Saturday, July 27, 2024
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गुजरात चुनाव -आखिर क्यूँ सभी पार्टी नरेश पटेल को अपने दल में शामिल करने को इच्छुक हैं, आखिर कौन हैं नरेश पटेल

खोदल धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष और गुजरात के प्रमुख उद्योग पति नरेश पटेल गुजरात का एक जाना-माना नाम है। राजकोट के पास कागवाड़ में लेउवा पाटीदार की संरक्षक देवी खोडियार के भव्य मंदिर के प्रबंधन कर्ता भी हैं जिसका केंद्र सौराष्ट्र है। प्रशांत किशोर से उनके अच्छे संबंध भी हैं प्रशांत किशोर भी कांग्रेस से जुड़ने के इच्छुक हैं। आम आदमी पार्टी के केजरीवाल भी नरेश पटेल की तारीफ़ कर चुके हैं और भाजपा भी उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करना चाहती है। गुजरात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भरत सिंह सोलंकी और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलौत भी नरेश पटेल से मिल चुके हैं। सौराष्ट्र के आसपास के एक दर्जन जिलों में उनका अपने लेउवा पाटीदार समुदाय पर गहरा प्रभाव है। नरेश पटेल की चाहत है कि प्रशांत किशोर गुजरात चुनाव में कांग्रेस की चुनाव का प्रबंधन सम्भालें। हालांकि स्वयंम नरेश पटेल की क ई दलों से बात चल रही है और किसी को भी नहीं पता कि वह किसके साथ जाएंगे। वह स्वयंम भी अपने स्तर से जनता की राय शुमारी करवा रहे हैं चर्चा तो यहाँ तक है कि अप्रैल में राहुल गांधी की गुजरात यात्रा के समय उन्हें अधिकारिक रूप से कांग्रेस में शामिल कराया जाएगा तथा उन्हें अगले साल होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस चुनाव प्रचार का अध्यक्ष बनाया जा सकता है ।बाद में चुनाव प्रचार के समय उन्हें मुख्य मंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया जा सकता है। इस बारे में गुजरात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शक्ति सिंह गोहिल से संवाददाता सम्मेलन में पूछने पर उन्होंने गोलमोल उत्तर देते हुए कहा था कि लड़की देखने के बाद शादी की सूचना नहीं दी जाती। जब शादी तय होगी आपको स्वयं पता चल जाएगा। कांग्रेस पार्टी 5 राज्यों में चुनाव हारने के बाद से आगामी चुनावों की तैयारी काफी पहले ही करना शुरू कर चुकी है इसमें गुजरात प्रमुख है जहाँ पिछले 28 साल से सत्ता में नहीं है इसीलिए कांग्रेस पार्टी गुजरात विधानसभा चुनाव को बेहद गम्भीरता से ले रही है।

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ममता बनर्जी के इस बयान पर कांग्रेस को इतराने की नहीं है जरूरत, कि “भविष्य में किसी भी प्रकार की विपक्ष की एकता के लिए कांग्रेस को केंद्रीय भूमिका निभानी होगी” । आज ममता बनर्जी की सरकार बीरभूमि में हुई घटना के बाद बीजेपी का और कांग्रेस का आक्रामक रूख ममता बनर्जी को परेशान किए हुए है जब कांग्रेस नेता अधीर रंजन की अगुवाई में कांग्रेस डेलिगेशन बीरभूमि में घटना की जानकारी लेने गया था तो ममता बनर्जी की सरकार ने उन्हें वहाँ न जाने देने के लिए पूरा प्रयास किया था। जिस प्रकार अधीर रंजन ने वहाँ की स्थिति को लेकर केंद्र सरकार और राष्ट्रपति महोदय से राष्ट्रपति शासन की मांग की उससे ममता की समस्या बढ गयी है अभी तक बंगाल की हर घटना पर चुप्पी साधने या राज्य सरकार का समर्थन करने वाली कांग्रेस से ममता बनर्जी को ऐसी उम्मीद नहीं थी ।ममता बनर्जी इस समय भले ही कांग्रेस के विपक्ष की केंद्रीय भूमिका की बात कर रही हैं किंतु वो एक अविश्वसनीय नेता हैं उनपर एतबार करने के बजाय कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में अपनी पार्टी को ममता बनर्जी के विकल्प के रूप में आने के लिए संघर्ष और पार्टी संगठन को मजबूत करने की ज़रुरत है।
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