Saturday, July 27, 2024
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विधान सभा के 5 चुनावों में कांग्रेस को बडा़ झटका , तीन राज्य को गंवाया, कांग्रेस के क्षत्रपों ने भी की मनमानी, आलाकमान की बात नहीं मानी लेकिन क ई विकल्प भी खुले, ऐसा लगता है, लेकिन किसी क्षेत्रीय दल को तेलंगाना में कांग्रेसी जीत ने विकल्प भी खोले,साथ ही मायावती के बयानों ने सपा को किया सशंकिता,मायावती और ओबैसी का अगला कदम ?

पांच राज्यों के विधान सभा चुनावों में तीन पर हार( मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीश गढ) ने कांग्रेस को अंदर तक तोड़ दिया है क्योंकि इन तीनों हारे राज्यों पर उसे जीत का सौ प्रतिशत उम्मीद थी । हालांकि उसे मध्य प्रदेश में खासतौर पर हराने के।लिए सपा, बसपा और नीतिश कुमार तथा केजरीवाल ने भरपूर प्रयास किया और अपनी ऐडी़ चोटी का जोर लगाया ।मायावती इंडिया का घटक दल नहीं था इसलिए उसे कुछ कहना ठीक नहीं , लेकिन एक तरह सभी दल चुनाव जीतने के लिए नहीं बल्कि कांग्रेस को किसी भी तरह न जीतने देने की लडा़ई लड़ रहे थे हालांकि एकतरह से यह अच्छा ही हुआ कांग्रेस के नजरिये से । आम आदमी पार्टी , जदयू के लगभग सभी उम्मीदवारों की जमानत जप्त हो ग ई।सपा के कारण कांग्रेस को यूपी से सटी 5-6 सीटोंंपर हार मिली । लेकिन उसके भी अधिकांश उम्मीदवारों की जमानत जप्त हुई।यही हाल बसपा का भी रहा। दर असल मध्य प्रदेश का चुनाव कांग्रेस मुख्यमंत्री शिवराज चौहान की लाडली योजना और बाद में कमलनाथ का अपने को चुनाव बाद का मुख्यमंत्री मान लेना , हार का असल कारण रहा। इसी प्रकार से पंजाब विधान सभा चुनाव कांग्रेस नेताओं की गुटबाजी और सरेआम सिर फुटव्वल से हुई हार के बाद भी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलौत की अकड़बाजी और हर मौके पर सचिन पाईलेट को नीचा दिखाने की प्रवृत्ति ने कांग्रेस को हार की ओर ढकेला। यह सच है कि चुनाव से5-6 महीने पहले से उन्होने क ई अच्छे काम भी किये लेकिन उन्होने आलाकमान द्वारा 45 से 50 ऐसे विधायकों के टिकट काटने की बात नहीं मानी जिनकी अपने क्षेत्र के नेताओं के रिपोर्ट कार्ड बेहद खराब रहे और तो और क ई मौकों पर ऐसे नेताओं के टिकट न काटने के लिए राहुल गांधी से भी उलझ गये थे।इस बीच सचिन पायलेट ने जिस धैर्य और संयम से काम किया वह प्रसंसनीय रहा। तीसरा राज्य छत्तीसगढ में जिस ढंग से भाजपा ने टिकट बंटवारे और 5 साल के भूपेश बघेल के कामकाज से उपजे रोष ने और भाजपा के सुनियोजित चुनाव प्रचार ने भाजपा की जीत दिलाई । जिसके लिए प्रधान मंत्री मोदी जी और छत्तीसगढ का स्थानीय नेतृतव बधाई के पात्र हैं इसलिए भी कि छत्तीसगढ को सम्भवतः कांग्रेस कामजबूत गढ माना गया था। चौथे राज्य तेलंगाना में कांग्रेस ने चुनाव जीत कर एक ऐसा काम किया जिसपर कम लोगों ने ध्यान दिया । अबसे पहले कांग्रेस ने शायद पहली बार किसी क्षेत्रीय दल को हराया है जिसका वोट बैंक भी वही है जो पहले कांग्रेस का था जिसने शायद कांग्रेस को भारी राहत दी होगी क्यों कि इससे पहले जिस भी क्षेत्रीय पार्टी ने एकबार कांग्रेस के वोट बैंक के सहारे एक बार भी सत्ता पाई दुबारा कांग्रेस उस बैंक को हासिल नहीं कर पाई चाहे वह यूपी में सपा या बसपा रही हो चाहें उडीसा में नवीन पटनायक की पार्टी रही हो या बिहार मेंराजद और जदयू रहा हो या पश्चिम बंगाल में पहले वामदल बाद में ममता बनर्जी रही हों या आंध्र में पहले चंद्रबाबू नायडू और बाद में जगन मोहन रेड्डी रहे हों( अपवाद स्वरूप वाई एस राजशेखर रेड्डी को छोड़कर) या महाराष्ट्र में शरदपवार की पार्टी रही हो। उपरोक्त सभी के वोटर का बडा़ हिस्सा पहले कांग्रेस का ही रहा। पांचवां राज्य मेघालय में दो क्षेत्रीय दल हैंएन एम एफ और जेपीएम जो चार साल पुरानी पार्टी है ने 40 सदस्यीय विधान सभा में 27 सीट जीत कर एन एम एफ को हराया। यहां भाजपा को दो तथा कांग्रेस को एक सीट मिली। एक बात तो तयं है कि अगर कांग्रेस अध्यक्ष बनने की बात अशोक गहलौत ने मान ली होती और सचिन पायलेट को मुख्यमंत्री बनने दिया रहा होता तो शायद राजस्थान चुनाव कारूप दूसरा भी हो सकता था लेकिन अशोक गहलौत की जिद ने अपना और पार्टी दोनों का ही नुकसान किया है ।अब अशोक गहलौत और कमलनाथ दोनों ही सम्भवतः पार्टी की सेंट्रल राजनीति में जाएंगे और दोनों राज्यों में नया नेतृत्व पार्टी द्वारा तैयार किया जाएगा ।कल मायावती जी के बयान ने कुछ ऐसा बयान दिया है जो कांग्रेस को कुछ राहत दे सकता है लेकिन सपा के माथे पर बल ला सकता है इतना तय है कि अब लोकसभा चुनाव में मात्र 5 महीने के लगभग समय बचा है भाजपा तीन राज्यों मेंभारी जीत और बढे हौंसलों से न केवल भाजपा की ताकत।बढी है बल्कि पहले से ही मजबूत लोकसभा चुनाव 2024 मेंभाजपा कीभारी जीत लगभग तयं है -सम्पादकीय,News51.in

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