Thursday, December 5, 2024
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उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए पार्टी में भारी फेर बदल

आज कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी के दो दिवसीय दौरे पर पहुंच कर कांग्रेस पार्टी को उत्तर प्रदेश में गठबंधन न हो पाने की हताशा को पीछे छोड़ कर पार्टी को उत्तर प्रदेश में फिर से अकेले दम पर खड़ा करने की दिशा में पार्टी में कयी साहसिक कदम उठाते हुए बहुत ही महत्व पूर्ण निर्णय लिया किन्तु उनमे सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण रहा प्रियंका गांधी को पार्टी का महासचिव बनाना ,प्रियंका गांधी के पार्टी में आने से पार्टी को तीन महत्व पूर्ण तत्कालिक लाभ हुए हैं। पहला जो पार्टी कार्यकर्ता सपा बसपा गठबंधन न हो पाने से हताशा में थे उनका आत्म विश्वास लौट आया है और वो पूरी ताकत से अब यूपी में 2019 के चुनाव में अपनी महत्वपूर्ण मौजूदगी दर्ज कराने की स्थित में आगया है। दूसरा पूर्वांचल का प्रभारी भी उनको बनाए जाने से, तथा सहयोग के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी प्रभारी बना कर पूर्व प्रभारी गुलाम नबी आजाद को हरियाणा का प्रभारी बना दिया गया। ज्योतिराराजे सिंधिया बेहद जुझारू और मेहनती तथा शानदार जोशीले वक्ता हैं।यह बात वह मध्य प्रदेश के उप चुनावों में सिद्ध भी कर चुके हैं। सिंधिया को भी महासचिव बना दिया गया है। इसी प्रकार के सी वेणुगोपाल को अशोक गहलौत के राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने के कारण उनके स्थान पर कांग्रेस का महासचिव बनाकर कर्नाटक का प्रभारी बना दिया गया है।
इस उत्तर प्रदेश में पार्टी में हुए फेरबदल, और प्रियंका गांधी का पार्टी में आने की कार्यकर्ताओ की बहुत पुरानी मांग पूरी होने की खबर में कुछ ऐसी खबर दब गयी जो कांग्रेस पार्टी के नयी रणनीति की ओर इशारा कर रहे हैं जो बेहद महत्वपूर्ण हैं।
अभी तक कांग्रेस जहाँ कहीं भी कमजोर थी वहाँ गठबंधन को आतुर थी किंतु प्रियंका गांधी के आने के साथ ही कांग्रेस स्वयं अपने बूते लडने के मूड में आ रही है। पहली खबर आई आन्ध्र प्रदेश से, वहाँ से कांग्रेस के प्रभारी ओमान चांडी ने टीडीपी के साथ गठबंधन करने से साफ इंकार कर दिया और आंध्र प्रदेश में अकेले चुनाव लड़ने का एलान किया है।
दूसरी तरफ जहाँ कांग्रेस अभी तक ममता बनर्जी की आलोचना करने से बच रही थी। अब खुल कर गौरव गोगोई ने ममता बनर्जी पर खुलकर प्रहार करते हुए कहा कि ममता बनर्जी राहुल गांधी को कत्त ई प्रधान मंत्री नहीं बनने देना चाहती है।
प्रियंका गांधी के पार्टी में आने से पहले ही दिन अप्रत्यक्ष परिवर्तन दिखाई देने लगे हैं। उत्तर प्रदेश में गठबंधन न हो पाने से हताश कांग्रेसी कयी गुना जोश बढ गया है। अब प्रियंका गांधी के कांग्रेस में आने से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति में क्या फर्क आएगा इसका आकलन करना भी आवश्यक है।
पहला तो यह कि प्रियंका गांधी के पास मात्र तीन महीने का समय लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश लाने का था, बचा है वह तो मानिए हो चुका है। दूसरा सबसे महत्वपूर्ण और कठिन कार्य है संगठन जो लगभग शून्य है उसे फिर से खड़ा करना और यूपी के पुराने वोट बैंक को वापस पार्टी से जोडने की। अब देखना यह है कि वो इसमे किस हद तक सफल होती हैं। इतना तो तय है कि कांग्रेस के वोट परशेंटेज में भारी उछाल आएगा। दूसरी बात अगर सीटों की करें तो अगर दहाई तक सीट पार्टी को मिली तो यह प्रियंका गांधी और ज्योतिराराजे की उपलब्धि मानी जाएगी।
अब अगर उत्तर प्रदेश के बाहर प्रियंका गांधी के पार्टी में आने से पडने वाले असर की बात करें तो अगर पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, बिहार, कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश आसाम के दो तीन दौरे भी प्रियंका गांधी के लगे तो वहाँ सीटों में और वोट परशेंटेज में भारी उछाल आएगा। हालांकि मैं प्रियंका गांधी का पार्टी में आगमन से मात्र एक चुनाव को लेकर ही नहीं देख रहा हूँ बल्कि उसके आगे की भी स्थितियों को लेकर भी देख रहा हूँ अभी बस इतना ही।
सम्पादक की कलम से —-

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