कभी बसपा में टिकट पाने के लिए अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाते थे लेकिन फिर भी टिकट नहीं मिलता थार सर्वजन हिताय,सर्वजन सुखाय का नारा बुलंद कर दलित और मुस्लिमों के दम पर निकाय चुनाव में बेहतर करने की आशा में (अब ब्राम्हण वोटर से किनारा कर चुकी) बसपा को क ई स्थानों पर प्रत्याशी ही नहीं मिले।कुछ उदाहरण सामने हैं-17 नगर निगमों में मेयर पद पर लगभग 65 प्रतिशत मुस्लिम उम्मीदवार उतारने वाली बसपा को मायावती के लाख प्रयासों के बाद भी लगभग एक तिहाई से ज्यादा वार्डों में हाथी दिखाई देने वाला नहीं है।नगर निकाय चुनाव को पूरे दम-खम से लड़ने का दावा करने वाली बसपा प्रमुख मायावती लखन ऊ में नगर निगम के 110 वार्डों में से मात्र 84 पर प्रत्याशी उतार सकी हैं इसी प्रकार कानपुर में भी 40 वार्डों पर कोई प्रत्याशी ही नहीं मिला, मुरादाबाद में तो 70 में से सिर्फ 29 पर बसपा प्रत्याशी लड़ रहे हैं । प्रयागराज मेंतो 100 वार्डों में सिर्फ 52 वार्डों पर बसपा के प्रत्याशी हैं बरेली में भी 28 वार्डों पर बसपा का कोई प्रत्याशी ही नहीं है। गोरखपुर में 100 वार्डों में से पार्टी सिर्फ 42 पर प्रत्याशी खडे़ कर सकी है। यही स्थित क ई अन्य स्थानों पर भी है। हालांकि पार्टी द्वारा यह तर्क दिया जा रहा है कि स्थानीय समीकरणों को देखते हुए निर्दलीय उम्मीदवारों को पार्टी ने समर्थन किया है। वैसे तो पूर्व में भीबसपा निकायों की सभी सीटों पर चुनाव नहीं लड़ती थी,लेकिन तब बसपा एक बडी़ हस्ती हुआ करती थीतबसे अब में पार्टी की हैसियत काफी कम हुई है यहांतक की विधानसभा चुनाव में बसपा को एक सीट पर संतोष करना पडा़ था उससे ज्यादा सीट कांग्रेस 2 सीट पर जीती थी । सम्पादकीय-News51.in