Sunday, October 6, 2024
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2024 के लोकसभा चुनाव से पहले 10 राज्यों में होने वाले विधान सभा चुनाव आने वाली राजनीति की दिशा देगी

लोकसभा चुनाव के पहले 10 राज्यों में विधान सभा चुनाव होने हैं ये राज्य हैं तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक छत्तीसगढ़ मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय तथा जिस प्रकार केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर में चुनाव की तैयारी कर रही है तो हो सकता है जम्मू कश्मीर में भी विधान सभा चुनाव हो जाए। पिछली बार 2018 में तेलंगाना में टीआर एस जिसका नाम अब बीआर एस हो गया है 119 में से 87 सीट जीत कर क्लीन स्वीप कर दिया था। कांग्रेस को 19 सीट और टीडीपी को 15 सीट मिली थी भाजपा को मात्र 1 सीट मिली थी कांग्रेस चंद्र शेखर राव पर इस चुनाव में बीजेपी से अंदरखाने मिली-भगत का आरोप लगा रही है और चंद्र शेखर राव इसे गलत बता रहे हैं और भाजपा पर कड़ा प्रहार करते हुए केंद्र की नीतियों को विफल बता रहे हैं। दूसरे नम्बर पर त्रिपुरा की बात करते हैं तो 2018 के चुनाव में भाजपा को 35 सीटों पर जीत मिली थी और कांग्रेस तिसरे नम्बर पर थी भाजपा और वामदलों के बीच मात्र1प्रतिशत वोटों का अंतर था 20 साल तक मानिक सरकार की जगह भाजपा के विप्लव देव मुख्य मंत्री बने। लेकिन म ई 2022 में विप्लव देव के विरूद्ध जनता का रूख देख माणिक साह को मुख्य मंत्री बना दिया गया। लेकिन वर्तमान में भाजपा के अंदरूनी कलह से ग्रसित हैइसके अलावा इंडीजेनस पीपुल्स आफ त्रिपुरा नामक आदिवासी बहुल पार्टी भी जो पिछले चुनाव में भाजपा के साथ थी अलग हो गई है। वहीं क ई बड़े नेता तृणमूल कांग्रेस और भाजपा से अलग हो कांग्रेस में शामिल हुए हैं और ऐसा लगता है चुनाव पूर्व वामदलों और कांग्रेस का गठबंधन भी हो सकता है जिससे आगे भाजपा की परेशानी इस राज्य में बढ सकती है तीसरे राज्य मेघालय में 60 सदस्यों वाली विधान सभा 2018 में कांग्रेस 21 सीट के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी थी लेकिन बहुमत से दूर नेशनल पीपुल्स पार्टी से हाथ मिला लिया जिसके कारण कोनराड संगमा मुख्य मंत्री बन गए थे लेकिन भाजपा में नेशनल पीपुल्स पार्टी के दो विधायकों के शामिल होने से दोनों दलों में दरार आ गई है भाजपा एलायंस को तृणमूल कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिलने वाली है हालांकि कांग्रेस भी काफी जोर लगा रही है। चौथा राज्य है नागालैंड, जहाँ पर क्षेत्रीय पार्टी नेशनलिस्ट डैमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के साथ भाजपा का मजबूत गठबंधन वाली सरकार है लेकिन भाजपा इस बार अपने को 20 सीटों पर लड़ना चाहती है और शेष सहयोगी के लिए। लेकिन भाजपा को बड़ा झटका तब लगा उसकी पार्टी के तीन जिला अध्यक्ष जेडीयू में शामिल हो गए। इसके अलावा 7 जनजातियों के लिए राज्य की 16 जिलों को मिला कर एक अलग राज्य फ्रंटियर नागालैंड की स्थापना का प्रयास और उसपर मुख्य मंत्री नेफ्यू रियो का समर्थन ,हालांकि गृहमंत्रालय इस पर गम्भीरता से विचार कर रहा है। पांचवां राज्य मिजोरम है जहां पिछले 2018 विधान सभा चुनाव में मिजो नेशनल फ्ंट ने 40 सदस्यों वाली विधान सभा में 26 सीटें हासिल कर अपनी सरकार बनाई थी वहीं कांग्रेस को 5 सीट पर जीत मिली थी और भाजपा का भी पहली बार खाता खुला था इस बार भी मिजो नेशनल फ्रंट को ही चुनाव जीतने का अनुमान है हालांकि कांग्रेस भी काफी जोर लगा रही है लेकिन मिजो नेशनल फ्ंट के केंद्र सरकार के साथ खडे रहने से कोई दिक्कत नही दिख रही है। छठवाँ राज्य दक्षिण का भाजपा की सरकार वाला एक मात्र राज्य है इस नाते भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना है बसव राव बोम्म ई और यदुरप्पा के बीच की अनबन और यदुरप्पा का मुख्य मंत्री की भाजपा की संकल्प यात्रा से दूरी भी भाजपा की