Wednesday, July 9, 2025
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सुप्रीम कोर्ट पहुंचाADR, चुनाव आयोग की वोटर लिस्ट में संशोधन के खिलाफ

ऐसोशियेसन फार डिमाक्रेटिक रिफार्मस ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि इस राज्य (बिहार) केलाखों-करोंडों लोग इस फैसले से वंचित हो जायेंगे , जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के खिलाफ है। दरअसल चुनाव आयोग ने बिहार विधान सभा चुनाव के के कुछ ही महीने पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR)का चुनाव आयोग का निर्देश दिए जाने का मामला सवालों के घेरे में आ गया है। जिसको लेकर सभी विपक्षी दलों ने सवाल खड़े किए हैं और इसे लेकर विपक्ष रैलियां भी निकाल रहा है अब चुनाव आयोग के इसी विवादास्पद निर्णय की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।ADR ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि बिहार के लाखों लोग इस निर्णय से मतदान से वंचित हो जायेंगे जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के खिलाफ है याचिका में कहा गया है कि यदि चुनाव आयोग के 24 जून2025 काSIR के इस आदेश को रद्द नहीं किया जाता है तो यह मनमाने ढंग से और उचित प्रक्रिया के बिना लाखों मतदाताओ को अपने प्रतिनिधियों को चुनने से वंचित कर सकता है जिससे देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव और लोकतंत्र बाधित हो सकता है।जो संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है। निर्देश के दस्तावेजीकरण आवश्यकताओं और उचित प्रक्रिया की कमी और बिहार में मतदाता सूची के उक्त विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए अनुचित रूप से कम समयसीमा इस अभ्यास के वास्तविक लाखों मतदाताओं के नामों को मतदाता सूची से हटाने के लिए बाध्य करती है , जिससे वे मताधिकार से वंचित हो जाते हैं।ADR जिनकी याचिकाओं पर पूर्व में भी सुप्रीम कोर्ट ने कई चुनाव सुधार किए थे उसने अपनी याचिका में कहा कि नागरिकता दस्तावेज के लिए SIR की आवश्यकता मुसलमानों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जन जातियों और प्रवासी श्रमिकों सहित हाशिए पर रहने वाले समुदायों को असमान रूप से प्रभावित करती है जिनके पास ऐसे दस्तावेजों तक पहुँच नहीं हो सकती है।चुनाव आयोग ने मतदाता सूची में नाम जोडनें की जिम्मेदारी राज्य सरकार से हटाकर नागरिकों पर डाल दिया है इसमें आधार कार्ड या राशन कार्ड जैसे पहचान दस्तावेजों को शामिल नहीं किया गया है जिससे वंचित और गरीब समुदाय के लोगों के मतदान से वंचित रहने की सम्भावना बढ गई है। SIR प्रक्रिया के तहत घोषणापत्र की आवश्यकता अनुच्छेद 326 का उल्लंघन करती हैक्योंकि इसमें मतदाता को अपनी नागरिकता और अपने माता-पिता की नागरिकता का दस्तावेज देना होगा।ऐसा न होने पर मसौदा मतदाता सूची से नाम हट जायेगा । ADR ने यह याचिका देर रात 11.58 पर ई मेल से सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल किया और इसकी भनक लगते ही आज चुनाव आयोग ने यू टर्न लेते हुए आज सुबह यह समाचार लिखते समय न्यूज 24 पर यह सूचना मिली कि चुनाव आयोग ने बिहार विधान सभा चुनाव में सभी प्रकार की (आधार कार्ड, वोटर कार्ड, राशनकार्ड, आदि)पर वोटर फोटो पर वोट डालने की अनिवार्यत को समाप्त कर दिया है अब सिर्फ बीएलवो द्वारा दिया फार्म भर कर देना है। इस तरह के निर्देश में भी चुनाव आयोग की मंशा साफ नहीं दिख रही है आगे देखते हैं।News51.in

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