आज आखिर जिसकी उम्मीद की जा रही थी। वही हुआ मायावती और अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को रायबरेली और अमेठी की सीट छोड़ कर 76सीटों पर गठबंधन करने का साझा प्रेस कांफरेंस कर लोकसभा चुनाव लड़ने का एलान किया। दो सीट अन्य सहयोगीयो के लिए छोड़ी गई है। दोनों 38-38 सीटों पर चुनाव लडेगी।
मायावती ने कहा कि गैस्ट हाउस कांड की चर्चा करने का अब कोई मतलब नहीं है। कांग्रेस से तालमेल न करने का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस को हमारा पूरा वोट मिलता है किंतु उनका वोट हमे नहीं मिलता। फायदा केवल कांग्रेस को मिलता है जबकि सपा बसपा का वोट सच्चा है दोनों दलों का वोट एक दूसरे को ट्रांसफर होता है।
एक बात तो तय है कि इस गठबंधन के हो जाने के बाद अब भाजपा में हडकंप मचा हुआ है। भले ही उनके नेता अपने कार्यकर्ताओ का मनोबल बढाने में लगे हो। किंतु अंदरखाने सभी की हवाईयां उड़ी हुई हैं ।
अब दूसरी बात ये है कि इस गठबंधन पर कांग्रेस और आर एलडी की प्रति क्रिया क्या होती है। खासकर कांग्रेस के लिए तो मात्र दो सीट पर लडने की बात मान लेना उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए आत्महत्या करने के समान होगा। रही कुछ अन्य छोटी पार्टीयों की बात,तो वो कौन सा रूख अपनाती हैं यह देखना भी दिलचस्प होगा।