मायावती की एक समय यूपी में तूती बोलती थी और दलित- मुस्लिम वोटरों के सहारे उन्होने यूपी में सालों राज किया और उनके नखरे सभी दल और उनके ही दल के नेता भी सालों सहते रहे , जब जिसे चाहा पार्टी से निकाला, जिसे जब चाहा माफ कर वापस पार्टी में वापस लिया । भाजपा के 2014 में सत्ता में सत्ता में आने के बाद उसके वेग में सभी दल बह गये उसके बाद यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा, कांग्रेस सहित सपा भी मोदी की आंधी में बह गये ।यूपी में कांग्रेस 2 सीट और बसपा 1 सीट पर सीट पर आ गये। यहां यूपी में योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री बन गये 2018 के बाद जब मोदी जी के लोकप्रियता के वेग मेंजब से कमी हुई तो कांग्रेस नेमध्यप्रदेश,राजस्थान , छत्तीसगढ कर्नाटक और हिमाचल जैसे क ई राज्यों में चुनाव जीता फिर 2023 में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ का विधानसभा चुनाव हालांकि फिर भाजपा ने जीता लेकिन पहले वाली बात नहीं दिख रही, कांग्रेस के लिए बेहद महत्वपूर्ण जीत तेलंगाना की जीत रही, जिससे लगता है कि उसका मुस्लिम वोट बैंक अब वापस उसकी तरफ आ रहा है अगर कांग्रेस अध्यक्ष अपना सही इस्तेमाल और खुद यूपी में जमकर पसीना बहाते हैं तो मायावती के बचे-खुचे काडर वोट बैंक को अपने पाले में लाकर दलितों के सबसे बडे़ नेता बन सकते हैं और।वह वैसे भी अब इंडिया गठबंधन के अघोषित प्रधानमंत्री बन चुके हैं वैसे भी यूपी के पिछले विधान सभा चुनाव में मायावती का वोटबैंक घटकर लगभग13 प्रतिशत से कम ही रह गया है ।सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों अखिलेश यादव ने अल्पसंख्यक नेताओं की बैठक की थी जिसमें(जिनमें काफी संख्या में प्रोफेसर, डाक्टर ,इंजीनियर , बडें उद्योगपतियों और अन्य बडे़ नेताओं की बैठक की थी सभी ने अखिलेश यादव को सम्भवतः अल्पसंख्यकों का कांग्रेस की तरफ झुकाव की बात कही है)सभी ने कांग्रेस से तालमेल की बात कही है। शायद इसीकारण अखिलेश यादव अब कांग्रेस के प्रति नरम रूख अपनाए हुए हैं । इसतरह अगर मल्लिकार्जुन खरगे अगर जमकर प्रयास करते हैं तो अगर अल्पसंख्यकों के साथ दलित भी कांग्रेस के साथ जुड़ जाते हैं तो कांग्रेस के दोनों बिछडे़ वोटबैंक की वापसी कांग्रेस को काफी मजबूती दे सकती है फिर ब्राम्हणों का वोट कांग्रेस की यूपी में मजबूती का इंतजार कर ही रहा है। हालांकि यह तो सिर्फ कल्पना ही है क्योंकि वर्तमान में भाजपा अन्य जगहों की अपेक्षा यूपी में योगी आदित्य नाथ के मुख्यमंत्रित्वकाल में उनकी राजनैतिक और प्रशासनिक कार्यों का कोई तोड़ अबतक विपक्ष के पास नहीं है।लेकिन कुछ मजबूती तो कांग्रेस को दे ही सकता है ।- सम्पादकीय-News51.in