इंडिया गठबंधन में सभी सहयोगियों का कांग्रेस के प्रति रवैया सौतेला ही रहा । यहां एक – एक सहयोगियों का विस्तार से बात करते हैं सबसे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बात करते हैं जिन्होने पहले कांग्रेस को एक भी सीट न देने की बात कहने वाली ममता बाद में दो सीट देने को तैयार हुईं कांग्रेस 5 से 6 सीट मांग रही थी ।जिसपर भड़की ममता बनर्जी ने बिना कोई बात किए सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिये और अपने भाषणों में भाजपा के बराबर ही कांग्रेस पर हमला कर रही हैं । यूपी में अखिलेश यादव काफी मान मनौवल के बाद बमुश्किल पहले 12 फिर 17 सीट देने पर राजी हो पाई उसमें भी अधिकांश ऐसी सीटें देने से इंकार कर दिया जहां थोडां कांग्रेस मजबूत थी अधिकांश पर बिना राय मशविरा अपने उम्मीदवार भी उतार दिये यह सब केवल इस कारण हुआ कि पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में काग्रेस संगठन बेहद कमजोर है पश्चिम बंगाल में तो वर्षों से अधीर रंजन चौधरी प्रदेश।अध्यक्ष बने हुए हैं और केवल अपने को अपने लोकसभा तक सीमित रखे हैं वर्षों से प्रदेश संगठन जीर्ण शीर्ण पडा़ हुआ है आज तक कांग्रेस आला कमान की हिम्मत नहीं पडी़ कि अधीर रंजन।को हटा कर किसी जुझारू नेता को पश्चिम बंगाल का प्रदेश अध्यक्ष बना सके । अब लालू यादव की बात करे जो गांधी परिवार के बडे़ खास माने जाते हैं, लालू ने 9 सीट बिहार में कांग्रेस को दे तो दी लेकिन जिन दो सीटों पर कांग्रेस कन्हैया कुमार और पप्पू यादव को देना चाहती थी उन दोनों में एक बेगूसराय वामदल को पहले ही दे दी जब कि कन्हैया कुमार राहुल गांधी के अत्यन्त प्रिय हैं और चाहते हुए भी सीट नहीं दिला पा रहे हैं दूसरी पूर्णिया पर पप्पू यादव से इस बात की खुन्नस खाये लालू यादव ने बीमा भारती का नामांकन करा दिया ताकि अगर आज पप्पू यादव आज पर्चा दाखिल करे तो कांग्रेस पर दबाव डाल कर पार्टी से उन्हे निकलवा दें लेकिन यह तय।है पप्पू यादव आज निर्दल पर्चा भर रहे हैं और ऐसा लगता है पप्पू यादव सहानूभूति की लहर।पर सवार होकर चुनाव जीत भी सकते हैं। शायद लालू यादव अभी समझ नहीं पा रहे हैं कि कांग्रेस को कमजोर।करने का खामियाजा उन्हे भी भुगतना पड़ सकता है। महाराष्ट्र और झारखंड में भी अभी तक तालमेल नहीं हो पाया है केरल के वायनाड सीट जो राहुल गांधी की थी वाम नेता डी राजा ने पहले ही अपनी पत्नी को खडा़ कर दिया है एकमात्र कांग्रेस पूरी शिद्दत से गठबंधन धर्म निभा रही ह
इंडिया गठबंधन के अधिकांश सहयोगियों ने कांग्रेस से गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया ,मात्र कांग्रेस ने दिल से निभाया गठबंधन धर्म
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