आदिती मिश्रा बचपन से ही निडर थी, कारण पिता संजय मिश्रा फौजी थे और मां मधुबाला गृहणी थीं। पिता की पोस्टिंग महाराष्ट्र और राजस्थान में ज्यादातर रही इसीलिए आदिती की शुरुआती शिक्षा इन दोनों राज्यों के अलग-अलग स्कूल में हुई। बी.एच.यू के महिला विद्यालय में पढते समय बी.एच.यू. में2017 में एक छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। परिसर मेंछात्रों और पुलिस के बीच हिंसक टकराव में सिंह द्वार को बंद करना पड़ा था , विश्व विद्यालय प्रशासन पीड़ित छात्रा की बात सुनने को तैयार नहीं था। विश्व विद्यालय प्रशासन का मनमाना रवैया और छात्राओं की सुरक्षा को लेकर कई दिनों तक आंदोलन चला था। कई छात्र-छात्राएं पुलिस लाठीचार्ज में घायल हुए थे।2018 में बी.एच. यू. से इकनॉमिक्स आनर्स में ग्रेजुएशन और पांडुचेरी यूनिवर्सिटी से साउथ ऐशियन स्टडीज से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इतने प्रदेशों में रहने के कारण वह काफी सुलझे और खुले विचारों वाली नेता बनी। दबंग तो वह शुरू से थी पांडिचेरी यूनिवर्सिटी में पढते हुए कट्टर हिंदुत्व और भगवाकरण के विरोध में छात्र आंदोलनों का नेतृत्व किया। कुलपति कार्यालय का घेराव 2019 में फीस वृद्धि के खिलाफ प्रशासनिक भवन बंद कराया। 2020 में जरूरत मंद और पिछड़े वर्ग के छात्रों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और उनका झुकाव वामपंथ की तरफ होता गया । वर्तमान समय में वो जे.एन. यू. के स्कूल आफ इंटरनेशनल स्टडीज में पीएचडी कर रही है और इस जे.एन.यू के छात्र संघ के चुनाव में वामदलों का नेतृत्व कर छात्र संघ की अध्यक्ष बन गई हैं-सम्पादकीय-News51.in
