Sunday, December 22, 2024
होमराज्यउत्तर प्रदेशलोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को अपने स्वाभाविक और सच्चे सहयोगियों की...

लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को अपने स्वाभाविक और सच्चे सहयोगियों की पहचान करनी होगी और इसकी परख लोकसभा से पहले 10 राज्यों में होने वाले चुनावों में कर लेनी होगी

2024 लोकसभा चुनावं से पहले (जम्मू कश्मीर समेत) दस राज्यों में विधान सभा चुनाव होने हैं।कांग्रेस यूपी, बिहार मध्यप्रदेश,त्रिपुरा, समेत पश्चिम बंगाल,जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, उडी़सा,मेघालय ,मिजोरम,दिल्ली,पंजाब ,राजस्थान ,तेलंगाना और आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु जैसे राज्यों में कुछ (यूपी,तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा,आंध्र प्रदेश ,बिहार,उडी़सा ) में कांग्रेस काफी कमजोर है ।खासकर यूपी में जहां 80 लोकसभा सीटें हैं कांग्रेस से सपा,बसपा जैसी पार्टियां घास डालने को तैयार नहीं हैं बिहार और झारखंड में सहयोगी अपने मनसे कुछ सीटें दे देते हैं वह भी अपनी।शर्तोंपर । मेरा अपना मानना है कि फिलहाल जिन दस राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं उनमें कुछ रीजनल पार्टियों के अलावा त्रिपुरा जहां वामदलों केसाथ कांग्रेस का तालमेल हुआ है वैसा ही तेलंगाना मेंभी कांग्रेस को वामदलों के साथ करनाचाहिए क्योंकि पूरे देश में वामदल समाप्त हो रहे हैं किंतु त्रिपुरा और तेलंगाना में अभी भी मजबूत हैंत्रिपुरा मेंकांग्रेस औरवामदलों में समझौता हुआ है वैसे ही कांग्रेस को तेलंगाना में भी वामदलों को साथ में लेना होगा ।वामदल और कांग्रेस का तालमेल क ई राज्यों में होना चाहिए वामदलों को और कांग्रेस दोनों ही एक दूसरे के विश्वसनीय और स्वाभाविक साथी साबित होंगे जैसे तमिलनाडु मेंडीएमके है।जबतक लालू यादव राजद के सुप्रीमो थे वे भी कांग्रेस केग्स्वाभाविक सहयोगी थे सपा और बसपा के बारे में कुछ कहना ही बेकार हैअभी कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा होगा तो शायद सपा यूपी में पांच छै सीटोंपर तालमेल को तैयार हो जाय लेकिन बसपा चुनाव जीतने सेज्यादा कांग्रेस काखेल बिगाड़ने में लगी है।वही हाल ओवैसी का भी हैयूपी,बिहार तेलंगाना ,मध्यप्रदेश,दिल्ली आंध्र प्रदेश में कांग्रेश को मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए और स्वंय संगठन कोजो मजबूत करने में लगे हैं वह ठीक ही है जिस प्रकार प्रियंका गांधी ने पिछला यूपी विधानसभा चुनाव अकेले लडा़ था वैसे ही तीन सीट (गाजीपुर,म ऊ और घोसी ) कीसीट वामदल को देकर बाकी सभी 76 सीटोंपर अकेले हीचुनाव लड़ना चाहिए और कश्मीर केअन्य दल के नेताओं की भी मदद यूपी चुनाव में लेनी चाहिए।वर्तमान में पश्चिम बंगाल में वामदलों से तालमेल तो ठीक है लेकिन वहां तैयारी अधूरी है संगठन काअता-पता नहीं हैजो किसी भी दल कीमूल थाती होती है।प्रियंका गांधी को पश्चिम बंगाल में यूपी की हीभांति संगठन खडा़ करने की जिम्मेदारी देनी।चाहिए साथ हीसचिन पाईलेट और कन्हैया जैसे नेताओं को राज्यसभा या राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में बडी़जिम्मेदारी देना जरूरी है पाईलेट को तो हर हाल मेंराजस्थान मेंआगे लाना होगा।वैसे भी कांग्रेस मेंअच्छे वक्ताओं का (कन्हैया कुमार और सचिन पायलेट औरचार-छै अन्य को छोड़कर) अकाल है।समय से पहले ये मुर्झा नजायं। उम्मीद थी कि खड़गे के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने केबाद उम्मीद थी कि डिसीजन लेने मेंगति आएगी लेकिन अभी तक ऐसा कुछ दिखा नहीं।सच कहूं भाजपा से मुकाबला इस तरह सम्भव नहीं हां मुख्य विपक्षी दल बन जाय वही बडी़ बात।—-सम्पादकीयNews 51.in

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments