Saturday, July 27, 2024
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अपना शहर मंगरूआ -चर्चा के दौरान

अपना शहर मगरुवा —

चर्चा दौरान — आजमगढ़ – मऊ खासतौर पर बीबीपुर के बड़े नेताओं का खानदान पागलो से भरा है — बकौल कामरेड सच्चिदानन्द राय

दीवानी कचहरी के स्लाटर हाउस से
जहा केंद्र सरकार व राज्य सरकार का कोई कानून नही चलता
इस स्लाटर हाउस का अपना कानून है
इस स्लाटर हाउस में लोग खुद कटने चले आते है —

असुबह मोबाइल की घंटी बजी आवाज आई दीवानी अभिभाषक संघ के पूर्व अध्यक्ष ओम प्रकाश मिश्र जी की उन्होंने कुछ काम सौपे उनसे मिलने मैं दीवानी कचहरी चला गया , उनसे मिलने के बाद मैं कचहरी के पुस्तकालय की ओर बढ़ा तो सामने गुनगुनी धुप का आनन्द लेते हुए कामरेड सच्चिदानन्द राय , वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल गौड़ , अशोक पाण्डेय , ठाकुर प्रसाद तिवारी , लालसा यादव , जितेन्द्र पाठक , रजनीश सिंह उर्फ़ पुट्टू , भवेश मिश्रा और बड़े भाई बृजेश नन्दन पाण्डेय मिल गये | मेरे साथ मेरा हथियार माने कैमरा था बड़े भाई बृजेश जी ने पूछा कोई कार्यक्रम है क्या ? मैंने कहा नही बस आप सब लोगो से मिलने चला आया हूँ | मैं भी उनके साथ बैठ गया मैंने बड़े भाई कामरेड सच्चिदानन्द राय से कहा कि इस चुनाव में बार भी राजनितिक खेमे में बट गया , कामरेड ने कहा हाँ अब तो हर जगह जातीय — धार्मिक उन्माद चरम पर है , इसके प्रभाव के चलते सामाजिक ताने – बाने के पेशेगत पहचान समाप्त होती जा रही है | अध्यापक , अधिवक्ता , छात्र , किसान , मजदुर सारे पेशेगत समुदाय इसका खामियाजा भुगत रहे है | लेकिन लोगो की आँखों पर धर्म व जाति की पट्टी चढ़ी हुई है लोगो के पास आँखे होने के बाद भी देखने में समर्थ नही है , चर्चा दौरान — आजमगढ़ – मऊ खासतौर पर बीबीपुर के बड़े नेताओं का खानदान पागलो से भरा है — बकौल सच्चिदानन्द राय तभी बड़े भाई बृजेश नन्दन पाण्डेय ने कहा हर तरफ जाति – धर्म पर राजनीत लोग कर रहे है , हाँ अबकी बार दीवानी बार में भी यह साफ़ हो गया है , दीवानी कचहरी में धार्मिक मुद्दों को उठाकर एम् — वाई समीकरण बना दिया गया जिसका प्रणाम भी सामने आ गया | तभी पुट्टू भाई ने मेरे सामने सुरती रख दी मैं उसका सेवन करके अपने काम पे लग गया | काम समाप्त करने के बाद मैं वापस जा रहा था तभी पीछे से एक कमरे से आवाज आई मैं घुमा तो देखा वहां पर यही सारे लोग बैठे है मैंने भी अन्दर चला गया तभी किसी ने कहा आइये इस स्लाटर हाउस में आपका भी स्वागत है , मैं भाई के शब्दों पर सोचने लगा आखिर इस कमरे को लोग स्लाटर हॉउस क्यों कह रहे है तभी मेरी उत्सुकता को कामरेड सच्चिदानन्द राय ने शांत किया यह स्लाटर हॉउस ऐसा है जहां भारत सरकार हो या प्रदेश सरकार उनका कायदा कानून नही चल सकता यहाँ बकरा खुद कटने के लिए उत्सुक रहता है या फिर कभी कभी हम लोग बकरा ढूढ़ लेते है | बाते आगे बढ़ी बृजेश भाई ने सच्चिदान्द राय से कहा राय साहब कुछ कामरेड अजित के बारे