंगजेब ने तब देखा उसे
हेरम्ब चतुर्वेदी ने अपनी किताब “दो सुल्तान, दो बादशाह और उनका प्रणय परिवेश” में औरंगजेब के जीवन में आए प्यार पर लिखा है. किताब कहती है, ” औरंगजेब अजीब मनोदशा में दक्खन पहुंचा. इसके बाद वो अपनी मौसी से मिलने के लिए जैनाबाद, बुरहानपुर चला गया. उसके मौसा थे मीर खलील. जिनको बाद में औरंगजेब ने खानदेश का सूबेदार भी बनाया था.इन मौसा-मौसी से उसके रिश्ते काफी अच्छे थे. जब वो वहां प्रवास कर रहा था तब वो मानसिक अस्थिरता की हालत में मन बहलाने की नीयत से घूमने निकला.”“औरंगजेब घूमते घूमते जैनाबाद-बुरहानपुर के हिरन उद्यान जा पहुंचा. तभी वहां वो जैनाबादी से रू-ब-रू हुआ. जिसका संगीत कौशल और नाजो अदाएं बहुत दिलकश थी. किसी को भी अपनी ओर खींच लेती थीं.
उसकी अदाओं से आकर्षित हो गया युवा औरंगजेब
किताब कहती है कि जब औरंगजेब वहां पहुंचा तभी जैनाबादी हरम की अन्य स्त्रियों के साथ वहां आई. फलों से लदे आम के पेड़ से आम तोड़ा और आगे बढ़कर गाना गाने लगी. वो शहजादे की मौजूदगी को नजरंदाज कर रही थी. उसके नाजो-अदा, अप्रतिम सुंदरता और गाने-गुनगुनाने के साथ बेतकल्लुफ अंदाज ने औरंगजेब का ध्यान उसकी ओर खींचा.
युवा औरंगजेब अल्हड़ युवती जैनाबादी के गाने और अदाओं पर ऐसा मरमिटा कि पहली ही नजर में उसके प्यार में गिरफ्तार हो गया
पूरी तरह उस युवती पर आसक्त हो चुका था
औरंगजेब अनायास उस पर मोहित हो गया. इसके बाद उसने किसी तरह मौसा से जैनाबादी को हासिल किया. हालांकि वो कठोर इंद्रीय दमन, संयम और पवित्र प्रशिक्षण के लिए जाना जाता था लेकिन इसके बाद भी वा जैनाबादी पर पूरी तरह आसक्त हो चुका था.
एक पेंटर ने बाद में जैनाबादी हीराबाई की आधुनिक पेटिंग बनाई तो उसमें उसकी सुंदरता कुछ यूं उकेरी
हर कोई हैरान था औरंगजेब के इस व्यवहार पर
औरंगजेब को जो भी जानते थे, वो उसके इस व्यवहार पर चकित और
किसी की समझ में नहीं आ रहा है कि औरंगजेब अपने मिजाज के खिलाफ ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है. कहा जा सकता है कि जैनाबादी से मुलाकात ने उसे नया उत्साह दे दिया था.
सुधबुध खो बैठा, लौटकर देर तक सोता रहा
जैनाबादी को देखने और उसकी अल्हड़ हरकतों से रू-ब-रू होने के बाद वो होशोहवाश खो बैठा. मौसा-मौसी के घर लौटकर वो तीन पहर तक सोता रहा. फिर मौसी को सारी बात बताकर ये अनुरोध किया कि वो अपने पति को मनाएं कि उस बांदी को वो छोड़ दें. मौसा ने वैसा ही किया.
समय हीराबाई के साथ गुजरने लगा
औरंगजेब तो पूरी तरह जैनाबादी उर्फ हीराबाई पर लट्टू हो चुका था. वह अब दक्खन में शासन-प्रशासन के अलावा अगर कहीं वक्त गुजारता तो सिर्फ जैनाबादी के साथ. जैनाबादी का जादू उस पर किस तरह छाया रहा. इसके उदाहरण मिलते है.
तब उसने प्यार का वास्ता देकर औरंगजेब को मदिरा पिला ही दी थी
एक बार तो हद ही हो गई. एक दिन जैनाबादी ने मदिरा का प्याला औरंगजेब के हाथों में दिया और पीने का निवेदन किया. औरंगजेब जितनी मजबूती से इसको मना करता, वो उतने ही प्यार से निवेदन करती. वह उसको अपनी अदाओं से रिझाती. कसमें खिलाती, कसमें खिलाती और प्यार का वास्ता देती. बाद में उसने औरंगजेब को डिगा ही दिया.
‘अहकाम’ के लेखक के अनुसार, “जैसे ही औरंगजेब ने मदिरा का प्याला होठों से लगाया, तभी जैनाबादी ने उसे छीन लिया. उसने कहा मेरा उद्देश्य बस तुम्हारे प्रेम की परीक्षा लेने का था.” औरंगजेब के इस प्यार की खबर दिल्ली में बादशाह शाहजहां तक भी पहुंची.
एक साल में ही हो गई प्रेमिका की मृत्यु
कहा जाता है कि औरंगजेब उसके प्यार में डूबता ही चला गया. उसकी हर शाम और खाली वक्त जैनाबादी के साथ ही गुजरता. दुर्भाग्य से औरंगजेब को जब वो सत्ता संघर्ष के लिए मानसिक और मनोवैज्ञानिक तौर पर तैयार करती, तभी 1654 में उसकी मृत्यु हो गई. जिससे औरंगजेब गम में डूब गया. औरंगजेब ने पूरे शासकीय सम्मान के साथ दफनाया गया।