Saturday, December 21, 2024
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एक दिवसीय विश्व क्रिकेट चैंम्पियनशिप- जिसका डर था ,वही बात हो ग ई,10 रिकार्डतोड़ जीत के बाद अविश्वसनीय हार

भारतीय क्रिकेट टीम ने इस एक दिवसीय क्रिकेट के विश्व चैंम्पियनशिप में जिस पराक्रम के साथ लीग मैचों में जिस तरह से सभी टीमों कोहराया नहीं, बल्कि रौंदा था एकबारगी क्रिकेट के बडे़ -बडे़ सूरमा भी यह कहने को मजबूर हो गये थे यह भारतीय टीम अबतक की विश्व चैम्पियनशिप में भाग लेने वाली सभी टीमों में सर्वश्रेष्ठ है और न केवल सर्वश्रेष्ठ है बल्कि इस विश्वकप में भाग लेने वाले सभी भारतीय खिलाडी़ इस समय अपने सर्वश्रेष्ठ फार्म में हैं , चाहें बल्लेबाज हों या गेंदबाज। लेकिन जिस अनहोनी का डर था, वह हो गया ।जिस आस्ट्रेलियाई टीम ने अपनी शुरूवात लगातार दो हार से की थी और भारत ने भी उन्हे लीग मैच में बुरी तरह हराया था और जिसे फाईनल तक पहुंचने वाली टीम तक नहीं माना गया था। वह न केवल बाद में लगातार आठ जीत के बाद फाईनल में पहुंची बल्कि भारत को 240 रनों पर रोककर 6 विकेट से जीत हासिल कर छठवीं बार एक दिवसीय क्रिकेट की चैंम्पियन बन गयीसभी यह उम्मीद लगा रहे थे कि न्यूजीलैंड या दक्षिण अफ्रीका फाईनल।में भारत से खेलेगी लेकिन न्यूजीलैंड को तो भारत ने सेमीफाईनल और।आस्ट्रेलिया ने दक्षिण अफ्रीका को सेमीफाइनल में ही हरा दिया था। इस विश्वकप में कुछ खिलाडि़यों काखेल अविश्वसनीय रहा जैसे विराट कोहली ने इस विश्वकप में 3 शतक के साथ एकदिवसीय मैचों में सचिन तेंदुलकर के 49 शतकों के रिकार्ड को तोड़कर न केवल 50 शतक बनाये बल्कि इस विश्वकप में 765 रन 11 मैचों में बनाये जो सचिन के सबसे ज्यादा रनों के रिकार्ड को भी तोडा़ ।दूसरा मो.शमी ने इस विश्वकप में अविश्वसनीय प्रदर्शन करते हुए मात्र 7 मैच खेलते हुए सबसे ज्यादा 24 विकेट हासिल किए। उन्हे शुरूवात के चार मैचों में खिलाया ही नहीं गया था चार मैचों के बाद हार्दिक पांड्या के घायल होने के बाद उनके स्थान पर खिलाया गया था। इसी प्रकार एक दिवसीय विश्वकप की 200 रनों की मैक्सवेल की अद्भुत पाली ने कपिलदेव की 1983 में 175 रनों की पाली की याद ताजा कर दी। वहीं श्रेयस अय्यर ने अपना पहला विश्वकप खेलते हुए दो शतक लगाए ।फाईनल में भारत की हार का प्रमुख कारण शायद टास का हारकर पहले बल्लेबाजी करना और ट्रेविस हेड की विषम परिस्थितियों में खेली गयी शतकीय पाली और रोहित शर्मा का अविस्मरणीय कैच, जिसने 1983 में कपिलदेव के विवियम रिचर्डस के अद्भुत कैच की याद दिला दी, रही। पहली पाली में गेंद बल्ले पर रूक -रूक कर आ रही थी । बाद मेंआस्ट्रेलिया जब बल्लेबाजी कर रही थी तो विकेट भी सामान्य खेलने लगा था। कपिलदेव और महेंद्र सिंह धोनी के बाद रोहित शर्मा का नाम विश्वकप जीताने वाले नामों में आते- आते रह गया।इस हार की टीस सालों रहेगी । दूसरी दुखद बात ये रही कि कपिलदेव जैसे महान क्रिकेटर को फाईनल देखने का न्योता नहीं दिया गया। सम्पादकीय- News51.in

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