इन दिनों राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की भारत जोड़ो यात्रा चल रही है साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव भी होने जा रहा है पहले तो कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा की बात कर लेते हैं कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा पर लगातार भाजपा का हमलावर रूख अपनाए हुए है और फेसबुकिए टाइप भाजपा समर्थकों द्वारा बेमतलब की और फालतु किस्म की टिप्पणी (जैसे लीटर आंटा, ब्रांडेड जूता और महंगी टीशर्ट, पादरी से मिलना ,आदि) तक तो ठीक था लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेता भी यात्रा पर टिप्पणी करते हैं तो अजीब सा लगता है और राहुल गांधी को भारत का इतिहास पढने जैसी सलाह देना जैसी बात कहने का अर्थ तो यही दर्शाता है कि हद से ज्यादा किसी बात की टीका टिप्पणी का मतलब यही निकलता है कि इस यात्रा से भाजपा भी सतर्क हो गई है भाजपा की चिंता और उसके नेताओं की टीका टिप्पणी तो फिर भी समझ में आ रही है लेकिन कुछ अन्य विपक्षी दलों की इस भारत जोड़ो यात्रा पर टिप्पणी और आलोचना समझ से परे है ममता बनर्जी और मायावती अखिलेश यादव और के चंद्र शेखर राव के नेताओं द्वारा की जा रही आ़़लोचना समझ से परे है। लब्बो लबाब ये कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारीयां सभी ने शुरू कर दी है और भारत जोड़ो यात्रा भी इसी लोक सभा चुनाव की तैयारी का हिस्सा है। अब बात करते हैं कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की, तो अभी तक की बातों से स्पष्ट है कि न तो राहुल गांधी चुनाव लड़ेंगे और न ही प्रियंका गांधी ही अध्यक्ष का चुनाव लड़ने जा रही हैं इस बारे में राहुल गांधी ने स्पष्ट इशारा कर दिया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलौत ने कल यह स्पष्ट इशारा कर बताया कि, यदि सोनियां गांधी उन्हें अध्यक्ष बनने को कहेंगी तो वह इनकार नहीं कर सकते हैं वस्तुतः ऐसा साफ दिख रहा है कि सोनियां गांधी ने उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की हरी झंडी दिखा दी है। बाकी यदि कोई और भी कांग्रेसी अध्यक्ष का चुनाव लड़ता है तो यह उसकी मर्जी, जैसा कि गाहे बगाहे सुनने को आता है कि शशिथरूर, आनन्द शर्मा और मनीष तिवारी जैसे राहुल गांधी से नाराज नेता भी चुनाव लड़ेंगे, जो भी हो फिलहाल लगभग तय है कि आगे आने वाले समय में अशोक गहलौत 17 अक्टूबर या 19 अक्टूबर को (चुनाव होने की दशा में) अन्यथा अक्टूबर की शुरुआत में ही स्पष्ट हो जाएगा कि कौन अध्यक्ष बना।