परेशानी का सबब हैतथा भ्रष्टाचार भी परेशानी का सबब बना हुआ हैइ सी तरह कैबिनेट विस्तार का मामला फूट के डर से अभी तक रूका हुआ है। दूसरी तरफ कांग्रेस द्वारा अपने दुर्ग को छीनने की छटपटाहट, लेकिन यहां भी पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धीरमैया और कांग्रेस अध्यक्ष डी के शिवकुमार के बीच टिकट बंटवारे का झगड़ा चल रहा है जहाँ प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा है कि टिकट आला हाई कमान द्वारा बांटे जाने हैं तो सिद्धीरमैया समर्थकों का कहना है कि टिकट बांटने वाली कमेटी में सिद्धीरमैया शामिल रहेंगे ।सातवाँ राज्य जहां विधान सभा चुनाव होना है छत्तीस गढ में पिछले 2018 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस को 90 में से 68 सीटों पर जीत मिली थी और भाजपा को मात्र 15 सीटों पर संतोष करना पड़ा था इसके अलावा बीच में चित्रकोटा, मरवाही भानुप्रताप पुर, दंतेवाड़ा और खैरागढ सभी पांचों उपचुनावों में भाजपा को हार मिली है और सम्भवतः कांग्रेस शासित राज्यों में छत्तीस गढ कांग्रेस का सबसे मजबूत किला माना जा रहा है हालांकि आठवां राज्य मध्य प्रदेश है जहाँ लोकसभा चुनाव 2024 से पहले विधान सभा चुनाव होना है यहां भाजपा की परेशानी स्वयं मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं भाजपा का एक गुट कहता है कि मुख्य मंत्री बदला जाएगा और फिर जैसे गुजरात में मुख्य मंत्री बदलने से सब ठीक हो गया और गुजरात में भाजपा विधान सभा चुनाव भारी बहुमत से जीत गई वैसे ही मध्य प्रदेश में भी होगा, जबकि एक गुट का कहना है कि मुख्य मंत्री नहीं अलबत्ता कैबिनेट बदला जाएगा। उधर दूसरी तरफ कांग्रेस द्वारा कमलनाथ के नेतृत्व में जिलेवार स्थानीय मुद्दों और समस्याओं का वचनपत्र (घोषणा पत्र) तैयार किया जा रहा है जिससे भाजपा की परेशानी बढ गयी है। नौवां राज्य राजस्थान है जहाँ पर दोनों दलों भाजपा और कांग्रेस आपसी झगड़े और कलह के चलते परेशान हैं।फिर भी मुख्य मंत्री अशोक गहलौत द्वारा हाल के महीनों में क ई ऐसे निर्णय लिए गये हैं जिनकी तारीफ स्वयं राहुल गांधी भी कर चुके हैं फिलहाल लगता नहीं है कि चुनाव के पहले कांग्रेस अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा कोई कदम उठाएगी। दूसरे प्रदेश प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा के बनने के बाद से उन्होंने सभी नेताओं और विधायकों से अलग- अलग बात की और सबको एक जुट कर इस्तीफा वापस करवाया। शीघ्र ही जिला और ब्लाक स्तर पर संगठन, जो गहलौत और सचिन पाइलेट की लड़ाई की वजह से अंटका पड़ा था उसे भी शीघ्र ही खड़ा करने का वादा किया है निश्चित रूप से रंधावा ने कांग्रेस की समस्याओं के निराकरण का गम्भीर प्रयास किया है और कांग्रेस में जान फूंक दी है दूसरी तरफ वसुंधरा राजे सिंधिया अभी तक भाजपा से दूरी बनाये हुए है और भाजपा अभी भी गहलौत और सचिन पाइलेट की लड़ाई में अपना स्थान बनाने के इंतज़ार में है। एक बात तो तय है कि अगर विपक्ष ज्यादा तर विधान सभा चुनाव जीतती है तो उसमें कांग्रेस कितने राज्य जीतती है उसी आधार विपक्ष के प्रधानमंत्री पद का दावेदार होगा जो लोकसभा चुनाव में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सामने होगा। शायद यही कारण है कि केजरीवाल, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव या मायावती राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में साथ खड़ा रहना नहीं चाहती हैं केवल वामदल, जेडीयू और स्टालिन, शरद पवार और शिवसेना उद्धव गुट राहुल गांधी के साथ आने को फिलवक्त तैयार हैं जहाँ तक 10वां राज् कश्मीर विधान सभा चुनाव में कांग्रेस सहित अन्य स्थानीय दलों जैसे महबूबा मुफ्ती, नेशनल कान्फ्रेंस फारूख अब्दुल्ला की पार्टीयां एक साथ गठबंधन करेंगी यह लगभग तय है और दूसरी तरफ भाजपा होगी। सम्पादकीय -News 51.in

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