कन्हैया कुमार का जन्म बेगूसराय (बिहार प्रांत) में 13 जनवरी 1987 में हुआ था पिता का नाम जय शंकर सिंह तथा मां मीना देवी थीं ये शुरू से ही कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा से प्रभावित थे इसीलिए उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता ले ली बाद में जे. एन. यू में पढते समय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनके उपर भीड़ को उकसा कर देश विरोधी नारे लगवाने के आरोप में देश द्रोह का मुकदमा भी दर्ज हुआ उन्होंने सभी आरोप गलत बताया। स्नातक की पढाई के समय ही छात्र राजनीति से जुड़े और जेएनयू के पहले ऐआईएस एफ के छात्र संगठन के अध्यक्ष बने। बाद में उन्होंने बेगूसराय से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा लेकिन भाजपा प्रत्याशी से बुरी तरह से पराजित हुए। बाद में कम्युनिस्ट पार्टी के बड़े नेताओं से मतभेद के चलते पार्टी में अलग- थलग पड़ गये। वो समझ गए थे कि कम्युनिस्ट में रह कर वो राजनीति में आगे नहीं बढ सकते हैं उन्होंने राहुल गांधी से मुलाकात की और कांग्रेस में शामिल हो गए राहुल गांधी भी उनकी भाषण कला और उनकी राजनीतिक जानकारी के कायल थे। वर्तमान में राहुल गांधी उनको राज्य सभा में भेजकर अथवा बिहार प्रांत का अध्यक्ष बनाकर उनका कद बढाकर उनकी क्षमता का इस्तेमाल करना चाह रही है। क्योंकि पार्टी में बिना उनकी छवि बनाए वह भी चाह कर कुछ नहीं कर सकते उनके साथ गुजरात के निर्दल अनुसूचित जाति के विधायक जिग्नेश मेवानी ने भी कांग्रेस को अपनाया है हालांकि कांग्रेस की सदस्यता तकनीकी कारणो से नहीं ली है। सामने उदाहरण हार्दिक पटेल हैं जिन्हें सीनियर कांग्रेसी नेता आगे नहीं आने दे रहे हैं जिसके कारण पार्टी उनका और वो पार्टी के लिए कुछ नहीं कर पा रहे हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस पार्टी कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवानी और हार्दिक पटेल का कितना और कैसे उपयोग कर पाती है