कहावत पुरानी है जब लगता है कि सब कुछ खत्म हो गया है तो वहीं से होती है न ई कहानी और नया अध्याय, दोनों की शुरुआत। यहीं पर इंसान को अपनी काबलियत दिखाने का सर्वश्रेष्ठ मौका भी मिलता है। वही पंजाब की कांग्रेस की राजनीति में दिख रहा है। पिछले चुनाव में कांग्रेस के सबसे मजबूत खिलाड़ी कैप्टन अमरिन्दर सिंह थे और उन्हीं के नेतृत्व में कांग्रेस ने विधान सभा चुनाव लड़ा और जीता बाद में लोकसभा चुनाव में भी उन्ही के प्रयासों से कांग्रेस सबसे ज्यादा सीट लेकर आई। शायद उन्हें इसका गुमान हो गया। उन्होंने न तो जनता, न ही उनको किए गए वायदों को याद किया और न ही पूरा करने का प्रयास किया और तो और पार्टी के आला कमान को भी कुछ न समझ उसकी अनदेखी करते रहे। आला कमान खून के घूंट पीकर चुप रहा। राजनीति में कब जनता किसे माथे पर बिठाती है और किस पल उसी से घृणा करने लगती है ज्यादा समय नहीं लगता और राजनीतिज्ञों को लगता है कि अब तो हमेशा कुर्सी पर मैं ही रहूंगा। मैं चाहे जो करूं। यही अमरिंदर सिंह के साथ हुआ। आफिस बहुत कम आने लगे, अपने विधायकों से मिलने का समय नहीं रहता था अपने मातहतों के भरोसे सारा काम छोड़ दिया, जनता को किए एक भी वादा पूरा नहीं किया। उधर कांग्रेस आला कमान को मौके की तलाश थी। प्रशांत किशोर से फीड बैक लिया गया। जिसमें उन्होंने साफ कहा कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस विधान सभा चुनाव में बुरी तरह हारेगी, जनता उनसे बेहद नाराज है। बस कांग्रेस आला कमान ने अपने विश्वास पात्र नवजोत सिंह सिद्धु को आगे किया, नवजोत सिंह सिद्धु ने नाराज विधायकों को एक जुट कर आला कमान से मिलवाया। पहले तो नवजोत सिंह सिद्धु को पंजाब कांग्रेस का कैप्टन अमरिन्दर सिंह के भारी विरोध के बाद भी अध्यक्ष बनाया। राहुल गांधी का मैसेज सभी विधायकों को हरीश रावत के माध्यम से दे दिया गया। कैप्टन अमरिन्दर के अपने भी उनका साथ छोड़ गए। वो अपने पुराने अंदाज में ही आला कमान को धमकाते रहे इधर कांग्रेस अध्यक्ष ने उन्हें अपने पद से इस्तीफा देने को कह दिया। तबतक लगभग सभी उनका साथ छोड़ चुके थे। मजबूरन उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। विधायकों ने अगले मुख्यमंत्री के लिए आला कमान पर मामला छोड़ दिया तो कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने साफ कहा अगर सिद्धू या उनका कोई नजदीकी मुख्यमंत्री बना तो वह विरोध करेंगे। तब कांग्रेस अध्यक्षा ने अम्बिका सोनी को मुख्य मंत्री बनाना चाहा, लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया। सभी पार्टियों ने पहले ही एलान किया था कि अगर उनकी सरकार बनी तो उप मुख्य मंत्री अनुसूचित जाति का होगा और भाजपा ने तो अनुसूचित जाति का मुख्य मंत्री बनाने का दावा किया था बस यहीं से कांग्रेस आला कमान ने विचार विमर्श के बाद चरन जीत सिंह चन्नी के नाम पर मुहर लगाई कांग्रेस अध्यक्षा एक तीर से क ई निशाने साधे। एक तो सभी दलों की बोलती बंद कर दी, दूसरे पार्टी के अंदर सभी गुटों को चुप करा दिया कहीं से विरोध का स्वर नहीं उठा और तो और प्रधानमंत्री ने भी चरनजीत सिंह चन्नी को बधाई दी ।अब चरनजीत सिंह चन्नी को अपनी काबलियत दिखाने का सर्वश्रेष्ठ मौका मिला है अगर जनता का दिल जीत कर कांग्रेस को विधान सभा चुनाव चुनाव में कांग्रेस को जीत दिला पाते हैं तो वो पंजाब के बड़े नेताओं में अपना नाम दर्ज करा लेंगे और कांग्रेस आला कमान के प्रिय होंगे इसके अलावा वो क ई अन्य राज्यों में भी कांग्रेस के लिए लाभकारी हो सकते हैं।