राष्ट्रपति चुनाव अब आने वाला है विपक्ष इंतजार कर रहा है कि सत्ता पक्ष किसे अपना उम्मीद वार घोषित करता है उसी के बाद विपक्ष भी अपना साझा उम्मीद वार खड़ा करने का प्रयास करेगा। हमेशा यही होता आया है और प्रायः सत्ता पक्ष का उम्मीदवार ही चुनाव जीतता है फिर भी विपक्ष इसी बहाने अपनी गोलबंदी मजबूत करने का भरपूर प्रयास करता है किंतु इस बार क्षेत्रीय पार्टीयों की महत्वकांक्षा कांग्रेस के कमजोर होने से बढ गयी है और उनमें सबसे बड़ा “मैं” की आपसी गोलबंदी शुरू हो गई है और कांग्रेस को बेइज्जत करने का प्रयास किया जा रहा है और इस प्रयास की सूत्रधार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तेलंगाना के मुख्य मंत्री के चंद्र शेखर राव हैं। इनमें भी चूंकि तेलंगाना में अगले साल विधान सभा चुनाव होना है और अब तक केंद्र सरकार का हर मामले में समर्थन कर रही और जनता से टीआर एस का भाजपा समर्थन का ध्यान हटाने के लिए के चंद्र शेखर राव का भाजपा के खिलाफ मोर्चा (कांग्रेस विहीन) तैयार करने का प्रयास कर रहे हैं उसमें उनकी सबसे बड़ी साथी ममता बनर्जी हैं क्योंकि तेलंगाना राज्य में कांग्रेस वहाँ की क्षेत्रीय जनता को घूम-घूम कर हर रैली और धरना-प्रदर्शन में के चंद्र शेखर राव और भाजपा को एक दूसरे का पूरक बता रहे हैं जिससे चंद्र शेखर राव बौखला गये हैं। और कांग्रेस और भाजपा को एक साथ बता रहे हैं लेकिन उनकी इस बात पर किसी को यकीन नहीं है। इधर कांग्रेस ने सभी विपक्षी पार्टियों को राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का उम्मीदवार चुनने के लिए मल्लिकार्जुन खडगे को नियुक्त किया है। तभी अचानक से ममता बनर्जी ने विपक्ष को 15 जून को संयुक्त उम्मीदवार चुनने के लिए मीटिंग बुला ली और सभी विपक्ष को न्योता भेज दिया और कांग्रेस की सोनियां गांधी को 9 वें स्थान पर सूची में अपमानित करने हेतु रखा गया है उनसे उपर दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल, केरल के मुख्यमंत्री विजयन, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन और के चंद्र शेखर राव, उड़ीसा के नवीन पटनायक का नाम है, कुल 22 विपक्षी दलों को न्योता दिया है। हालांकि ममता बनर्जी बंगाल के बाहर पैर फैला कर अपनी पार्टी की किरकिरी करा चुकी हैं किंतु कांग्रेस द्वेष से ग्रसित हैं। जिन 22 दलों को न्योता दिया गया है देखना है कितने मीटिंग में शामिल होते हैं अभी से सभी विपक्ष में असमंजस की स्थिति आ गई है और जिसका सीधा असर राष्ट्रपति चुनाव में होना है और यूं तो भाजपा का उम्मीदवार ही जीतेगा लेकिन ममता बनर्जी के कारण भाजपा को और आसानी से जीत हासिल होनी है क्योंकि विपक्षी दलों में ममता बनर्जी के रहते एक राय बनना असम्भव है। सम्पादकीय -News 51.in