Saturday, December 21, 2024
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सदाबहार गानों के संगीत कार मदन मोहन-जिनका आज जन्मदिन है

मदन मोहन जिनका आज जन्मदिन है

मैं तो तुम संग नयन मिला के हार गयी सजना

क्यों झूठे से प्रीत लगाई
क्यों छलिये को मीत बनाया
क्यों आंधी में दीप जलाया —-

अजीब था शक्स जिसने ऐसे गीतों की रचना करके अमर हो गया | पिता की तमन्ना थी की बेटा फौजी बने वो फौजी बना भी ऐसा शक्स था मदन मोहन जिन्होंने अपनी संगीत से दुनिया के करोड़ो श्रोताओं को सरोबोर किया |
एक फिल्म स्टूडियो का मालिक एक ऐसा फौजी जो मैदाने जंग में अपनी जाबाजी दिखाया और बाद में संगीत की दुनिया का मील का पत्थर बना ऐसे थे मदन मोहन जी इनका जन्म 25 जून 1924 को बगदाद में हुआ था | इनके पिता रायबहादुर चुन्नी लाल उस वक्त इलाके के पुलिस के साथ कार्य करते थे |
आजादी के बाद मदन मोहन जी के पिता भारत चले आये और मुम्बई में रहने लगे | वही पर वो बाम्बे टाकिज और फिल्मस्तान टाकिज में पार्टनर हो गये | पिता के कहने पर मदन जी ने 1945 में फ़ौज में भर्ती हो गये पर वहाँ उनका मन नही रम रहा था | वो लखनऊ में आकरआकाशवाणी में नौकरी कर ली । वहाँउनसे मुलाकात हुई उन अजीम हस्तियों से मिलने के बाद उनकी राह बदल दी | ऐसा माना जाता है की मदन जी की माँ बहुत ही साहित्य से जुडी थी और मदन जी को अपने माँ से प्रेरणा मिली साहित्य और संगीत का आकाशवाणी लखनऊ में जब वो आये तो उनकी मुलाक़ात संगीत जगत के उन महारथियों से हुई जो संगीत में अपना दखल रखते थे | उस्ताद फैयाज खान , उस्ताद अली अकबर खान , बेगम अख्तर और तलत महमूद जैसी जानी मानी हस्तियों से हुई |

मदन जी तो अनोखे व्यक्तित्व के मालिक थे वो एक नया मुकाम हासिल करना चाहते थे | उन्होंने अपने सपनो को पूरा करने के लिए मुम्बई आये | यहाँ आने के बाद एस दी बर्मन और श्यामल सुन्दर जी के सहायक के रूप में कार्य करना शुरू कर दिया | उसके बाद 1950 में मीना कुमारी और प्रदीप कुमार के लिए उनके फिल्म में अपने संगीत का जलवा बिखेरा ” कभी तो मिलेगी , कही तो मिलेगी भरो की मंजिल रही ” के संगीत के साथ ही अपने को स्थापित किया | मदन जी ने इस फिल्म के संगीत से भारतीय फिल्म जगत में अपना स्थान बना लिया | उसके बाद उन्होंने लता जी से अपने फिल्मो में गीत गवाया | मदन जी को लता जी की आवाज इतनी पसंद आई की | उनसे वो अपनी हर फिल्म में गीत गवाते थे | लता जी उनकी चहेती गायिका बन गयी | जब मदन जी को लोग यह कहने लगे कि मदन जी सिर्फ लता जी के लिए गाने बनाते है तब मदन जी ने यह साबित किया फिल्म ” देख कबीरा रोया में ‘ उन्होंने मन्ना डे से इस गीत को गवाया कौन आया मेरे मन के द्वारे ” मदन जी राजकपूर जी के बचपन के दोस्त थे फिर भी मदन जी ने अपनी प्रतिभा का का लोहा मनवाया फ़िल्मी दुनिया में उनके संगीत बद्द किये गीत आज भी अमर है | ऐसी ही एक गीत पे संगीत सम्राट नौशाद जी इस कदर प्रभावित हुए थे की उन्होंने अपने संगीत का सारा खजाना लुटाने की बात कर दी | वो गीत था ” आप की नजरो ने समझा प्यार के काबिल मुझे ” ऐसे थे मदन जी |
1970 में प्रदर्शित फिल्म ” दस्तक ” के लिए मदन जी को सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के राष्ट्रीय पुरूस्कार से सम्मानित किया गया | उन्होंने अपने ढाई दशक लम्बे सिने कैरियर में सौ से ज्यादा फिल्मो में संगीत दिया अपनी मधुर स्वर लहरियों से श्रोताओं के दिल मीन खासक जगह बनाई | आज मदन जी का जन्म दिन है आज वो हमारे बीच नही है पर उनके बिखेरे संगीत आज भी जब हमनारे कानो में जाते तो उनकी यद् बरबस आ जाती है |

सुनील दत्ता —- स्वतंत्र पत्रकार एवं समीक्षाक

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