18 तारीख को कांग्रेस की अगुवाई में विपक्षी दलों की बैठक ,जो बैंगलेरू से पहले पटना में हुई थी उसमें एलायंस का यूपीए से बदल कर अखिलेश यादव ने पीडीए रखने का सुझाव दिया था जिसका अर्थ उन्होने पिछडे़, दलित और अल्पसंख्यक बताया था, लेकिन बैंगलेरू बैठक में इंडिया यानि” इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लुसिव एलायंस” नाम सभी दलों ने एक सुर में मान लिया अब इसका शार्ट नाम “इंडिया ” हो गया, चाहे जानबूझ कर या चाहे अनजाने में हुआ इसका कोई मतलब नहीं है । लेकिन फिर बवंडर शुरू हुआ और असम के मुख्यमंत्री सरमा ने ट्विट कर आसाम लिखकर अंग्रेजी में इंडिया लिखकर फिर उसे क्रास कर भारत लिखा गया। अब बस उसके बाद से ही इलेक्ट्रानिक मीडिया को अपनी टीआरपी बढाने का मशाला मिल गया ।तीन चार दलों के प्रवक्ता और दो-तीन राजनीतिक विश्लेषकों को बुला कर बहस बाजी देखाना शुरू हो गया और जनता का समय भी मजे से पास होने लगा।इंडिया” नाम रखने से न तो कांग्रेस नीत गठबंधन इंडिया हो जायेगा और न ही भारत कहने मात्र से हीभाजपा नीत गठबंधन भारत हो जायेगा।असल इंडिया तो हमारी भारत यानि इंडिया तो इस देश की डेढ सौ करोड़ जनता है।किसी भी दल की सरकारें तो आती जाती रहेंगी, सरकार या दल भारत अर्थात इंडिया नही है ना ही हो सकती है ।भारत के डेढ सौ करोड़ लोगों से बना भारत अर्थात इंडिया हमारा देश है , हमारा देश और इस देश की जनता महान है। सम्पादकीय- News51.in
18 जुलाई की शाम से ही विपक्षी दलों के इंडिया और इस नाम से परहेज कर भारत शब्द के सत्ता पक्ष द्वारा इस्तेमाल पर मिडिया को मिला मशाला टीआरपी बढाने का,असल इंडिया या भारत देश की महान जनता है
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