यूं तो कांग्रेस के आम आदमी पार्टी, बसपा और स्पा के रिश्ते आपस में कभी भी सामान्य नहीं रहे हैं । कांग्रेस का दिल्ली और पंजाब के स्थानीय नेता ( बडे़ से लेकर छोटे नेता तक और स्थानीय कार्यकर्ता तक) पहले दिन से लेकर आजतक आम आदमी पार्टी को INDIA में शामिल करने की पक्षधर नहीं रही है शुरू में मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी भी आप पार्टी को शामिल नहीं किए थे बाद में सोनियां गांधी के ऐक्टिव होने और ममता बनर्जी, नीतिश कुमार तथा अखिलेश यादव के कारण केजरीवाल को भी गठ बंधन में शामिल कर लिया गया । लेकिन अति महत्वाकांक्षी केजरी वाल को अनपेक्षित सफलता ( दिल्ली और पंजाब) में मिलने से कुछ और। जल्दी पाने की चाहत में होने वाले 5 राज्यों के विधान सभा में भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का इरादा जता दिया है हालांकि ऐसा ही इरादा सपा और बसपा का भी है और यह भी सच है कि INDIA का गठबंधन लोकसभा चुनावों के लिए है लेकिन यह भी सच है कि वर्षों से सपा और बसपा राजस्थान और मध्यप्रदेश में लड़ते रहे हैं ।लेकिन अधिकतम एक से लेकर 4 सीटों तक ही चुनाव जीतते रहे हैं। पिछली बार तो मात्र एक सीट सपा जीती थी और अब तो बसपा यूपी में कमजोर हो गयी है लेकिन राज स्थान , मध्य प्रदेश छत्तीश गढ और तेलंगाना में भी लड़ रही है यहां यह गौर करने वाली बात यह भी है कि पिछले पांच सात सालों की तुलना में कांग्रेस अब राष्ट्रीय स्तर पर भी काफी मजबूत हुई है और जहां-जहां 5 राज्यों में चुनाव हो रहे हैं वहां तो वह काफी मजबूत है। लेकिन यह भी सच है कि आपपार्टी का इन पांच राज्यों में कुछ भी नहीं है । आम आदमी पार्टी हिमांचल, गुजरात और कर्नाटक चुनाव में भी अपनी ताकत अजमा चुकी है । और बुरी तरह मुहं की खा चुकी है ( गुजरात मे अवश्य कांग्रेस में राहुल की पद यात्रा के कारण प्रचार में धार नहीं ला सकी थी और आप पार्टी ने पूरी ताकत लगा दी थी और उसे प्रतिपक्ष बनने का शायद मौका मिल जाय और उस समय कांग्रेस के बडे़ बडे़ नेता कांग्रेस से निराश हो पार्टी छोड़ रहे थे,और आप में शामिल हो रहे थे।तब भी 7-8 सीट ही शायद आप पार्टी को मिली थी)और मल्लिकार्जुन खड़गे के अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस की सभी जगह स्वीकार्यता बढने और मजबूत होते जनाधार से ही शायद कांग्रेस नेतृत्व भी चाहता है कि सपा,बसपा और अब आप पार्टी भी इन राज्यों में अपनी ताकत आजमा ले। और शायद इसी कारण से कांग्रेस स्थानीय नेतृत्व की सलाह मान कर नतो सीट शेयरिंग को ललायित है और न ही 5 राज्यों में होने वाले विधान सभा चुनाव के पहले इन राज्यों में इन तीनों दलों से विधानसभा चुनाव में गठबंधन की इच्छुक है इसके अलावा पंजाब में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं के प्रति लगातार आप सरकार द्वारा उत्पीड़न से भी कांग्रेस आलाकमान नाराज है कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैहरा को नशीले पदार्थ की तस्करी के मामले में पूर्व में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद भी गिरफ्तार कर लिया गया है। ऐसा पहली बार नहीं है कि आप पार्टी की सरकार ने कांग्रेस नेताओं को किसी न किसी मामले में गिरफ्तार न किया हो या कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न न किया हो। आय से अधिक सम्पत्ति के क ई मामले कांग्रेसी नेताओं पर दर्ज हैं पूर्व उप मुख्यमंत्री ओ.पी सोनी,पूर्व मंत्री साधु सिंह धर्मसोत,भारत भूषण आशू, पूर्व विधायक किक्की ढिल्लों की गिरफ्तारी हो चुकी है और पूर्व मुख्यमंत्री चरण जीत सिंह चन्नी और पूर्व मंत्री बलवीर सिंह सिद्धू व अन्य कयी विधायकों की जांच चल रही है अगर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी राहुल और सोनियां गांधी की तरह ही आंखे मूंदकर स्थानीय पंजाब और दिल्ली के नेताओं की बातों और उनकी पीडा़ को नजर अंदाज करते रहे केवल चार पांच लोकसभा सीटों के लालच में ,तो पंजाब और दिल्ली क ई सालों के लिए कांग्रेस के हाथ से निकल जायेगा जैसा कि पूर्व अध्यक्षों के कारण यूपी और उडी़सा और पश्चिम बंगाल क ई वर्षों से तत्कालीन कांग्रेस अधयक्षों ने स्थानीय नेतृत्व की सलाह को नजर अंदाज करके किया। अभी इसी हफ्ते अखिलेश यादव मध्यप्रदेश के दो दिवसीय दौरे पर थे उन्होने साफ कहा कि जो भाजपा और कांग्रेस से निकले मजबूत उम्मीदवारों को टिकट देंगे यानि उनका वहां कोई संगठन नहीं है केजरीवाल भी यही करेंगे क्योंकि उनका भी कोई संगठन नही है सम्भवतः इसी कारण से कांग्रेस अभी टिकटों का एलान मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीश गढ में नहीं कर रही है और यह तीनों दल इसी का इंतजार कर रहे हैं ऐसा नहीं है कि कांग्रेस खासकर मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल सारे खेल को समझ नहीं रहे हैं जल्द ही यूपी में कांग्रेस प्रभारी की नियुक्ति कर कांग्रेस यूपी में जनाधार बढाने।के साथ ही अन्य गठबंधन पर भी विचार करेगी ।और यह तय है कि मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल पंजाब और दिल्ली में इस विधान सभा चुनावों के बाद आपपार्टी से अलग होकर लोकसभा चुनाव लडे़गी जैसा कि हरियाणा में उसने भूपेंद्र सिंह हुड्डा की बातों ( स्थानीय नेतृत्व) का समर्थन किया और उन्ही की बातों पर अमल किया । सम्पादकीय-News51.in