रविवार को बसपा की राष्ट्र स्तरीय बैठक में सर्व प्रथम अपने भाई आनन्द कुमार को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया ।पूरे देश भर से आए कार्य कर्ताओं और पदाधिकारीयों की बैठक में उन्होंने लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार का ठीकरा सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर फोडते हुए स्पष्ट किया कि भविष्य में बसपा अकेले ही चुनाव लडेगी। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव के लोगों ने बसपा को वोट नहीं दिया और इतना ही नहीं बसपा के लोगों को हराने का भी काम किया। उन्होंने बताया कि सलेमपुर में बसपा अध्यक्ष को किस प्रकार सपा के लोगों ने हराने का काम किया किंतु अखिलेश यादव ने उन लोगों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। सपा को बसपा का वोट ट्रांसफ़र हुआ किंतु सपा के वोट बसपा को नहीं मिला। उनकी ज्यादा नाराजगी इस बात को लेकर थी कि चुनाव बाद अखिलेश यादव ने उन्हें एक बार भी फोन नहीं किया। उन्होंने कहा कि ताज कारिडोर मामले में भाजपा के साथ मिल कर मुलायम सिंह यादव ने उन्हें फंसाया था। उन्होंने यह भी कहा कि अखिलेश यादव ज्यादा टिकट मुसलमानों को दिए जाने के खिलाफ थे।
इसके पूर्व कांग्रेस से गठबंधन के समय भी मायावती ने चुनाव बाद कांग्रेस पर यही आरोप लगाया था कि कांग्रेस का वोट उन्हें ट्रांसफ़र नहीं हुआ। किंतु मायावती ने यह नहीं बताया कि 10 सीट बिना सपा के समर्थन के कैसे जीत गईं ।और अगर बसपा के वोट सपा को मिला तो पिछली बार की तरह सपा इस बार भी 5 सीट ही कैसे पाई। मायावती ने यह नहीं बताया कि 2 सीट कांग्रेस को को देकर क्या गठबंधन की नींव ही नहीं हिला दीं और यह नहीं बताया कि अमेठी में कैसे अपने कार्य कर्ताओं को भाजपा को वोट देने का इशारा कर राहुल गांधी की पीठ में किसने छुरा मारा था। जब सपा से गठबंधन किया तब याद नहीं था कि सपा शासन में दलितों पर सपा के लोगों ने बहुत अत्याचार किया था। राजनीति से प्रेरित होकर अब कह रही हैं कि मुसलमानों को ज्यादा टिकट अखिलेश यादव नहीं देना चाहते थे। प्रधान मंत्री मोदी मायावती के अस्थिर दिमाग से पहले से ही वाकिफ थे इसीलिए उन्होंने पहले ही इस गठबंधन के बारे में पहले ही भविष्य वाणी कर दिए थे। दर असल मायावती को चापलूसी पसंद है जो उनके पैरों को छूता रहे। मायावती ने चुनाव बाद अखिलेश यादव के फोन न करने का दर असल सबसे ज्यादा बुरा माना है जबतक अखिलेश यादव उनका पैर छूते रहे तबतक अच्छे थे। अगर अखिलेश यादव ने चुनाव बाद फोन नहीं किया तो आप ही कर देतीं लेकिन नहीं उनका इगो उनके आगे आता है। लेकिन मायावती जी अब वह दौर खत्म हो चुका है अब आप के वोटर भेडबकरी नहीं रहे कि आप के हांकने पर चलेंगे। जमीन पर आइए। वरना आप का वक्त समाप्त प्रायः है।
सम्पादकीय —