Sunday, September 8, 2024
होमराजनीतिलगता है कांग्रेस संगठन की कमान राहुल गांधी अपने हाथ में लेंगे...

लगता है कांग्रेस संगठन की कमान राहुल गांधी अपने हाथ में लेंगे और शुरूआत मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ और बिहार तथा राजस्थान प्रदेश संगठन में जुलाई माह में ही सम्भवतः हो जाएंगे !

ऐसा प्रतीत होता है कि जहां-जहां कांग्रेस का लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है वहां-वहां राहुल गांधी संगठन स्वयम बदलने की कमान अपने हाथों में लेंगे जिसकी शुरूवात भी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ और बिहार से ही लगता है , होनी है । मध्य प्रदेश में संगठन में फेरबदल के लिए 70 नेताओं के नाम की सूची भेज दी गयी है जिनमें 50 प्रतिशत युवा नेताओं को तरजीह दी गयी है और जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा कर किसी अन्य स्थान पर किया जा सकता है जब लोकसभा चुनाव के पहले उन्हे अध्यक्ष बनाया गया था तो सभी को उनसे बडी़ उम्मीद थी क्योंकि वह अभी युवा हैं, जोशीले हैं और राहुल गांधी के खास हैं फिललहाल प्रदेश अध्यक्ष की रेस में अरूण यादव का नाम सबसे आगे चल रहा है वह पिछडे़ वर्ग से आते हैं अनुभवी हैं और पूर्व में अध्यक्ष की भूमिका अच्छे से निभा चुके हैं ।इसके अलावा पिछडो़ं के मसीहा पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह उर्फ राहुल भैया का नाम भी चल रहा है , चूंकि विधान सभा ने नेताप्रतिपक्ष आदिवासी समुदाय के उमर श्रंगार हैं और उपनेता पद पर हेमंत कटारे ब्राम्हण हैं इसलिए किसी पिछडे़ को ही प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है । यह बात अलग है कि कोई तीसरा अगर बाजी मार ले जाय तो बात अलग है, दूसरा राज्य बिहार है वहां भी प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह का भी बदला जाना तयं है क्योंकि अखिलेश प्रसाद पर अक्सर यह आरोप लगता है कि वो लालू यादव की कृपा से बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष बने हैं बिहार कांग्रेस पूरी तरह से लालू यादव रिमोट कंट्रोल से चला रहे हैं जो नौ सीटें बिहार में इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस को मिली , वहां जिस तरह सीटों का बंटवारा हुआ, देखकर राजनीतिक विश्लेषकों की बात छोडि़ये , बिहार राजनीति का मामूली जानकार भी हंस रहा था ।औरंगाबाद की सीट निखिल कुमार के परिवार की थी, जो वहां से प्रायः लड़ते और जीतते रहे हैं वह सीट कांग्रेस को नहीं दी गयी , मुजफ्फर नगर से भाजपा ने यह समझ कर टिकट ही नहीं दिया था कि वह चुनाव नहीं जीतेगा ,उसे कांग्रेस का टिकट मिल गया और लोकल कांग्रेसी घर बैठ गये , उसी दिन तयं होगया कि कांग्रेस चुनाव नहीं जीतेगी । जो तीन सीट कांग्रेस ने जीती उनमे पिछली बार जीते जावेद अली, पुराने कांग्रेसी नेता तारिक अनवर और मीरा कुमार द्वारा बताये गये प्रत्याशी सासाराम से अनु सूचित प्रत्याशी मनोज कुमार ने ही जीत दर्ज की । हद तो तब हो गयी जब भाजपा के मंत्री के बेटे को टिकट दे दिया गया और मूल कांग्रेसी मुह देखते रह गये ऐसा लग रहा था लालू यादव और अखिले प्रसाद सिंह रेवडि़यां बांट रहे थे और कांग्रेस को हराने का ठीका लिये बैठे थे और तो और भूमिहार बहुल इलाके से वहां के किसी स्थानीय भूमिहार नेता को टिकट देने के बजाय अपने बेटे को अखिलेश प्रसाद सिंह ने अपने बेटे को दिलवा दिया और जिन प्रेम चंद्र मिश्रा को विधायकी से इस्तीफा दिलवा कर एम एलसी का चुनाव लड़वाया ।वह सीट कांग्रेस के जीते विधायक की सीट पर कांग्रेस को टिकट न मिलना अभूतपूर्व रहा । अब यह तो तय है कि अखिलेश प्रसाद सिंह की प्रदेश अध्यक्ष पद से हटना तय है अब उनकी जगह तीन नाम सामने आ रहे हैं उनमें सर्वोपरि नाम प्रेमचंद्र मिश्रा का है, अच्छे वक्ता हैं और तेज तर्रार भी हैं, दूसरा नाम पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन का भी है, राहुल गांधी की विश्वस्त सहयोगी भी हैं , अच्छी वक्ता भी हैं और क ई सामाजिक कार्यक्रम भी पप्पू यादव के सहयोग से चलाती भी हैं और तीसरा नाम पप्पू यादव का हैअब इसके अलावा अचानक से कोई नया नाम सामने आ जाय तो कहा नहीं जा सकता । अब बात छत्तीसगढ की करते हैं वहां से भूपेश बघेल के पराभव के बाद संगठन की हालत बेहद खस्ता है मात्र एक सीट जीतने वाली छत्तीसगढ में वैसे तो आदिवासी नेता दीपक बैज अध्यक्ष हैं लेकिन अभी संगठन के लिहाज से अपरिपक्व हैं वैसे तो उनके स्थान पर टी ए सिंह देव जैसे बुजुर्ग नेता को अध्यक्ष बनाया जा सकता है, लेकिन टी ए सिंह देव अध्यक्ष नहीं बनना चाहते हैं और अगर विधान सभा में किसी आदिवासी को कमान दी जाती है तो ऐसी स्थिति में श्यामा चरण शुक्ल के बेटे और विद्याचरण शुक्ल के भतीजे अवधेश शुक्ल को जो सात बार के विधायक और अविभाजित मध्य प्रदेश में मंत्री भी रह चुके हैं, को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जा सकता है जिन्हे संगठन का अच्छा अनुभव भी है- सम्पादकीय-News51.in

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