कांग्रेस में राहुल गांधी की मेहनत पर उनके करीबी ही पानी फेरने में लगे हैं और राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे रोज सिर्फ चेतावनी ही देते रहते हैं और उनके करीबी तथाकथित पार्टी के बड़े नेता लोकतंत्र के नाम पर ऐसी-ऐसी बयान बाजी करते हैं कि शीर्ष नेतृत्व को शर्मसार होना पड़ता है, मैं पार्टी में ऐसे कई तथाकथित बड़े नेताओं को जानता हूं, जिन्होने पार्टी के सरकार में रहते काफी नाम और धन कमाया है लेकिन उनकी हैसियत पार्टी से अलग एक वोट भी दिलाने की नहीं है लेकिन तथाकथित बड़े नेता के नाम पर पार्टी के बड़े पदों पर बैठे हैं और पार्टी नेतृत्व को अपनी हैसियत जताने की खातिर रह-रहकर कोई न कोई बयान देकर पार्टी को असहज कर देते हैं और राहुल या मल्लिकार्जुन खरगे आजतक किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किए, शायद इसीलिए विरोधी भी यह कहने से नहीं चुकते कि कांग्रेस के नेता ही राहुल गांधी को गम्भीरता से नहीं लेते।राहुल गांधी को भी इतनी शराफत नहीं दिखानी चाहिए, आप पार्टी चला रहे हो कोई धार्मिक संगठन नहीं,अनुशासन किसी भी संगठन की पहली प्रमुख प्राथमिकता होती है, आज पार्टी में ऐसे नेताओं की लम्बी फेहरिस्त है जिन्होने समय-समय पर पार्टी नेतृत्व को अपने बयान से पार्टी से इतर बयान देकर नेतृत्व की फजीहत कराई है इनमें से कुछ प्रमुख नाम हैं मणिशंकर अय्यर, शशिथरूर, पी.चिदम्बरम । ये तीन तथाकथित बड़े नेता पर आजतक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके अलावा भी कई ऐसे नेता हैं जो बड़े पदों पर विराजमान हैं हरियाणा में कुमारी शैलजा जो हरियाणा विधान सभा चुनाव में रोज पार्टी से इतर बयान देकर पार्टी को हरवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी,कुछ छोटे नेताओं पर कार्रवाई हो जाती है, जैसे बिहार में 43 छोटे नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए नोटिस दी गई है। दूसरा बड़ा कारण पार्टी में जो नये ,मेहनती और जमीनी नेता हैं उन्हे पुराने और घाघ नेता आगे नहीं आने दे रहे हैं। तीसरा सबसे बड़े कारणों में एक प्रमुख कारण ये भी है कि मल्लिकार्जुन खरगे अपनी आयु और स्वास्थ्य कारण से पार्टी को अपनी सेवा नहीं दे पा रहे हैं साथ ही संगठन मंत्री का पद बेहद महत्वपूर्ण ,भागदौड और दिमाग वाला होता है और जिसे पूरे भारत की राजनीतिक स्थिति की जानकारी होती है कांग्रेस संगठन मंत्री के.सी. वेणुगोपाल है,जो राहुल गांधी के साथ हर समय चिपके रहते हैं और इसमें उनको चमचागिरी की सुविधा रहती है आजतक राहुल ने उनको नहीं हटाया, शायद उनको भी चमचागिरी पसंद है राहुल गांधी को यह बात समझनी होगी कि जिन राज्यों में मजबूत स्तम्भ और मेहनत करने वालों के हाथों में राज्य रहा वहां तो कांग्रेस की सरकार बनी,उदाहरण के लिये वाईएसआर, रेवंत रेड्डी, सुखविंदर सिंह सूक्खू और डी.के. शिवकुमार जैसे जमीनी और मेहनती नेता प्रदेश अध्यक्ष बने उन्होने सत्ता छीन ली, पार्टी में कामचोरों की भरमार है और सत्ता की लड़ाई भाजपा जैसी कैडर और रात-दिन मेहनत करने वाली पार्टी से है जहां पार्टी पन्ना प्रमुख के दम पर चलती है, ऐसी पार्टी से लड़ने के लिए पार्टी को निचले स्तर तक यानि ब्लाक स्तर तक मज़बूत संगठन खड़ा करना होगा, रोज-रोज बयान बाजी करने से नहीं।-सम्पादकीय-News51.in
