Wednesday, May 15, 2024
होमऐतिहासिकअद्भुत शिल्पकारी -26 मंदिर, जिनको बनाने में लगे 200 साल

अद्भुत शिल्पकारी -26 मंदिर, जिनको बनाने में लगे 200 साल

अदभुत शिल्प

जमीन के नीचे दबे मिले 26 मंदिर, इनको बनने में लग गए थे 200 साल
भोपाल राजधानी से करीब 35 किमी दूर रायसेन जिले की गौहरगंज तहसील में स्थित आशापुरी के जो मंदिर खुदाई में मिले हैं, उनके निर्माण में लगभग 200 साल का समय लगा था। इन ऐतिहासिक मंदिरों से जुड़ी यह दिलचस्प जानकारी स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर भोपाल और ब्रिटेन की कार्डिफ यूनिवर्सिटी के वेल्स स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर की टीम के अध्ययन में सामने आई है।
इन मंदिरों को बनाने का काम प्रतिहार काल में 9वीं से 10वीं सदी के बीच शुरू हुआ था। इसके बाद परमार काल में 10वीं सदी के मध्य से लेकर 11वीं सदी के अंत तक लगातार बनते रहे। खासबात यह है कि इन मंदिरों को बनाने में किसी भी प्रकार के मसालों का उपयोग नहीं हुआ बल्कि एक पत्थर के ऊपर दूसरे पत्थर को रखकर मंदिर तैयार किए गए थे। यहां स्थित सभी 26 मंदिरों का निर्माण लगभग 10 हजार से ज्यादा पत्थरों से किया गया था।
वर्ल्ड मॉन्यूमेंट फंड से मिली राशि के तहत दोनों संस्थानों ने आशापुरी के मंदिरों के अवशेषाें का अध्ययन कर इनका डॉक्यूमेंटेशन तैयार किया है। पिछले दो साल से करीब 150 एक्सपर्ट की टीम यहां पत्थरों और उन पर बनी आकृतियों पर स्टडी कर रही है। टीम को लीड कर रहे हैं वेल्स स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर के प्रो. एडम हार्डी और स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर की असिस्टेंट प्रोफेसर विशाखा कावथेकर।
बिना मसाले के पत्थरों को एक-दूसरे पर रखकर निर्माण
एसपीए की असिस्टेंट प्रोफेसर विशाखा कावथेकर के अनुसार मंदिरों के नष्ट हाेने के अलग-अलग कारण सामने आ रहे हैं। एक भूकंप तो दूसरा इन्हें किसी के द्वारा ध्वस्त करना माना जा रहा है लेकिन तकनीकी कारण इनकी नींव कमजोर होना है। इन मंदिरों के पत्थरों को चिपकाने के लिए चूने या किसी अन्य मसालों का उपयोग नहीं किया गया। इनकी नींव दो मीटर ही गहरी थी। समय के साथ मिट्टी नीचे से बहती रही और यह मंदिर एक दूसरे पर गिरकर नष्ट हो गए।
पुरातत्व महत्व की 70 साइट और मिलीं
स्टडी के दौरान मंदिर के 100 वर्ग किमी के दायरे में 70 ऐसी साइट को चिन्हित किया है, जहां पुरातात्विक अवशेष मिले हैं जो आर्कियोलॉजी के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण हैं। साथ ही मंदिर से ही लगे 3 किमी के दायरे में 14 ऐसे स्थान भी मिले हैं जिन्हें तत्काल संरक्षित करने की जरूरत है।
तीन मंदिरों का मूल डिजाइन तैयार किया
एसपीए ने आशापुरी के 26 में से तीन मंदिरों का मूल डिजाइन भी तैयार कर लिया है। यह मंदिर पांच, बारह और सत्रह नंबर के हैं। हालांकि विशाखा कावथेकर का कहना है कि ज्यादातर पत्थर नहीं मिलने के कारण बाकी के मंदिरों का डिजाइन तैयार करना थोड़ा मुश्किल है
(दैनिक भास्कर से अनुसरण। प्ररस्तुति-सुनील कुमार दत्ता स्वतंत्र पत्रकार एवं दस्तावेजी प्रेस छायाकार

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments