इसबार कांग्रेस और सपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में हुए गठबंधन की अधिकांश गलतियों से सबक लेते हुए न केवल संयुक्त सभाएं की हैं बल्कि रोड शो भी साथ-साथ किया है कांग्रेस यूपी में अपने वजूद को कायम रखने की जद्दोजहद कर रही है लेकिन जिस प्रकार से अखिलेश यादव ने बडी़ गम्भीरता से यूपी में न केवल अपने दल सपा को जीताने के लिए एडी़ -चोटी का जोर लगाया है उतना ही जोर कांग्रेस प्रत्याशियों को जीताने के लिए लगा रहे हैं उससे कांग्रेस कार्यकर्ता और नेताओं में भी न केवल एक नया उत्साह जगा है वह बेहद आश्चर्यजनक है और सुखद भी है वह भी सपा कार्यकर्ताओं के साथ कंधा से कंधा मिलाकर पूरे जी जान से जुट गया है चाहे वह सपा प्रत्याशी हैं चाहें कांग्रेस का प्रत्याशी हो । इससे पहले पचीसों-तीसों साल के इतिहास में यूपी में सपा -कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं में देखने को नहीं मिला था जो बुजुर्ग और पुराने कांग्रेसी थक हार कर घर बैठ गये थे उनमें भी जोश देखा जा रहा है और यह सब चमत्कार केवल अखिलेश यादव के कारण सम्भव हो सका है जिन्होने इस चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया हैऔर पूरी शिद्दत और मेहनत से सभी प्रत्याशियों के लिए जी तोड़ परिश्रम कर रहे हैं । हालांकि यह चुनाव यूपी में कांग्रस के वजूद और उपस्थिति के लिए हो रहा है लेकिन लगता है अखिलेश यादव ने इंडिया गठबंधन को अपनी प्रतिष्ठा बना ली है । कांग्रेस जिन 17 सीअरेर्टों पर अपना प्रत्याशी उतारी है उसमें भी पूरी तरह से अखिलेश की ही चली है और तो और इलाहाबाद में कांग्रेसी प्रत्याशी उज्वलारमण सिंह एक तरह से सपा के ही प्रत्याशी हैं । जिन 17 सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं मात्र अखिलेश यादव के दम से न केवल दमदारी से चुनाव लड़ रहे हैं उनमें से अधिकांश केवल अखिलेश यादव के कारण ही लडा़ई में बने हुए हैं यानि चुनाव जीत भी सकते हैं इसी प्रकार सपा की भाजपा के साथ सभी सीटों पर टक्कर की लडा़ई है । इसके अलावा एकमात्र तृणमूल की सीट पर उनके प्रत्याशी भी लडा़ई में हैं यह सब केवल अखिलेश के बूते ही सम्भव हो सका है । बिहार में लालू यादव और तेजस्वी ने इंडिया गठबंधन में कांग्रेस को 9 सीटें दी लेकिन वहां पप्पू यादव के खिलाफ मीसा भारती को उतार दिया वहीं खुद कांग्रेस अध्यक्ष ने लालू यादव से मिल कर महराज गंज से कन्हैया कुमार को टिकट न दिला कर अपने पुत्र को टिकट दिलवा दिया ।यानि खुद कांग्रेस अध्यक्ष ने बिहार में लालू यादव और तेजस्वी से मिलकर कांग्रेस के साथ खिलवाड़ किया ।स्वयंम लालू यादव और तेजस्वी ने वह परिपक्वता नहीं दिखलाई जो अखिलेश यादव ने यूपी में दिखलाई । जहां एक- एक सीट के लिए जद्दोजहद इंडिया गठबंधन और एन डी ए के बीच हो रही है वहां संकीर्णता उचित नहीं ।हालांकि यह भी सही है कि तेजस्वी यादव इंडिया गठबंधन को जीताने के लिए जीतोड़ परिश्रम कर रहे हैं लेकिन उसमें तारतम्यता की कमी है अब बिहार और यूपी में क्या रिजल्ट निकलता है, देखना दिलचस्प होगा । सम्पादकीय-News 51.in