तहरीके जिन्होंने जंगे -आजादी -ए- हिन्द को परवान चढाया
लहूँ बोलता भी हैं
गदर मूवमेंट
भोपाल के बरकतुल्लाह ने सैन -फ्रांसिस्को में गदर पार्टी के नाम से एक तंजीम बनाई | इस तंजीम का मकसद भारत और भारत के बाहर जहाँ भी ब्रिटिश – मुखालिफ तंजीमे थी , उन सबके साथ एक नेटवर्क बनाकर अंडरग्राउण्ड क्रान्ति के जरिये अंग्रेजो को भारत से खदेड़ना था | सैय्यद शाह रहमत ने फ्रांस में रहकर कुछ अंडरग्राउण्ड आन्दोलन शुरू किये थे , लेकिन गदर मूवमेंट कामयाब नही हो सका | गदर के आरोप में बरकतुल्लाह गिरफ्तार हुए और सन 1915 में इसी इल्जाम में फांसी की सजा पाकर शहीद हुए | इसके बाद मुल्क के बाहर गदर पार्टी का काम जौनपुर के सैय्यद मुजतबा हुसैन और फैजाबाद के अली अहमद सिद्दीकी ने मिलकर सम्भाला | मलाया और बर्मा में ब्रिटिश – मुखालिफ बगावत की प्लानिग बनाई गयी लेकिन यह भी किसी वजह से कामयाब नही हो सकी | बगावत के जुर्म में दोनों लोग 1917 में गिरफ्तार किये गये और फांसी पर लटका दिए गये |
खुदाई खिदमतगार
खान अब्दुल गफ्फार खान ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ताईद में जंगे आजादी की लड़ाई के लिए सीमा सरहद के लोगो को मुकामी पैमाने पर मुत्तहिद करके खुदाई खिदमतगार के नाम से एक तंजीम बनाई जिसकी वर्दी लाल – कुर्ती थी | इसलिए इसे लाल कुर्ती मूवमेंट के नाम से भी जाना जाता हैं | यह आन्दोलन बहुत तेजी से फैला | नतीजन अंग्रेज घबरा गये और उन्होंने खान अब्दुल गफ्फार खान को गिरफ्तार करके तीन साल के लिए कैद कर लिया | इसके बाद तो जैसे खान साहब को मुसीबतों व तकलीफ सहने की आदत सी पड़ गयी
जेल से आकर उन्होंने और ज्यादा मजबूती से पठानों को मुत्तहिद करके मूवमेंट को और तेज कर दिया | सन 1937 में नये आर्डिनेंस के जरिये कराए गये चुनावों में लाल – कुर्ती की ताईद से कांग्रेस पार्टी को अक्सरियत मिली और कांग्रेस ने गफ्फार खान के भाई की कयादत में वजारत बनाई | जो की सन १९४७ तक चली | बाद में उन लोगो को भारत और पाकिस्तान में से किसी एक नये मुल्क के हक में चुनाव करना पडा | चुनाव के नतीजे सीमांत प्रांत को पाकिस्तान में मिलने के हक में हुआ | खान अब्दुल गफ्फार खान ( सरहदी गांधी के नाम से मशहूर थे | सरहदी गांधी नेशनलिस्ट के थे उन्होंने 95 साल की उम्र में से 45 साल तो जेल में बिताए |
प्रस्तुती सुनील दत्ता – स्वतंत्र पत्रकार – समीक्षक
आभार – सैय्यद शाहनवाज अहमद कादरी