Tuesday, May 14, 2024
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अपने ही देश में अपनी मातृभाषा हिन्दी का हिन्दी दिवस मनाना सही है?

हिन्दी दिवस अपने ही देश में आखिर मनाने की आवश्यकता क्यों आन पड़ी?

हमारे देश में हिन्दी ही एकमात्र ऐसी भाषा है जो देश के हर क्षेत्र में सर्वग्राही है और देश के हर कोने में इसे बोला और समझा जाता है किंतु अफसोस की बात है कि अभिभावक अपने बच्चों को हिन्दी में पढने लिखने तथा बोलचाल के बजाय अंग्रेजी में पढने लिखने व बोलने के लिए प्रेरित करते हैं और उसमें ही अपनी शान समझते हैं। न ई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को मातृ भाषा हिन्दी में पढाने पर इसीलिए जोर दिया गया है ताकि उनकी हिन्दी में बुनियाद मजबूत हो सके अपनी भागा में बच्चों के सीखने की प्रक्रिया तेज होता है और स्मरण शक्ति भी बढती है बच्चों में अपनी बात और विचारों को स्पष्ट ढंग से लोगों के सामने रखने का आत्मविश्वास आता है यह सोच ही गलत है कि अंग्रेजी ही सफलता का मानदंड होता है यह ठीक है कि हमें सभी भाषाओं को सम्मान देना चाहिए प्रत्येक पढ़े लिखे भारतीय को अपनी भाषा हिन्दी का झान तो होना ही चाहिए हमारे समाज की विडंबना है कि अंग्रेजी को सामाजिक प्रतिष्ठा से जोड़ कर देखा जाता है अगर अंग्रेजी नहीं आती है तो मूर्ख समझ लिया जाता है। कारपोरेट और पेशे से सम्बंधित बैठकों में अगर कोई हिन्दी में बोलता है तो उसे दूसरे नजरिये से देखा जाता है जिस देश ने भी अपनी मातृभाषा को महत्व दिया वह कहीं से पीछे नहीं रहा रूस ने जब अपना पहला अंतरिक्ष यान स्पूतनिक अंतरिक्ष में भेजा था तब पूरी दुनियां में तहलका मच गया था उस समय रूस में विझान और तकनीक के लेख केवल रूसी भाषा में प्रकाशित होते थे चीन की भी वैझानिक प्रगति अंग्रेजी भाषा पर निर्भर नहीं रहा। अगर हम चाहते हैं कि हमारे देश के बच्चों का अपने देश तथा विश्व में सम्मान बढे तो हमें स्कूली स्तर से ही बच्चों को स्कूली स्तर से ही विझान की शिक्षा मातृभाषा हिन्दी में देनी होगी आज दुनियां के क ई समृद्ध देशों (चीन, जापान, रूस और जर्मनी आदि) में विझान की पढाई वहां की मातृभाषा में ही कराई जाती है इसलिए हिन्दी को जन-जन की भाषा के साथ विझान की भाषा भी बनानी होगी। देश में मातृभाषा हिन्दी को बढावा देने के उद्देश्य से ही हिन्दी दिवस के अन्तर्गत पूरे देश के स्कूलों में सप्ताह भर कार्यक्रमों का आयोजन सोमवार दिनांक 14 सितम्बर से आयोजित की गई है कार्यक्रम की रूपरेखा निम्न प्रकार से है। 14सितम्बर-हिन्दी सप्ताह का उद्घाटन तथा ग्रुप प्रतियोगिता। (मातृभाषा का महत्व, वादविवाद प्रतियोगिता तथा हिन्दी में प्रार्थना वन्दना) 15सितम्बर-भारतीय हिन्दी कवियों पर चर्चा, उनकी कम से कम एक कविता पाठ से बच्चों में कविता के प्रति रूचि पैदा करना। 16 सितम्बर – हिन्दी पहेली प्रतियोगिता, बच्चों को अपने कैमरे से नोटबुक में उत्तर लिखकर टीचर को दिखाना है। 17 सितम्बर -हिन्दी पर संवाद चर्चा (जिसमें अध्यापक पांचहिन्दी जोड़े शब्द(कम्प्यूटर के माध्यम से उन शब्दों के अर्थ की जानकारी बच्चों को देनी है) 18 सितम्बर -हिन्दी

हिन्दी दिवस अपने ही देश में आखिर मनाने की आवश्यकता क्यों आन पड़ी?

हमारे देश में हिन्दी ही एकमात्र ऐसी भाषा है जो देश के हर क्षेत्र में सर्वग्राही है और देश के हर कोने में इसे बोला और समझा जाता है किंतु अफसोस की बात है कि अभिभावक अपने बच्चों को हिन्दी में पढने लिखने तथा बोलचाल के बजाय अंग्रेजी में पढने लिखने व बोलने के लिए प्रेरित करते हैं और उसमें ही अपनी शान समझते हैं। न ई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को मातृ भाषा हिन्दी में पढाने पर इसीलिए जोर दिया गया है ताकि उनकी हिन्दी में बुनियाद मजबूत हो सके अपनी भागा में बच्चों के सीखने की प्रक्रिया तेज होता है और स्मरण शक्ति भी बढती है बच्चों में अपनी बात और विचारों को स्पष्ट ढंग से लोगों के सामने रखने का आत्मविश्वास आता है यह सोच ही गलत है कि अंग्रेजी ही सफलता का मानदंड होता है यह ठीक है कि हमें सभी भाषाओं को सम्मान देना चाहिए प्रत्येक पढ़े लिखे भारतीय को अपनी भाषा हिन्दी का झान तो होना ही चाहिए हमारे समाज की विडंबना है कि अंग्रेजी को सामाजिक प्रतिष्ठा से जोड़ कर देखा जाता है अगर अंग्रेजी नहीं आती है तो मूर्ख समझ लिया जाता है। कारपोरेट और पेशे से सम्बंधित बैठकों में अगर कोई हिन्दी में बोलता है तो उसे दूसरे नजरिये से देखा जाता है जिस देश ने भी अपनी मातृभाषा को महत्व दिया वह कहीं से पीछे नहीं रहा रूस ने जब अपना पहला अंतरिक्ष यान स्पूतनिक अंतरिक्ष में भेजा था तब पूरी दुनियां में तहलका मच गया था उस समय रूस में विझान और तकनीक के लेख केवल रूसी भाषा में प्रकाशित होते थे चीन की भी वैझानिक प्रगति अंग्रेजी भाषा पर निर्भर नहीं रहा। अगर हम चाहते हैं कि हमारे देश के बच्चों का अपने देश तथा विश्व में सम्मान बढे तो हमें स्कूली स्तर से ही बच्चों को स्कूली स्तर से ही विझान की शिक्षा मातृभाषा हिन्दी में देनी होगी आज दुनियां के क ई समृद्ध देशों (चीन, जापान, रूस और जर्मनी आदि) में विझान की पढाई वहां की मातृभाषा में ही कराई जाती है इसलिए हिन्दी को जन-जन की भाषा के साथ विझान की भाषा भी बनानी होगी। देश में मातृभाषा हिन्दी को बढावा देने के उद्देश्य से ही हिन्दी दिवस के अन्तर्गत पूरे देश के स्कूलों में सप्ताह भर कार्यक्रमों का आयोजन सोमवार दिनांक 14 सितम्बर से आयोजित है । लेखक- अशोक श्री वास्तव, सम्पादक, News51. In

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