में बतावा बकौल कामरेड शुरू हो गए अजित की शादी में हम सारे साथी कामरेड अनिल राय , कामरेड जयप्रकाश राय , कामरेड इशरत रिजवी , इरफ़ान मोहसिन , आदिल कपिल , शमीम , तनवीर भाई और भी बहुत से लोग बरेली रवाना हुए , कामरेड जयप्रकाश राय शिवशकंर का प्रसाद गांजा – और देवताओं का प्रिय पेय सुरा का इंतजाम करके ट्रेन में चढ़े और शुरू हुआ अपनी अपनी पसंद का दौर मस्ती पे आने के बाद अजित के रिशेतदारो का नाम लेकर लोग नारा लगाते हुए बरेली पहुचे , वापसी में अजित ने इरफ़ान मोहसिन से किसी काम के लिए कहा पर इरफ़ान मोहसिन माने नही तब अजित ने कहा अच्छा चलो आजमगढ़ तो बताता हूँ जब इरफ़ान मोहसिन ने अपनी बेडिंग बाँध लिया तो कामरेड अजित ने नजर बचाकर इरफ़ान के बेडिंग में सुरा के सारे बोतलों को रख दिया जब इरफ़ान मोहसिन घर आये और उनकी अम्मी ने उस बेडिंग को खोला तो उसमे से बोतले निकली तब वो मोहसिन साहब से बोली कि आप कालेज के बच्चो को क्या सुधारिएगा आपका बेटा यह करतूत किया है उसके बाद मोहसिन साहब एक छरका लेकर इरफ़ान भाई का जबर्दस्त तरीके से स्वागत किया | शाम को जब इरफ़ान अजित से मिले तो बड़ी गाली दिए | किस्सा आगे बढ़ा कामरेड अजित कामरेड विजयी सिंह कामरेड सोमेश्वर कामरेड जयप्रकाश राय कामरेड अनिल राय कामरेड सच्चिदानन्द राय हम सारे लोग पटना में पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में गये थे इन महानुभाव के पास जब पैसा खत्म हो गया कामरेड जयप्रकाश राय को तलब चढ़ी उन्होंने अजित से कहा मित्र इंतजाम हो जाए अजित ने भी कहा कहा से करूँ माल खत्म है तभी कामरेड विजयी सिंह ने एक सुझाव दिया कि कामरेड जयप्रकाश सडक पर आराम से लेट जाए उसपे हम लोग चादर डाल देंगे और अजित रिश्तेदार बनकर उनके कफन के लिए पैसा मागेंगे ऐसा ही ड्रामा शुरू हुआ जयप्रकाश राय सडक पर लेट गये चादर डाल दिया गया , जो लोग उधर से गुजरते वो कुछ न कुछ डाल देते जब अच्छी रकम जमा हो गया तो कामरेड अजित और कामरेड विजयी सिंह हैवी यह दोनों खिसक लिए वहाँ से तभी वहां पर एक कुत्ता आ कर जयप्रकाश राय के चेहरे को मूत्र विसर्जन कर दिया , तब कामरेड चिल्लाकर बोले सालो पानी काहे फेंक रहे हो और उठ गये वहां पर जब उन्होंने नजर दौड़ाई तो वो लोग गायब थे वहाँ पर एक रिक्शे वाला बैठा था जयप्रकाश राय ने उससे पूछा कहाँ गये सब उसने जबाब दिया हमे का मालुम तब जयप्रकाश राय ने पूछा यहाँ कहीं आस – पास हौली है क्या उसने कहा की है जब कामरेड वहां पहुचे तो देखते है वहा पर यह लोग मौजूद है कामरेड ने उन लोगो को बड़ी गाली दिए फिर उसी महफिल में शामिल हो गये | कामरेड सच्चिदान्द राय बोले अगर यह लोग यह काम नही करते तो आज देश के बड़े नेताओं में कामरेड अजित और कामरेड जयप्रकाश राय का नाम होता | बाते तो बहुत थी पर मैं वहाँ से निकल आया अपने काम से यह कहते हुए की फिर मिलूँगा अब नये साल में |
सुनील दत्ता स्वतंत्र पत्रकार दस्तावेजी छायाकार

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