1911 में ढहता हुआ शहर था दिल्ली
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नई दिल्ली देश की राजधानी बने ही उसे आज 100 साल पूरे हो चुके है इन 100 सालो में दिल्ली ने अनेक उतार चढाव देखे | 12 दिसम्बर १९११ को जार्ज पंचम का कोरोनेशन पार्क में भारत के नये सम्राट के रूप में राज्याभिषेक हुआ था | समारोह के समापन के तुरंत बाद ही जार्ज ने इस घोषणा से सबको चौका दिया , “हमने निर्णय किया है कि भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली स्थानातरित कि जाए |” 1911 में दिल्ली एक ढहता हुआ पुराना शहर था | चाहरदीवारी से घिरे शहर के बाहर केवल गावं और क़ुतुब -निजामुद्दीन कि दरगाह के पास कुछ बस्तिया थी | एडवर्ड लुटियन और हरबर्ट बेकर कि देखरेख में 1911 से १९३१ के मध्य नई राजधानी ने आकार लिया |लुटियन और बेकर ने इंडिया गेट , राष्ट्रपति भवन सहित दिल्ली को आधुनिक रूप दिया | दिल्ली कुल आठ शहरों को मिलाकर बनी है |लेकिन दिल्ली का इतिहास 3000 साल पुराना है माना जाता है कि पांड्वो ने इन्द्रप्रस्थ का किला यमुना किनारे बनाया था , लगभग उसी जगह जहा आज मुग़ल काल का बना किला है | हर शासक ने दिल्ली को राजधानी के तौर पर अलग पहचान दी | कई बार इस शहर पर हमले भी हुए | शासन के बदलने के साथ – साथ , हर सुल्तान ने इलाके के एक हिस्से पर अपना किला बनाया | दिल्ली को राजधानी बने सौ साल भले ही आज पूरे हो गये हो , लेकिन यहा ब्रिटिश शासनकाल ( वर्ष 1899 ) से ही आठ अदालते न्याय मुहैया करा रही थी |शुरुआत में दिल्ली कई ये जिला अदालते श्रीमती फोर्सटर के घर पर लगती थी |1899 में एच अब्दुल रहमान ,अताउल रहमान बिल्डिंग में कुछ और कमरे किराए पर लिए गये | 1949 में कश्मीरी गेट स्थित पुरानी इमारत को असुरक्षित घोषित किए जाने के बाद 1953 में 22 अधीनस्थ दीवानी अदालतों को 1 स्कीनर्स हाउस स्थित दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिन्दू कालेग कई इमारत और कश्मीरी गेट में स्थानातरित कर दिया गया | यह अदालते 31 मार्च 1958 तक इन्ही इमारतो में चलती रही |1926 में दिल्ली के अन्दर दो प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट तथा एक द्धितीय श्रेणी अवैतनिक मजिस्ट्रेट कार्यरत थे | दिल्ली को पहले एयरपोर्ट कई सौगात 1918 में मिली थी | इस एयरपोर्ट का नाम विक्ट्री एंड गवर्नर जनरल आफ इंडिया लार्ड विलिगटन के नाम पर विलिगटन एयरपोर्ट रखा गया था | यह देश का दुसरा एवं दिल्ली का पहला एयरपोर्ट था | विलिगटन एयरपोर्ट पर 30 नवम्बर 1918 को पहली एयरमेल फ्लाईट लैंड हुई और 1927 में इस एयरपोर्ट से विमानों का व्यसायिक परिचालन शुरू हो गया , लेकिन इस एयरपोर्ट के आधारभूत ढाचे को दुरुस्त करने में दो वर्ष लग गये | सही मायने में 1930 में इस एयरपोर्ट से विधिवत रूप से व्यवसायिक विमानों का परिचालन शुरू हो सका | राजधानी के रूप में दिल्ली के बसने से करीब 47 वर्ष पूर्व ही पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन को मूर्तरूप दिया जा चुका था | करीब पचास हजार लोगो की आवाजाही के लिए इस रेलवे स्टेशन का निर्माण किया था |इसके करीब 34 वर्ष बाद 1998 में प्रसिद्ध सूफी संत निजामुद्दीन औलिया के याद में हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन की नीव पड़ी | इसके दो वर्ष बाद नई दिल्ली स्टेशन की वर्तमान पुरानी बिल्डिंग का निर्माण शुरू हुआ जो 1903 में पूरा हुआ | हालाकि दिल्ली और मथुरा के बीच चलने वाली आठ रेलगाड़िया 1884 से ही नई दिल्ली स्टेशन इलाके से पास होती थी | सिक्षा के क्षेत्र में दिल्ली में जो 100 वर्षो में घटा उसकी शुरुआत ही बेहद रोचक है | दिल्ली यूनिवर्सिटी बनने से पहले ही कालेग अस्तित्व में आ चुके थे | दिल्ली विश्व विद्यालय की शुरुआत 1922 में ओल्ड सेक्रेट्रियट से हुई थी | उसके साथ जुड़े थे तीन कालेज – सेंट इस्टीफंस , हिन्दू कालेज और रामजस कालेज तीनो ही कालेज विश्वविद्यालय के शुरू होने से पहले से ही दिल्ली में सिक्ष्ण कार्य में जुटे थे | सेंट इस्टीफंस कालेज की शुरुआत 1889 और हिन्दू कालेज 1899 में अस्तित्व में आ चुका था जबकि रामजस कालेज की शुरुआत डीयू से चंद वर्ष पहले 1917 में शुरू हुई | 100 साल पहले दिल्ली में स्कूली शिक्षा की बात करे तो पाठशाला तक सीमित ज्ञान को 1948 में आकर स्कूलो का रूप मिला 1948 में सरकारी स्कूल अस्तित्व में आये और 1958 में नगर निगम के गठन के बाद ही प्राथमिक सिक्षा की जिम्मेदारी इसे दी गयी |स्कूली शिक्षा को विस्तार मिला दिल्ली सरकार को ऑर से शुरू किए गये प्राथमिक , माध्यमिक विद्यालयों के जरिये | सरकारी शिक्षा व्यवस्था के विस्तार के साथ – साथ निजी संस्थाओं ने भी इस क्षेत्र में कदम बढाये | आज दिल्ली भारत का सबसे आधुनिक शहर बनके खड़ा तो है पर अपनी संस्कृति – अपनी परम्पराओं को खोता जा रहा |
…………सुनील कुुुुमार दत्ता,स्वतंत्र पत्रकार एवंम दस्तावेजी प्रेस छायाकार
1911 में ढहता हुआ शहर था दिल्ली
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