Sunday, December 22, 2024
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जब मांझी नाव डुबाए, उसे कौन बचाए, कांग्रेस नेतृत्व को उसके सबसे भरोसेमंद ने ही तोड़ा भरोसा, किया खुला विद्रोह

जयपुर (राजस्थान) -26 सितम्बर – कहा तो था सोनियां जी के पास पड़ा है मेरा इस्तीफा, उनके इशारा भर करने की ज़रुरत है। फिर कहा पिछले चालीस वर्षों से मैं पार्टी के विभिन्न पदों पर रहा हूँ मैं, मुझे पार्टी के पद की लालसा नहीं है, हाई कमान जो भी कार्य मुझे सौंपेगा मैं उसे करूंगा। दिखाने के लिए सोनियां गांधी से मुलाकात किया फिर केरला राहुल गांधी से मुलाकात किया, लेकिन कल जो कुछ घटना घटी सारा देश सन्न है, कारण आज तक इतना खुला विद्रोह कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ किसी ने नहीं किया था। मल्लिकार्जुन खडगे और अजय माकन नेतृत्व की तरफ से राजस्थान विधायकों की बैठक में पर्यवेक्षक बन कर गये थे तीन बार समय विधायकों के मीटिंग में न आने के कारण समय बदलना पड़ा उल्टे सभी मंत्री और विधायक मंत्री धारीवाल के यहाँ पहुँच गए और विधान सभा अध्यक्ष को 92 विधायकों ने सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाये जाने के विरोध में इस्तीफा सौप दिया।हद तो तब हुआ जब यह तय हुआ कि सोनियां गांधी इस पर अंतिम फैसला लेंगी तो, विधायकों और मंत्रियों ने इसे बिना विधायकों को सुने फैसले को मानने से ही इंकार कर दिया ।ये तो नेहरू गांधी परिवार कासबसे खास बनने का नाटक करने वाले अशोक गहलौत का था, दर असल अशोक गहलौत शुरू से ही इस परिवार के करीबी रहकर उनकी अच्छाइयों और कमजोरियों को भली- भांति जान चुके हैं और आज तक इसका भरपूर इस्तेमाल करते रहे हैं। अब आगे नेहरू गांधी परिवार को भी शायद समझ में आ चुका होगा कि किसी को भी अपना बहुत करीबी समझना कितना घातक होता है कोई करीबी नहीं होता सभी अपना उल्लू सीधा करते हैं। खैर आगे क्या अभी भी अशोक गहलौत कांग्रेस आलाकमान की पसंद होंगे या स्वयंम सोनियां गांधी होंगी या प्रियंका गांधी या कमलनाथ होंगे, देखना रोचक होगा और क्या राजस्थान के किसी नेता के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत आला कमान जुटा पाता है या अशोक गहलौत के सामने समर्पण करता है फिर सचिन पायलट का क्या? उनके लिए तो आला कमान ने अपना वादा निभाने का प्रयास भरपूर किया है लेकिन अशोक गहलौत आड़े आ रहे हैं। सचिन पायलट कौन सा रूख अपनाते हैं, यह देखना भी दिलचस्प होगा। इन सब के बीच कांग्रेस आलाकमान के पक्ष में एक बात अवश्य हुइ है कि 25 सितम्बर को ही अशोक गहलौत ने अपना असली रूप दिखा दिया है और अभी भी कांग्रेस आलाकमान के पास अपनी पसंद का अध्यक्ष चुनने का समय है इतना तो तय है कि अब अशोक गहलौत अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस आलाकमान की पसंद नहीं ही होंगे। वैसे आज सोनियां गांधी ने अशोक गहलौत और सचिन पाइलेट दोनों को दिल्ली बुलाया है इस मुलाकात के बाद स्थित कुछ साफ होगी ।

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