दिलीप कुमार की मृत्यु के साथ ही एक युग समाप्त हो गया। लगभग दो साल के अंतराल पर तीन कलाकार आये राजकपूर, दिलीप कुमार और देवानन्द 1950 के दशक की शुरुआत होते- होते तीनों ही फिल्मी दुनियां के रूपहले पर्दे पर छा गए। तीनों ने अपनी अलग -अलग पहचान बनाई राजकपूर को फिल्मों में काम करने के अलावा अपने मनमुताबिक फिल्म बनाने के साथ ही डाईरेक्शन करने का भी बड़ा शौक था, जिसके चलते उन्हें फिल्मी दुनियां का “शोमैन ” का खिताब मिला। देवानन्द ने अपनी अलग पहचान बनाई और स्टाइलिश रोमांटिक हीरो बने, दिलीप कुमार ने ट्रेजडी किंग का खिताब पाया। ज्वार भाटा से फिल्मी सफर शुरू हुआ और किला उनकी आखिरी फिल्म साबित हुई। एक फिल्म गंगा जमुना का निर्माण भी किया जो मेगा हिट रही। राम और श्याम, गोपी, कोहनूर जैसी फिल्मों में कामेडी कर के दर्शा दिया कि अभिनय की पाठशाला हैं मुगलेआजम ने तो तो रिकार्ड ही तोड़ दिया। ऐसी दर्शकों की दिवानगी इस फिल्म के लिए थी कि सुबह से ही टिकट के लिए लाईन लगा करती थी। शक्ति फिल्म में अमिताभ बच्चन उनके सामने फीके नजर आये। मशाल में अनिल कपूर, क्रांति और आदमी में मनोज कुमार और पैगाम में राजकुमार ने उनके साथ काम काम किया। क ई कलाकारों ने उनके अभिनय की नकल करने की कोशिश की, मनोज कुमार, राजेंद्र कुमार, अमिताभ बच्चन ऐसे ही कलाकार रहे। उनकी 98 वर्ष की उम्र में निधन के बाद 50 के दशक का आखिरी स्तम्भ भी गिर गया। अपने समय की ब्युटी क्वीन मधुबाला और बैजंतीमाला के साथ उनके अफेयर भी थे बैजंतीमाला के साथ थोड़ा समय था लेकिन मधुबाला के साथ उनका लम्बा अफेयर चला था जो बाद में मधुबाला के परिवार के कारण टूट गया था।