उत्तर प्रदेश में विधान सभा का चुनाव होने में लगभग चार साढे चार महीने का समय बचा है। सभी दल अपनी -अपनी पार्टीयों को चुस्त- दुरूस्त करने में लगी हैं छोटे दल अपनी सुविधा के अनुसार बड़े दलों के साए तले गठबंधन कर दो- चार सीटें पा लेने की लालसा पाले हुए हैं इनमें सबसे बड़ा दल भाजपा का है और वर्तमान में उत्तर प्रदेश में सत्ता में भी है उनके साथ पिछले चुनाव में गठबंधन किए दल (ओम प्रकाश राजभर की पार्टी को छोड़कर )इस बार भी साथ हैं। दूसरा सबसे बड़ा और मजबूत दल सपा है जो पहले की अपेक्षा इस बार काफी मजबूत है और भाजपा से उसका ही मुख्य मुकाबला आभी नजर आ रहा है। बसपा पिछली बार की तुलना में काफी कमजोर हुआ है और उसके अधिकतर बड़े नेता उसका साथ छोड़ कर सपा में शामिल हो चुके हैं और बचे खुचे भाजपा में शामिल हो गए हैं कुछ कांग्रेस में भी शामिल हुए हैं। आम आदमी पार्टी और ओबैसी तथा तृणमूल कांग्रेस भी उत्तर प्रदेश के चुनाव में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए हाथ पैर मार रही है कांग्रेस बहुत सालों बाद संघर्ष करने को अमादा है और प्रियंका गांधी की मेहनत के कारण कार्यकर्ताओं में भी भारी जोश है बसपा के कमजोर होने से भी कांग्रेस उसके वोट में सेंधमारी के लिए उनकी लडाई सड़कों पर लड़ रही है पंजाब और छत्तीस गढ के मुख्यमंत्रीयों को और दीपेंद्र हुड्डा ,सचिन पायलट को भी को उत्तर प्रदेश में दौरे कराने का प्रोग्राम है। अपने वोट बैंक में कांग्रेस की सेंधमारी से चिढी मायावती भाजपा की अपेक्षा सपा और कांग्रेस पर जमकर निशाना बना रही हैं। अगर कांग्रेस मायावती के वोटरों में 30-40 प्रतिशत वोट काटने में सफल होती है तो उसकी बड़ी राहत भरी खबर होगी, और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस बसपा को पीछे छोड़ तीसरे नंबर पर आ सकती है वैसे भी अल्पसंख्यक समुदाय मायावती के इस बयान से काफी नाराज है जिसमें उन्होंने कहा था कि सपा को जीतने से रोकने के लिए भाजपा का साथ देना पड़े तो देंगे। सपा का ओम प्रकाश राजभर की पार्टी से गठबंधन हो चुका है। ओबैसी की पार्टी से हिंदू वोटर के डर के कारण कोई भी दल गठबंधन करने से परहेज कर रहा है इसी तरह चंद्र शेखर उर्फ रावण की पार्टी से मायावती की नाराजगी कोई नहीं लेना चाहता। सपा और रालोद का गठबंधन भी करीब -करीब फाइनल ही था उसकी कांग्रेस से तालमेल की बात चल रही है लेकिन लगता हैअंत में रालोद भी सपा से ही गठबंधन होगा। कांग्रेस से सभी दल दूरी बनाये हुए है कारण अगर कांग्रेस यूपी में मजबूत होती है तो सभी पार्टियों को दिक्कत होगी,यहां तक कि अन्य दलों के उत्तर प्रदेश में मजबूती से भाजपा को भी दिक्कत नही है लेकिन कांग्रेस मजबूत न होने पाए। इधर कांग्रेस ने 40 प्रतिशत महिलाओं को विधान सभा का टिकट देने का एलान कर अन्य दलों में हलचल मचा दिया है कांग्रेस जानती है कि उत्तर प्रदेश में सभी दलों के पास अपना वोट बैंक है सिर्फ कांग्रेस के पास नहीं है इसीलिए कांग्रेस ने यह दांव बहुत सोच-समझ कर चला है कांग्रेस के लिए यह लम्बे समय के लिए किसी दल से तालमेल न होना उसके संगठन की दृष्टिकोण से अच्छा है और तत्काल लाभ के लिए ठीक नहीं है अभी चुनाव घोषणा में समय है आगे देखते हैं क्या होगा क्योंकि कहावत है राजनीति में अंतिम समय तक कुछ नहीं कहा जा सकता है। सम्पादकीय -News51.in