Sunday, September 8, 2024
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स्वतंत्रता का देवालय-सेलुलर जेल

[6/23, 13:29] सुनील दत्ता: स्वतंत्रता का देवालय

सेलूलर जेल

‘बुंदेलो हरबोलों के मुख
हमने सुनी कहानी थी ;
खूब लड़ी मर्दानी
वह तो झाँसवाली रानी थी | ”

भारत के प्रथम सवतंत्रता संग्राम में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई , नाना साहब , तात्या टोपे , बहादुरशाह जफर , बीर कुँवर सिंह आदि के जाँबाज सैनिको ने अंग्रेज सरकार के सैनिको के छक्के छुडा दिए थे | भारतीय वीरागनाये जूही , झलकारी , मुन्दर और नाना साहब की बेटी मैना ने जीवन के बलिदान देकर सिद्द कर दिया था कि वीरता और देशभक्ति में वे अंग्रेजो से कही आगे है | मैना को अंग्रेज सैनिको ने जनरल आउटरम के आदेश पर ज़िंदा जला दिया था | ग्वालियर से भेजी गयी सेना यदि अंग्रेजो का साथ नही देती और आपसी फूट नही होती तो भारत की धरती से 1857 में ही अंग्रेजो के पैर उखड़ गये थे |
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की विफलता के बाद अंग्रेज सरकार भयभीत थी | संग्राम के बंदियों को मुख्य भूमि की जेलों में रखकर भी वह भयभीत थी | फिर से नया संग्राम छिड़ने का भय उनके मन में समाया था | अंग्रेज सरकार बची – खुची ज्वाला को फिर से मशाल बनने देना नही चाहती थी | उसे ही एकदम से दफनाने के लिए अंग्रेज सरकार ने बंगाल की खाड़ी स्थिति अंडमान द्वीप का चुनाव किया | हजारो बंदियों को हथकड़ियो और बेडियो में जकड़कर उन द्वीपों पर रखे जाने का निश्चय किया | स्वतंत्रता के देवालय राष्ट्रीय सेलूलर जेल के निर्माण की कथा यही से आरम्भ होती है |
इस निर्माण के पीछे अंग्रेज सरकार का आंतरिक भय तथा संग्राम की भावना को सदा – सदा के लिए मिटा डालने का बर्बरता [उरन काम कर रहा था | इसके पीछे तिलका माझी – संथाल विद्रोह – बिरसा मुंडा आदि की शक्तिया तथा जनविद्रोह का दर भी निरंतर काम कर रहा था | वस्तुत: सेलूलर जेल के निर्माण के साथ भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले वीर क्रान्तिकारियो का इतिहास जुदा हुआ है | सेलुलर जेल क्रांतिकारी की लम्बी कड़ी से जुडी हुई गाथा है और स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु किये गये प्रयासों की सबल – सुदृढ़ शक्ति है | क्रांतिकारी इतिहास को कुल 12 भागो में विभाजित करना उचित होगा जिनका सम्बन्ध सेलुलर जेल से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में रहा है :
(1) सन १1857 से सन 1872 तक
तिलका माझी , मंगल पानेद झांसी की रानी , कित्तूर की रानी चेल्लम्मा, तात्या टोपे , नाना साहब , बहादुर शाह जफर ,वीर कुँवर सिंह आदि का युग
(2) यूरोप तथा एशिया में भारत के क्रांतिकारी —
राजा महेंद्र प्रताप , मदनलाल धींगरा , मादाम भीकाजी कामा , श्यामजी कृष्ण वर्मा , सावरकर बन्धु , मौलाना बरकतुल्ला आदि |
(3) महाराष्ट्र का चापेकर – बंधू युग — बंग – भंग युग –
दामोदर बालकृष्ण , गणेश चापेकर , अरविन्द घोष – वारिन्द्र घोष खुदीराम बोस प्रफुल्ल चाकी , उल्लासकर दत्त आदि |
(4) अमेरिका , कनाडा , सिंगापुर , मलाया , बर्मा में भारत के क्रांतिकारी – ‘ गदर पार्टी ‘ – लाला हरदयाल , पंडित परमानन्द . भाई परमानन्द , बाबा पृथ्वी सिंह ‘ आजाद आदि |
(5) प्रथम विश्व युद्द के क्रांतिकारी |
(6) ‘काकोरी काण्ड ‘ के क्रांतिकारी |
(7) सन 1930 से सन 1943 तक का क्रांतिकारी युग
(8) भगत सिंह चन्द्रशेखर आजाद विस्मिल सुखदेव राजगुरु बटुकेश्वर दत्त आदि का युग |
(9) चटगाँव शस्त्रागार काण्ड — सूर्यसेन , कल्पना दत्त आदि |
(10) सन 1942 की ‘ करो या मरो ‘ क्रान्ति
(11) सुभाष और आजाद हिन्द फ़ौज |
(12) सन 1946 का नौ सैनिक विद्रोह
[6/23, 13:30] सुनील दत्ता: सुनील दत्ता कबीर स्वतंत्र पत्रकार ,दस्तावेजी प्रेस छायाकार चित्र गूगल से

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